महामारी के चलते एक महीने से देश लॉकडाउन है। दावा किया जा रहा है कि कोरोना वायरस की वजह से देश में हर दिन होने वाली मौतों में कमी आई है। अमर उजाला की पड़ताल में ऐसा कोई अध्ययन सामने नहीं आया लेकिन कुछ फीसदी तक मौत कम होने की सटीक जानकारी जरूर मिली है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, वायरस से देश में 681 लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन 25 मार्च से लॉकडाउन होने के चलते अन्य कारणों से मौतों में करीब 9 फीसदी गिरावट जरूर आई है। देश में हर दिन सड़क दुर्घटना, आत्महत्याओं, आपराधिक घटनाओं, वायु प्रदूषण, हार्ट अटैक, कैंसर, टीबी, निमोनिया, ब्रेन स्ट्रोक सहित कई गंभीर बीमारियों व अन्य कारणों से मौतें होती हैं।
इनके अलावा फैक्टरी, निर्माण कार्यों के दौरान दुर्घटनाओं में भी लोगों की जान जाती है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से दुर्घटनाओं व सड़क हादसों में कमी आई है।
मार्च में अंतिम संस्कार 70 फीसदी कम
दिल्ली के सबसे बड़े श्मशान घाट निगम बोध के मुख्य प्रबंधक सुमन कुमार गुप्ता का कहना है कि औसतन एक महीने में उनके यहां 2 हजार अंतिम संस्कार किए जाते हैं लेकिन मार्च से लेकर अब तक इनमें करीब 50 से 60 फीसदी तक कमी आई है।
ठीक इसी तरह लोधी रोड श्मशान घाट की बात करें तो वहां इस महीने 30 फीसदी ही अंतिम संस्कार हुए हैं। राजधानी के सबसे बड़े दिल्ली गेट कब्रिस्तान के अनुसार एक दिन में औसतन करीब 20 लोगों को सुपुर्द ए खाक किया जाता है लेकिन अब यह आंकड़ा घटकर औसतन 4 से पांच पर पहुंच गया है।
सड़क हादसे
सेव लाइफ फाउंडेशन के अनुसार, देश में हर दिन औसतन 415 लोगों की मौत होती है। साल में करीब डेढ़ लाख से अधिक लोगों की मौत होती है। सड़क हादसों में काफी हद तक गिरावट आई है। हालांकि, लॉकडाउन होने के बावजूद 56 सड़क हादसे अब तक दर्ज किए गए हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉ. राकेश यादव बताते हैं कि हार्ट अटैक में काफी कमी देखने को मिल रही है। पहले हर दिन एम्स में 25-30 मरीज आते थे, लेकिन 10 या 15 आ रहे हैं। दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल के वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. प्रेम अग्रवाल के मुताबिक, 12 से 15 हर मरीज रोज की तुलना में अब दो या तीन पर आंकड़ा पहुंच गया है।
वायु प्रदूषण : भारी गिरावट
एक अध्ययन के अनुसार 2017 में वायु प्रदूषण से 12.4 लाख लोगों की मौत हुई थी। दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, गाजियाबाद, गुड़गांव और नोएडा सहित देश के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर 300 एक्यूआई से भी ज्यादा होता है लेकिन लॉकडाउन होने के बाद इसमें कमी आई है।
मौसम विभाग के अनुसार इन शहरों में प्रदूषण का औसत स्तर 80 से 100 के बीच दर्ज किया है। सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि साफ सुथरी हवा का असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। हालांकि इससे होने वाली मौतों के सटीक आकलन के लिए विस्तृत अध्ययन जरूरी है।
अकेले देश की राजधानी दिल्ली में ही सालाना आग की 30 हजार से ज्यादा घटनाएं होती हैं जिसमें 250 से 350 तक लोगों की मौत होती है। साथ ही डेढ़ से दो हजार लोग घायल होते हैं लेकिन फरवरी से मार्च में अग्निशमन विभाग ने 40 फीसदी तक कमी दर्ज की है। जबकि अप्रैल माह में बीते 23 दिन में 6 से आठ कॉल ही मिली हैं।
हत्या के मामले 50 फीसदी घटे
राष्ट्रीय अपराध शाखा रिकॉर्ड ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश में हर साल करीब 30 हजार लोगों की हत्या के मामले दर्ज किए जाते हैं। यूपी, बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में सबसे ज्यादा हत्या के आपराधिक मामले दर्ज किए जाते हैं। साल में करीब 1 लाख से अधिक आत्महत्याएं भी दर्ज की जाती हैं। फिलहाल फरवरी से लेकर अब तक इनमें काफी हद तक कमी आई है। अनुमान है कि इन तीन महीनों में हत्या के दर्ज मामलों में 50 फीसदी तक कमी आई है।
…लेकिन देश की मृत्युदर बढ़ी
पिछले 10 वर्षों में भारत की मृत्युदर 7 फीसदी के आसपास रही है। फिलहाल यह करीब 7.3 फीसदी है। यानी प्रति एक हजार लोगों पर सालाना 7.3 लोगों की मौत हो रही है। साल में करीब 1 करोड़ लोगों की मौत होती है जिसमें 10 से 12 लाख तक मौतें चोट लगने के कारण होती है। केंद्रीय सांख्यिकी विभाग से जुड़े एक वरिष्ठ निदेशक का मानना है कि लॉकडाउन से मौतें कम हुई हैं, लेकिन इनका सटीक अध्ययन अगले एक या दो वर्ष में ही पता चल सकेगा।