लंदन के चेल्सी और वेस्टमिंस्टर अस्पताल के बाहर साप्ताहिक ‘क्लैप फॉर अवर केयरर्स’ के दौरान एनएचएस स्टाफ ने ताली बजाकर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों की सराहना की।
– फोटो : PTI
महामारी से जूझ रहे दुनिया के देशों के लिए राहत की खबर है। अमेरिका की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी गीलीड साइंसेस इंक में बनी दवा रेमदेसवीर से कोरोना के गंभीर रोगियों को छह दिन में फायदा हुआ है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो मेडिसिन में दवा पर शोध चल रहा है जहां डॉक्टरों को बेहतर परिणाम दिखे हैं।
इस दवा के असर को देख उसके शेयर में भी बृहस्पतिवार को 16 फीसदी की तेजी दिखी। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भविष्य में ये दवा कारगर होगी। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के संक्रामक रोग विभाग की डॉ. कैथलीन मुलाने रेमदेसवी दवा का ट्रायल कर रही हैं।
वे बताती हैं कि यूनिवर्सिटी ने ट्रायल के लिए कोरोना से संक्रमित 125 मरीजों का चयन किया था। दवा से 113 मरीज ठीक हो गए। अधिकतर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वे घर पर स्वस्थ हैं। गंभीर मरीज भी छह दिन में ठीक होकर घर लौटे हैं।
इस ट्रायल में शामिल केवल तीन मरीज ही हैं जिनको दस दिन का इलाज दिया गया। अभी दो का इलाज चल रहा है। कुछ की मौत भी हुई है। इबोला के संक्रमण में भी दवा का परीक्षण हुआ था। इसी के बाद कुछ जानवरों पर अध्ययन में पाया गया कि ये दवा सार्स व मर्स के साथ कोरोना के इलाज में भी इस्तेमाल हो सकती है।
125 मरीजों पर हुआ दवा का ट्रायल 113 पूरी तरह हुए ठीक
दवा बनाने वाली कंपनी का कहना है कि अभी दुनियाभर से आ रही रिपोर्ट और आंकड़ों का अध्ययन जरूरी है तभी इसकी पुष्टि हो सकती है कि दवा कोरोना के इलाज में कितनी कारगर है। कंपनी का कहना है कि अभी सिर्फ एक स्थान से आए आंकड़ों के आधार पर निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है।
तीसरे चरण के अध्ययन का परिणाम जल्द
दुनियाभर के 169 अस्पतालों में कोरोना संक्रमित अलग-अलग लक्षण वाले 1600 मरीजों पर अध्ययन चल रहा है। दवा काे लेकर अध्ययन अभी तीसरे चरण में है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि माह के आखिर में परिणाम आ जाएगा कुछ जानकारी मई में मिलने की उम्मीद है।
डब्ल्यूएचओ और ट्रंप को भी काफी उम्मीद
डब्ल्यूएचओ व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को भी दवा के असर को देख बेहतर की उम्मीद है। डब्ल्यूएचओ पहले ही कह चुका है कि ये दवा जानलेवा कोरोना वायरस का सामना करने में सक्षम हो सकती है। वहीं ट्रंप ने कहा है कि उम्मीद है कि इस दवा के बेहतर परिणाम आएंगे।
महामारी से जूझ रहे दुनिया के देशों के लिए राहत की खबर है। अमेरिका की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी गीलीड साइंसेस इंक में बनी दवा रेमदेसवीर से कोरोना के गंभीर रोगियों को छह दिन में फायदा हुआ है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो मेडिसिन में दवा पर शोध चल रहा है जहां डॉक्टरों को बेहतर परिणाम दिखे हैं।
इस दवा के असर को देख उसके शेयर में भी बृहस्पतिवार को 16 फीसदी की तेजी दिखी। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भविष्य में ये दवा कारगर होगी। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के संक्रामक रोग विभाग की डॉ. कैथलीन मुलाने रेमदेसवी दवा का ट्रायल कर रही हैं।
वे बताती हैं कि यूनिवर्सिटी ने ट्रायल के लिए कोरोना से संक्रमित 125 मरीजों का चयन किया था। दवा से 113 मरीज ठीक हो गए। अधिकतर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वे घर पर स्वस्थ हैं। गंभीर मरीज भी छह दिन में ठीक होकर घर लौटे हैं।
इस ट्रायल में शामिल केवल तीन मरीज ही हैं जिनको दस दिन का इलाज दिया गया। अभी दो का इलाज चल रहा है। कुछ की मौत भी हुई है। इबोला के संक्रमण में भी दवा का परीक्षण हुआ था। इसी के बाद कुछ जानवरों पर अध्ययन में पाया गया कि ये दवा सार्स व मर्स के साथ कोरोना के इलाज में भी इस्तेमाल हो सकती है।
125 मरीजों पर हुआ दवा का ट्रायल 113 पूरी तरह हुए ठीक
दवा बनाने वाली कंपनी का कहना है कि अभी दुनियाभर से आ रही रिपोर्ट और आंकड़ों का अध्ययन जरूरी है तभी इसकी पुष्टि हो सकती है कि दवा कोरोना के इलाज में कितनी कारगर है। कंपनी का कहना है कि अभी सिर्फ एक स्थान से आए आंकड़ों के आधार पर निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है।
तीसरे चरण के अध्ययन का परिणाम जल्द
दुनियाभर के 169 अस्पतालों में कोरोना संक्रमित अलग-अलग लक्षण वाले 1600 मरीजों पर अध्ययन चल रहा है। दवा काे लेकर अध्ययन अभी तीसरे चरण में है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि माह के आखिर में परिणाम आ जाएगा कुछ जानकारी मई में मिलने की उम्मीद है।
डब्ल्यूएचओ और ट्रंप को भी काफी उम्मीद
डब्ल्यूएचओ व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को भी दवा के असर को देख बेहतर की उम्मीद है। डब्ल्यूएचओ पहले ही कह चुका है कि ये दवा जानलेवा कोरोना वायरस का सामना करने में सक्षम हो सकती है। वहीं ट्रंप ने कहा है कि उम्मीद है कि इस दवा के बेहतर परिणाम आएंगे।
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