Delhi 41 People From A Building In Theke Wali Gali Near The Dc Office In Kapashera, Have Tested Positive For Covid19 Building Was Already Sealed Know Every Detail About It – दिल्लीः एक ही बिल्डिंग के 41 लोग कोरोना पॉजिटिव, 19 अप्रैल से सील है भवन
कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान दिल्ली की एक तस्वीर (फाइल फोटो) – फोटो : जी पाल
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दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के कापसहेड़ा के कंटेनमेंट जोन से शनिवार को जिस तरह की खबर आई है वह राज्य सरकार के साथ ही स्थानीय निवासियों की भी चिंता बढ़ाने वाली है। दरअसल, 19 अप्रैल से कापसहेड़ा के ठेके वाली गली में जो मकान सील है, उसके 41 निवासियों में कोरोना की पुष्टि हुई है।
दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के डीएम ने जानकारी दी है कि कापसहेड़ा इलाके में डीसी दफ्तर के सामने वाली ठेके वाली गली की एक बिल्डिंग से 41 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। बता दें कि 18 अप्रैल को इस मकान में एक संक्रमित शख्स मिला था जिसके बाद इस मकान को सील कर इलाके को कंटेनमेंट जोन में डाल दिया गया था।
क्यों सिर्फ एक शख्स पॉजिटिव मिलने के बाद घोषित किया कंटेनमेंट जोन? दिल्ली सरकार का नियम है कि जहां तीन या उससे अधिक पॉजिटिव मरीज मिलेंगे उस इलाके या बिल्डिंग को सील कर उसके आसपास के इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया जाएगा। हालांकि, यह नियम यहां इसलिए लागू नहीं हुआ, क्योंकि इस एक मकान में भारी संख्या में लोग रहते हैं। इसके चलते सरकार ने पॉजिटिव मरीज मिलने के अगले ही दिन यानी 19 अप्रैल को इस बिल्डिंग को सील कर इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया था।
20 और 21 अप्रैल को भेजे गए थे सैंपल इसके साथ ही सील की गई बिल्डिंग में रहने वाले लोगों के अलावा दूध वाले, सब्जी वाले, आस पड़ोस के 95 लोगों के सैंपल 20 अप्रैल को लिए गए थे और 80 लोगों के सैंपल 21 अप्रैल को लिए गए थे। इन सभी सैंपल को टेस्ट के लिए नोएडा की एनआईबी लैब में भेजा गया था। इनमें से 67 लोगों की टेस्ट की रिपोर्ट आ गई है, जिसमें से 41 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए है। ये सभी एक ही बिल्डिंग में रहते हैं। बाकी लोगों की रिपोर्ट का जिला प्रशासन को इंतजार है।
तमाम प्रयासों के बाद भी दिल्ली कोरोना से लड़ाई में पीछे क्यों है और आखिर क्यों यहां केस कम होने का नाम नहीं ले रहे? इन सवालों का जवाब है देर से रिपोर्ट आना। यह उदाहरण कापसहेड़ा के इसी केस में दिखाई देता है जहां 20 और 21 अप्रैल को एनआईबी लैब, नोएडा में सैंपल भेज दिए गए थे लेकिन अब तक करीब 200 सैंपलों में से सिर्फ 67 की रिपोर्ट आई है, वो भी करीब 10 दिन बाद। ऐसे में जब तक अन्य सैंपल की रिपोर्ट आएगी तब तक प्रशासन को कार्रवाई करने में देर हो सकती है और स्थिति गंभीर हो सकती है।
तीन दिन में लैब पहुंच रहे सैंपल, 15 दिन में रिपोर्ट कोरोना वायरस को लेकर मंगलवार को 90 फीसदी दिल्ली ऑरेंज जोन में तब्दील हो सकती थी, लेकिन जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने के कारण ऐसा नहीं हो सका। मरीजों के सैंपल तीन-तीन दिन बाद लैब में जा रहे हैं और इनकी रिपोर्ट करी 15 दिन में आ रही है।
ऐसे में मरीज पॉजिटिव होगा भी तो वह ठीक हो गया होगा या फिर उससे कितने लोग संक्रमित हुए प्रशासन को इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। यही नहीं नॉन कोविड अस्पताल, दिल्ली पुलिस और सुरक्षा गार्डों के संक्रमित मिलने के चलते सरकार व प्रशासन भी चिंतित है।
सार
एक ही बिल्डिंग के 41 लोग पाए गए कोरोना संक्रमित
18 अप्रैल को एक संक्रमित पाए जाने के बाद से भवन सील
यहां एक केस के बाद ही घोषित किया गया कंटेनमेंट जोन
रिपोर्ट में देरी से कोरोना से जंग में पिछड़ रही दिल्ली
विस्तार
दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के कापसहेड़ा के कंटेनमेंट जोन से शनिवार को जिस तरह की खबर आई है वह राज्य सरकार के साथ ही स्थानीय निवासियों की भी चिंता बढ़ाने वाली है। दरअसल, 19 अप्रैल से कापसहेड़ा के ठेके वाली गली में जो मकान सील है, उसके 41 निवासियों में कोरोना की पुष्टि हुई है।
दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के डीएम ने जानकारी दी है कि कापसहेड़ा इलाके में डीसी दफ्तर के सामने वाली ठेके वाली गली की एक बिल्डिंग से 41 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। बता दें कि 18 अप्रैल को इस मकान में एक संक्रमित शख्स मिला था जिसके बाद इस मकान को सील कर इलाके को कंटेनमेंट जोन में डाल दिया गया था।
क्यों सिर्फ एक शख्स पॉजिटिव मिलने के बाद घोषित किया कंटेनमेंट जोन?
