अहमदाबाद में कोरोना की जांच के लिए नमूने एकत्र करते स्वास्थ्य कर्मी।
– फोटो : PTI
देश की क्वांटिटेटिव रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (क्यूआरटी-पीसीआर) मशीनों को पूरी क्षमता से उपयोग करें तो रोजाना 40,464 लोगों में कोरोना संक्रमण की जांच हो सकती है। आईसीएमआर के महामारी व संक्रमक रोग विभाग के वैज्ञानिकों ने स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर तेज जांच की रणनीति बनाते हुए यह दावा किया है। साथ ही अनुमान जताया है कि सभी संसाधनों को उपयोग में लाने पर जांच क्षमता 1.20 लाख प्रतिदिन की जा सकती है।
बीमार रोगियों की बढ़ सकती है संख्या…
रिपोर्ट को 15 वैज्ञानिकों और अध्ययनकर्ताओं ने तैयार किया। उन्होेंने कहा कि संक्रमण रोकने के बुनियादी उपायों में बड़े स्तर पर जांच शामिल है। जांच में देरी होने पर संक्रमण के बड़े क्लस्टर बन सकते हैं, गंभीर बीमार रोगियों की संख्या बढ़ सकती है और इसका बोझ पूरी स्वास्थ्य सेवाओं पर आएगा। ऐसे में तात्कालिक उपाय करते हुए जांच को तेजी देनी चाहिए।
यह दिए सुझाव… तीन गुना बढ़ेंगी क्षमताएं
- मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं की 216 पीसीआर मशीनों को एक के बजाय तीन शिफ्ट में चलाएं। इनकी क्षमता तीन गुना बढ़ जाएगी, रोजाना 40464 जांच हों सकेगी।
- मल्टीडिसिप्लिनरी शोध संस्थानों में 42 पीसीआर मौजूद हैं, इन्हें भी जांच में लगा सकते हैं।
- 100 न्यूक्लिक एसिड एमप्लीफिकेशन टेस्ट (नाट) मशीनें टीबी जैसे रोग की जांच में काम आती हैं, इन्हें भी उपयोग कर सकते हैं।
- नाको के ऑटोमेटेड प्लेटफॉर्म से रोजाना 1400 जांच हो सकती हैं, यह फिलहाल लॉकडाउन की वजह से उपयोग में नहीं आ रहा है।
- देश के 736 जिलों में से अधिकतर में अभी जांच सुविधा नहीं है, इसके लिए नई क्षमताएं जोड़ कर जांच को विकेंद्रिकृत करना होगा।
अनुमान व सिफारिशें
रिपोर्ट के अनुसार केवल सरकारी क्षेत्र में भारत की कोरोना वायरस जांच क्षमता 1.20 लाख प्रतिदिन तक बढ़ाई जा सकती है। इस तरह सबसे खराब हालात के लिए हम पहले से तैयार रहेंगे। रिपोर्ट में ज्यादा मशीनों के उपयोग, मानव संसाधन बढ़ाने, सैंपल संग्रह बेहतर करने को अहम माना गया है। एक महत्वपूर्ण सिफारिश सभी सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के लिए है, कि वे सभी अपने यहां उच्चकोटि की विषाणु विज्ञान प्रयोगशालाएं विकसित करें। इससे देश को कोविड-19 से लड़ने में मदद मिलेगी।
सार
आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की जांच करने की क्षमता 1.20 लाख रोजाना करने के लिए यह आकलन किया है।
विस्तार
देश की क्वांटिटेटिव रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (क्यूआरटी-पीसीआर) मशीनों को पूरी क्षमता से उपयोग करें तो रोजाना 40,464 लोगों में कोरोना संक्रमण की जांच हो सकती है। आईसीएमआर के महामारी व संक्रमक रोग विभाग के वैज्ञानिकों ने स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर तेज जांच की रणनीति बनाते हुए यह दावा किया है। साथ ही अनुमान जताया है कि सभी संसाधनों को उपयोग में लाने पर जांच क्षमता 1.20 लाख प्रतिदिन की जा सकती है।
बीमार रोगियों की बढ़ सकती है संख्या…
रिपोर्ट को 15 वैज्ञानिकों और अध्ययनकर्ताओं ने तैयार किया। उन्होेंने कहा कि संक्रमण रोकने के बुनियादी उपायों में बड़े स्तर पर जांच शामिल है। जांच में देरी होने पर संक्रमण के बड़े क्लस्टर बन सकते हैं, गंभीर बीमार रोगियों की संख्या बढ़ सकती है और इसका बोझ पूरी स्वास्थ्य सेवाओं पर आएगा। ऐसे में तात्कालिक उपाय करते हुए जांच को तेजी देनी चाहिए।
यह दिए सुझाव… तीन गुना बढ़ेंगी क्षमताएं
- मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं की 216 पीसीआर मशीनों को एक के बजाय तीन शिफ्ट में चलाएं। इनकी क्षमता तीन गुना बढ़ जाएगी, रोजाना 40464 जांच हों सकेगी।
- मल्टीडिसिप्लिनरी शोध संस्थानों में 42 पीसीआर मौजूद हैं, इन्हें भी जांच में लगा सकते हैं।
- 100 न्यूक्लिक एसिड एमप्लीफिकेशन टेस्ट (नाट) मशीनें टीबी जैसे रोग की जांच में काम आती हैं, इन्हें भी उपयोग कर सकते हैं।
- नाको के ऑटोमेटेड प्लेटफॉर्म से रोजाना 1400 जांच हो सकती हैं, यह फिलहाल लॉकडाउन की वजह से उपयोग में नहीं आ रहा है।
- देश के 736 जिलों में से अधिकतर में अभी जांच सुविधा नहीं है, इसके लिए नई क्षमताएं जोड़ कर जांच को विकेंद्रिकृत करना होगा।
अनुमान व सिफारिशें
रिपोर्ट के अनुसार केवल सरकारी क्षेत्र में भारत की कोरोना वायरस जांच क्षमता 1.20 लाख प्रतिदिन तक बढ़ाई जा सकती है। इस तरह सबसे खराब हालात के लिए हम पहले से तैयार रहेंगे। रिपोर्ट में ज्यादा मशीनों के उपयोग, मानव संसाधन बढ़ाने, सैंपल संग्रह बेहतर करने को अहम माना गया है। एक महत्वपूर्ण सिफारिश सभी सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के लिए है, कि वे सभी अपने यहां उच्चकोटि की विषाणु विज्ञान प्रयोगशालाएं विकसित करें। इससे देश को कोविड-19 से लड़ने में मदद मिलेगी।
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