Coronavirus Case News In Hindi : Rapid Test Kit, Chinese Companies Sent Rejected Kits From Europe In India, Whose Negligence – रैपिड जांच: चीनी कंपनियों ने भारत भेजीं यूरोप से खारिज करोड़ों की किट, कल बड़ा फैसला ले सकती सरकार




प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : Social Media

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देश में जिन चीनी कंपनियों की जांच किट पर सवाल उठे हैं, उन पर यूरोप पहले ही प्रतिबंध लगा चुका है। परिणाम भरोसेमंद न मिलने पर यूरोपीय देशों ने 20 लाख किट चीन को वापस भेज दी थीं। आरोप है, चीन ने महीने भर बाद करोड़ों की यही किट भारत को भेज दीं। शुरुआती जांच में संतोषजनक नतीजे आने पर किट्स राज्यों को भजीं, लेकिन राज्यों के सवाल खड़े करने पर इस्तेमाल रोक दिया गया है। परंतु बड़ा सवाल यह है कि इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है?

जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को सरकार चीनी किट्स पर बड़ा फैसला ले सकती है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया, 14 कंपनियों के बैच को संतोषजनक मान मंजूरी दी थी जिसमें चीन, नीदरलैंड और दक्षिण कोरिया सहित भारतीय कंपनियां भी थीं। सबसे पहले आपूर्ति चीन से शुरू हुई। दरअसल, वहां पहले से कंपनियां किट बना रही हैं। 

अब तक आईं 40 करोड़ की किट

चीन की वांडोफ बायोटे व लिवजोन डायग्नोस्टिक ने अब तक करीब 40 करोड़ की 8.5 लाख किट भारत को भेजी हैं। वांडोफ बायोटेक की 60 फीसदी से ज्यादा किट्स आई हैं। इसी कंपनी ने 20 लाख किट्स यूके सरकार को मार्च में दी थीं। वहां शुरुआती जांच में ही गड़बड़ी पकड़ने के बाद रोक लगा दी थी।

स्टॉक वापस लेना होगा

आईसीएमआर के मुताबिक, भारत ने किट्स के लिए परीक्षण प्रोटोकॉल बनाया है। इसके तहत कंपनी को बैच के अनुसार मान्यता दी जाएगी। एक बैच आने पर जांच के बाद आगे भेजा जाता है। उसी कंपनी के अगले बैच की फिर जांच होगी। खामी मिली तो पूरा स्टॉक कंपनी को वापस ले जाना होगा।

तुर्की में 35, स्पेन में 20 फीसदी ही सफल…

चीनी कंपनियों की किट पर कई देशों ने सवाल खड़े किए हैं। स्लोवाक, स्पेन, तुर्की और अमेरिका के कुछ राज्यों ने चीन से मंगाई गई इन रैपिड जांच किट्स को इस्तेमाल किया था, लेकिन गुणवत्ता न मिलने पर वापस कर दिया गया। तुर्की में इन किट्स की गुणवत्ता 35 तो स्पेन में 20 फीसदी ही थी। वहीं नियमानुसार गुणवत्ता 70 से 80 फीसदी तक होनी चाहिए।

चीनी दूतावास ने कहा- मामला गंभीर, करेंगे मदद

दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने कहा है, चीन से आने वाले स्वास्थ्य उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर वह बेहद गंभीर है और इसमें भारत की मदद करेगा। दूतावास ने कहा, भारत को प्रमाणित कंपनियों से ही सामग्री लेनी चाहिए। ऐसी कंपनियों से ही मेडिकल सामग्री खरीदें, जिसे चीन के अधिकारियों ने सत्यापित किया है।

क्या राज्य अपनी चूक पर डाल रहे पर्दा?…

कई राज्यों ने तो चीन की दोनों कंपनियों वांडोफ बायोटेक और लिवजोन डायग्नोस्टिक से रैपिड टेस्ट किट्स सीधे खरीदी थीं। तमिलनाडु ने दो बार में 24 और 34 हजार किट और छत्तीसगढ़ ने दक्षिण कोरिया की कंपनी एसडी बायोसेंसर को 75 हजार किट्स का ऑर्डर दिया।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केंद्र से मिली आर्थिक सहायता के जरिए इन किट्स को खरीदा जा रहा है। दिल्ली में इसी बजट से स्वदेशी कंपनी मायलैब की किट्स का इस्तेमाल आरटी पीसीआर में किया जा रहा है। लेकिन अब इन राज्यों का कहना है कि आईसीएमआर से मान्यता प्राप्त कंपनियों को ही ऑर्डर दिए गए।