दिल्ली सरकार का नियम है कि जहां तीन या उससे अधिक पॉजिटिव मरीज मिलेंगे उस इलाके या बिल्डिंग को सील कर उसके आसपास के इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया जाएगा। हालांकि, यह नियम यहां इसलिए लागू नहीं हुआ, क्योंकि इस एक मकान में भारी संख्या में लोग रहते हैं। इसके चलते सरकार ने पॉजिटिव मरीज मिलने के अगले ही दिन यानी 19 अप्रैल को इस बिल्डिंग को सील कर इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया था।
20 और 21 अप्रैल को भेजे गए थे सैंपल इसके साथ ही सील की गई बिल्डिंग में रहने वाले लोगों के अलावा दूध वाले, सब्जी वाले, आस पड़ोस के 95 लोगों के सैंपल 20 अप्रैल को लिए गए थे और 80 लोगों के सैंपल 21 अप्रैल को लिए गए थे। इन सभी सैंपल को टेस्ट के लिए नोएडा की एनआईबी लैब में भेजा गया था। इनमें से 67 लोगों की टेस्ट की रिपोर्ट आ गई है, जिसमें से 41 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए है। ये सभी एक ही बिल्डिंग में रहते हैं। बाकी लोगों की रिपोर्ट का जिला प्रशासन को इंतजार है।
देर से रिपोर्ट आने के चलते कोरोना से जंग में पिछड़ रही दिल्ली
तमाम प्रयासों के बाद भी दिल्ली कोरोना से लड़ाई में पीछे क्यों है और आखिर क्यों यहां केस कम होने का नाम नहीं ले रहे? इन सवालों का जवाब है देर से रिपोर्ट आना। यह उदाहरण कापसहेड़ा के इसी केस में दिखाई देता है जहां 20 और 21 अप्रैल को एनआईबी लैब, नोएडा में सैंपल भेज दिए गए थे लेकिन अब तक करीब 200 सैंपलों में से सिर्फ 67 की रिपोर्ट आई है, वो भी करीब 10 दिन बाद। ऐसे में जब तक अन्य सैंपल की रिपोर्ट आएगी तब तक प्रशासन को कार्रवाई करने में देर हो सकती है और स्थिति गंभीर हो सकती है।
तीन दिन में लैब पहुंच रहे सैंपल, 15 दिन में रिपोर्ट कोरोना वायरस को लेकर मंगलवार को 90 फीसदी दिल्ली ऑरेंज जोन में तब्दील हो सकती थी, लेकिन जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने के कारण ऐसा नहीं हो सका। मरीजों के सैंपल तीन-तीन दिन बाद लैब में जा रहे हैं और इनकी रिपोर्ट करी 15 दिन में आ रही है।
ऐसे में मरीज पॉजिटिव होगा भी तो वह ठीक हो गया होगा या फिर उससे कितने लोग संक्रमित हुए प्रशासन को इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। यही नहीं नॉन कोविड अस्पताल, दिल्ली पुलिस और सुरक्षा गार्डों के संक्रमित मिलने के चलते सरकार व प्रशासन भी चिंतित है।