Coronavirus Case News In Hindi : Remdesivir Drug Being Effective In The War Against Pandemic, Increased Expectations – महामारी के खिलाफ जंग में प्रभावी हो रही रेमडेसिविर दवा, बढ़ी उम्मीदें




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अमेरिका में एक भारतवंशी फिजीशियन समेत जांचकर्ताओं की टीम ने क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों के उपचार में बड़ी सफलता पाई है। कैलिफोर्निया की फार्मा कंपनी ‘गिलीड साइंस’ ने इबोला के लिए तैयार दवा ‘रेमडेसिविर’ को कोरोना पीड़ितों पर असरकारी बताया है। यह पांच दिनों में ही ऐसा असर दिखाती है जो सामान्य उपचार में 10 दिनों में दिखाई देता है।

‘रेमडेसिविर’ दवा को अभी तक वैश्विक स्तर पर कहीं भी लाइसेंस हासिल नहीं है लेकिन कोविड-19 पीड़ितों पर इसका असर चमत्कारी है। जांच टीम में शामिल क्लीनिकल प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन और भारतीय मूल के एमडी अरुण सुब्रमण्यम ने बताया कि प्रारंभिक नतीजे बताते हैं कि 50 फीसदी रोगियों का पांच दिन की खुराक के साथ उपचार किया गया, जिनमें से आधे से अधिक को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है।

ये उत्साहजनक संकेत हैं लेकिन अभी अतिरिक्त डाटा की जरूरत है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार डॉ. एंथनी फौसी ने कहा, ‘आंकड़े बताते हैं कि इस दवा का रोगी के ठीक होने के समय में प्रभावी और सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘रेमडेसिविर दवा का अमेरिका, यूरोप और एशिया के 68 स्थानों पर 1,063 लोगों पर ट्रायल हो रहा है। पता चला है कि रेमडेसिविर दवा इस वायरस को रोक सकती है।’

जांच में खरी उतरने वाली पहली दवा

गिलीड साइंसेज की मानें तो रेमडेसिविर दवा कोरोना वायरस के खिलाफ इस तरह की जांच में खरी उतरने वाली पहली दवा होगी। इलाज का विकल्प मिलने पर महामारी से निपटने की दिशा में यह बड़ा कदम हो सकता है क्योंकि स्वास्थ्य अधिकारी अभी किसी तरह का टीका विकसित होने में कम से कम एक साल या उससे अधिक समय लगने की संभावना जता रहे हैं।

इबोला के इलाज में हो चुकी है नाकाम

इससे पहले रेमडेसिविर दवा इबोला के ट्रायल के दौरान नाकाम हो चुकी है। यही नहीं डब्ल्यूएचओ ने भी अपने एक सीमित अध्ययन के बाद कहा था कि वुहान में इस दवा का मरीजों पर सीमित असर पड़ा। हालांकि रेमडेसिविर दवा पर हुए इस ताजा शोध पर डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ अधिकारी माइकल रेयान ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इसे कोरोना वायरस के खात्मे की संभावना के रूप में देखा जा रहा है।

चीन ने किया था पेटेंट का आवेदन

चीन ने अमेरिका की बनाई हुई दवा रेमडेसिविर को 21 जनवरी को ही पेटेंट कराने के लिए आवेदन दिया था। उसे इस बात की जानकारी थी कि यह दवा कोरोना वायरस के इलाज में कारगर रही है। बता दें कि चीन ने वुहान में दिसंबर-2019 के अंत में कोरोना की पुष्टि की थी, जबकि दस्तावेज बताते हैं कि उसे पहले ही पता चल चुका था कि यह एक महामारी है।

सार

भारतवंशी फिजीशियन समेत जांचकर्ताओं ने तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में यह कामयाबी पाई है। भारतीय मूल के अरुण सुब्रमण्यम ने कहा कि इस दवा का पांच दिनों में ऐसा असर दिखा है जो सामान्य इलाज में 10 दिन में दिखाई देता है।

विस्तार

अमेरिका में एक भारतवंशी फिजीशियन समेत जांचकर्ताओं की टीम ने क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों के उपचार में बड़ी सफलता पाई है। कैलिफोर्निया की फार्मा कंपनी ‘गिलीड साइंस’ ने इबोला के लिए तैयार दवा ‘रेमडेसिविर’ को कोरोना पीड़ितों पर असरकारी बताया है। यह पांच दिनों में ही ऐसा असर दिखाती है जो सामान्य उपचार में 10 दिनों में दिखाई देता है।

‘रेमडेसिविर’ दवा को अभी तक वैश्विक स्तर पर कहीं भी लाइसेंस हासिल नहीं है लेकिन कोविड-19 पीड़ितों पर इसका असर चमत्कारी है। जांच टीम में शामिल क्लीनिकल प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन और भारतीय मूल के एमडी अरुण सुब्रमण्यम ने बताया कि प्रारंभिक नतीजे बताते हैं कि 50 फीसदी रोगियों का पांच दिन की खुराक के साथ उपचार किया गया, जिनमें से आधे से अधिक को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है।
ये उत्साहजनक संकेत हैं लेकिन अभी अतिरिक्त डाटा की जरूरत है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार डॉ. एंथनी फौसी ने कहा, ‘आंकड़े बताते हैं कि इस दवा का रोगी के ठीक होने के समय में प्रभावी और सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘रेमडेसिविर दवा का अमेरिका, यूरोप और एशिया के 68 स्थानों पर 1,063 लोगों पर ट्रायल हो रहा है। पता चला है कि रेमडेसिविर दवा इस वायरस को रोक सकती है।’

जांच में खरी उतरने वाली पहली दवा

गिलीड साइंसेज की मानें तो रेमडेसिविर दवा कोरोना वायरस के खिलाफ इस तरह की जांच में खरी उतरने वाली पहली दवा होगी। इलाज का विकल्प मिलने पर महामारी से निपटने की दिशा में यह बड़ा कदम हो सकता है क्योंकि स्वास्थ्य अधिकारी अभी किसी तरह का टीका विकसित होने में कम से कम एक साल या उससे अधिक समय लगने की संभावना जता रहे हैं।

इबोला के इलाज में हो चुकी है नाकाम

इससे पहले रेमडेसिविर दवा इबोला के ट्रायल के दौरान नाकाम हो चुकी है। यही नहीं डब्ल्यूएचओ ने भी अपने एक सीमित अध्ययन के बाद कहा था कि वुहान में इस दवा का मरीजों पर सीमित असर पड़ा। हालांकि रेमडेसिविर दवा पर हुए इस ताजा शोध पर डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ अधिकारी माइकल रेयान ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इसे कोरोना वायरस के खात्मे की संभावना के रूप में देखा जा रहा है।

चीन ने किया था पेटेंट का आवेदन

चीन ने अमेरिका की बनाई हुई दवा रेमडेसिविर को 21 जनवरी को ही पेटेंट कराने के लिए आवेदन दिया था। उसे इस बात की जानकारी थी कि यह दवा कोरोना वायरस के इलाज में कारगर रही है। बता दें कि चीन ने वुहान में दिसंबर-2019 के अंत में कोरोना की पुष्टि की थी, जबकि दस्तावेज बताते हैं कि उसे पहले ही पता चल चुका था कि यह एक महामारी है।




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