इसलिए लगानी पड़ी तत्काल रोक

छत्तीसगढ़ में चार हजार में से 200 किट्स की जांच में एक पॉजिटिव मिला था। आरटी पीसीआर जांच में वह निगेटिव मिला। गुजरात को मिलीं किट्स में से एक हजार किट्स की जांच में करीब 10 फीसदी परिणाम ही मिले हैं। जबकि राजस्थान में 5 तो पश्चिम बंगाल में 2 या 3 फीसदी परिणाम ही मिले हैं। इसलिए अब इसकी दोबारा जांच जरूरी है।

23 कंपनियों के बैच को दी है मान्यता…

पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी इसकी मान्यता दे रहा है। अब तक 23 कंपनियों के बैच को मान्यता दी जा चुकी है जिनमें 9 स्वदेशी भी शामिल हैं। चीन, कोरिया, अमेरिका, नीदरलैंड इत्यादि देशों की इन कंपनियों को अब तक 51 लाख रैपिड टेस्ट किट्स के ऑर्डर भी दिए जा चुके हैं लेकिन आपूर्ति अभी तक चीनी कंपनियों से ही हुई है। 

दो बार में चीन से आईं किट्स

पिछले पांच दिन में चीनी कंपनियों से 8.5 लाख जांच किट्स प्राप्त हो चुकी हैं। जिसका पहला बैच (5.5 लाख किट्स) बीते 16 अप्रैल को भारत आया, जिन्हें 18 अप्रैल तक प्रभावित राज्यों को उपलब्ध भी करा दिया गया। दूसरी बार 21 अप्रैल को 3 लाख किट्स भारत आई हैं। इनमें 80 हजार किट्स राजस्थान और तमिलनाडु में मंगाए गए थे।

देश में जिन चीनी कंपनियों की जांच किट पर सवाल उठे हैं, उन पर यूरोप पहले ही प्रतिबंध लगा चुका है। परिणाम भरोसेमंद न मिलने पर यूरोपीय देशों ने 20 लाख किट चीन को वापस भेज दी थीं। आरोप है, चीन ने महीने भर बाद करोड़ों की यही किट भारत को भेज दीं। शुरुआती जांच में संतोषजनक नतीजे आने पर किट्स राज्यों को भजीं, लेकिन राज्यों के सवाल खड़े करने पर इस्तेमाल रोक दिया गया है। परंतु बड़ा सवाल यह है कि इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है?

जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को सरकार चीनी किट्स पर बड़ा फैसला ले सकती है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया, 14 कंपनियों के बैच को संतोषजनक मान मंजूरी दी थी जिसमें चीन, नीदरलैंड और दक्षिण कोरिया सहित भारतीय कंपनियां भी थीं। सबसे पहले आपूर्ति चीन से शुरू हुई। दरअसल, वहां पहले से कंपनियां किट बना रही हैं। 

अब तक आईं 40 करोड़ की किट

चीन की वांडोफ बायोटे व लिवजोन डायग्नोस्टिक ने अब तक करीब 40 करोड़ की 8.5 लाख किट भारत को भेजी हैं। वांडोफ बायोटेक की 60 फीसदी से ज्यादा किट्स आई हैं। इसी कंपनी ने 20 लाख किट्स यूके सरकार को मार्च में दी थीं। वहां शुरुआती जांच में ही गड़बड़ी पकड़ने के बाद रोक लगा दी थी।

स्टॉक वापस लेना होगा

आईसीएमआर के मुताबिक, भारत ने किट्स के लिए परीक्षण प्रोटोकॉल बनाया है। इसके तहत कंपनी को बैच के अनुसार मान्यता दी जाएगी। एक बैच आने पर जांच के बाद आगे भेजा जाता है। उसी कंपनी के अगले बैच की फिर जांच होगी। खामी मिली तो पूरा स्टॉक कंपनी को वापस ले जाना होगा।

तुर्की में 35, स्पेन में 20 फीसदी ही सफल…




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