लॉकडाउन के दौरान एक चिकित्सा कर्मी।
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सार
- भारत में जब लॉकडाउन हुआ तब सिर्फ 434 मरीज थे और नौ की मौत हुई थी।
- सतर्कता ही बचाव: विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में भारत को बेहतर स्थिति में बताया गया।
विस्तार
भारत में पहला मरीज मिलने और लॉकडाउन की घोषणा तक 55 दिन का समय गुजर चुका था। इसके बाद भी भारत उस समय से लेकर आज तक इन सात देशों की तुलना में सबसे सुरक्षित देश हैं जहां वायरस का प्रभाव बेहद कम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की स्थिति रिपोर्ट के विश्लेषण से तो यह साबित होता है कि भारत सुरक्षित है।
दुनिया के दूसरे देश भी यही कह रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में पहला मरीज 20 जनवरी को मिला और 13 मार्च को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नेशनल इमरजेंसी की घोषणा कर दी। यानि तब तक 54 दिन के भीतर अमेरिका में 1264 मरीज मिले थे और 36 लोगों की मौत हुई थी।
भारत में पहला केस 30 जनवरी को केरल में मिला और 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन का एलान कर दिया। पहला केस मिलने और लॉकडाउन की घोषणा के बीच 55 दिन हो गए थे और मरीजों का आंकड़ा सिर्फ 434 ही था और केवल नौ लोगों की मौत हुई थी। ।
इटली : 58 दिन के भीतर 4 हजार मौतें
इटली में पहला केस भारत से एक दिन बाद 31 जनवरी को मिला। यहां की सरकार ने भारत से तीन दिन पहले यानि 21 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा कर दी। पहला केस मिलने और लॉकडाउन के एलान के बीच 58 दिन का समय गुजर चुका था और 47,021 मरीजों में वायरस की पुष्टि हुई थी और 4032 लोगों की मौत हो गई थी।
जर्मनी : 56 दिन में 21 हजार रोगी, 67 की मौत
कोरोना ने यहां 27 जनवरी को दस्तक दी यानि भारत से तीन दिन पहले। हालात खराब हुए तो यहां भी सरकार ने लॉकडाउन का फैसला किया और 22 मार्च से लोगों का घर से निकलना बंद हो गया। पहला केस सामने आने और लॉकडाउन के एलान के बीच 56 दिन का समय निकल चुका था। तब तक 21,463 लोग संक्रमित थे और 67 लोगों की मौत हो चुकी थी।
ब्रिटेन : 53 दिन में पांच हजार मरीज, 281 की मौत
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