नोवेल कोरोना वायरस से जुड़ी सूचनाएं दबाने और इसका पूरा सच छिपाने के लिए चीन के खिलाफ पहला मुकदमा अमेरिका के मिसौरी राज्य में दर्ज किया गया है। चीन पर कोविड-19 का भंडाफोड़ करने वालों को गिरफ्तार करने, इसकी संक्रामक प्रकृति से इनकार करने का आरोप लगाते हुए दुनिया भर में इस वायरस से हुई मानवीय क्षति व अर्थव्यवस्था को हुए बड़े नुकसान के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है।
ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट मिसौरी की एक जिला अदालत में मिसौरी के अटॉर्नी जनरल एरिक शिमिट की ओर से चीन की सरकार, सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और अन्य अधिकारियों एवं संस्थानों के खिलाफ अपनी तरह का पहला मुकदमा दायर किया गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना वायरस के फैलने के शुरुआती हफ्तों में चीन के अधिकारियों ने जनता को धोखा दिया, महत्वपूर्ण सूचनाओं को दबाया, इस बारे में जानकारी सामने लाने वालों को गिरफ्तार किया, पर्याप्त प्रमाण होने के बावजूद मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण की बात से इनकार किया।
चीन पर महत्वपूर्ण चिकित्सकीय अनुसंधानों को नष्ट करने और लाखों लोगों को संक्रमण की चपेट में डालने का आरोप लगाया है। इसके अलावा निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की जमाखोरी की जिससे महामारी वैश्विक हो गयी। उन्होंने आरोप लगाया, चीनी सरकार ने कोविड-19 के खतरे और संक्रामक प्रकृति के बारे में दुनिया से झूठ बोला, जो इसके खिलाफ आवाज उठा रहे थे, उनकी आवाज दबा दी और बीमारी को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। इसमें दावा किया गया कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों के पास मनुष्यों के बीच संक्रमण के पर्याप्त प्रमाण थे।
दुनिया भर में मौतों का जिम्मेदार चीन
अटॉर्नी जनरल एरिक शिमिट ने कहा, ‘कोरोना से दुनियाभर में लाखों लोगां की मौत हुई है। इसके लिए सीधे तौर पर चीन जिम्मेदार है। इसके अलावा देशों की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है। मिसौरी में वायरस से हजारों लोग प्रभावित हुए हैं और कई मर चुके हैं। परिवार अपने प्रियजनों से बिछड़ गए हैं। छोटे कारोबार बंद हो रहे हैं तथा रोजाना कमाकर खाने वाले पेट भरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’
चीन दुनिया को बताए कहां से आया कोरोना: रॉबर्ट ओ ब्रायन
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा चीन को दुनिया को बताना चाहिए कि नोवेल कोरोना वायरस की उत्पत्ति कहां से हई। चीन पर अब जब वैश्विक दबाव बढ़ रहा है उसे इस वायरस के पूरे सुबूत देने होंगे। ओ ब्रायन ने कहा, इस बीमारी का भंडाफोड़ करने वाले चीनी अधिकारी गायब हो गए हैं, मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिए गए। इसके अलावा सीडीसी स्थापित करने और इस मामले में पश्चिमी विशेषज्ञों की मदद के प्रस्ताव को भी चीन ठुकरा चुका है। लेकिन अब दुनिया भर के देश उसके खिलाफ खड़े हुए हैं और ऐसे में उसे इस महामारी से जुड़ी सूचनाएं देनी होंगी।
अपने खिलाफ दर्ज केस को चीन ने किया खारिज, मुकदमे को मूर्खता बताया…
अमेरिका में अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे को खारिज करते हुए चीन ने इसे एक मुर्खता करार दिया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, मुकदमे में लगाए गए आरोप पूरी तरह तथ्यहीन हैं और इनका कोई कानूनी आधार नहीं। गेंग ने दावा किया कि कोरोना संकट में शुरुआत से चीन पारदर्शिता अपना रहा है।
इससे जुड़ी जानकारी अमेरिका, डब्ल्यूएचओ समेत पूरी दुनिया के साथ जिम्मेदारीपूर्ण ढंग से साझा की गई। उन्होंने कहा, अमेरिका से इस मुद्दे पर 3 जनवरी को बातचीत शुरू हो गई थी।
अमेरिकी कोर्ट में दर्ज मुकदमा अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत संप्रभुता के अधिकार का उल्लंघन है। कोरोना मामले में चीनी सरकार के रवैये को किसी सूरत में अमेरिकी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। अमेरिका को तुरंत इन सभी आरोपों को खारिज करना चाहिए।
सार
- मिसौरी के अटॉर्नी जनरल ने चीन सरकार, अधिकारियों पर दुनिया को धोखे में रखने का केस दर्ज किया
- दुनियाभर के देशों को हुई मानवीय क्षति व अर्थव्यवस्था के नुकसान के लिए चीन को ठहराया जिम्मेदार
विस्तार
नोवेल कोरोना वायरस से जुड़ी सूचनाएं दबाने और इसका पूरा सच छिपाने के लिए चीन के खिलाफ पहला मुकदमा अमेरिका के मिसौरी राज्य में दर्ज किया गया है। चीन पर कोविड-19 का भंडाफोड़ करने वालों को गिरफ्तार करने, इसकी संक्रामक प्रकृति से इनकार करने का आरोप लगाते हुए दुनिया भर में इस वायरस से हुई मानवीय क्षति व अर्थव्यवस्था को हुए बड़े नुकसान के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है।
ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट मिसौरी की एक जिला अदालत में मिसौरी के अटॉर्नी जनरल एरिक शिमिट की ओर से चीन की सरकार, सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और अन्य अधिकारियों एवं संस्थानों के खिलाफ अपनी तरह का पहला मुकदमा दायर किया गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना वायरस के फैलने के शुरुआती हफ्तों में चीन के अधिकारियों ने जनता को धोखा दिया, महत्वपूर्ण सूचनाओं को दबाया, इस बारे में जानकारी सामने लाने वालों को गिरफ्तार किया, पर्याप्त प्रमाण होने के बावजूद मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण की बात से इनकार किया।
चीन पर महत्वपूर्ण चिकित्सकीय अनुसंधानों को नष्ट करने और लाखों लोगों को संक्रमण की चपेट में डालने का आरोप लगाया है। इसके अलावा निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की जमाखोरी की जिससे महामारी वैश्विक हो गयी। उन्होंने आरोप लगाया, चीनी सरकार ने कोविड-19 के खतरे और संक्रामक प्रकृति के बारे में दुनिया से झूठ बोला, जो इसके खिलाफ आवाज उठा रहे थे, उनकी आवाज दबा दी और बीमारी को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। इसमें दावा किया गया कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों के पास मनुष्यों के बीच संक्रमण के पर्याप्त प्रमाण थे।
दुनिया भर में मौतों का जिम्मेदार चीन
अटॉर्नी जनरल एरिक शिमिट ने कहा, ‘कोरोना से दुनियाभर में लाखों लोगां की मौत हुई है। इसके लिए सीधे तौर पर चीन जिम्मेदार है। इसके अलावा देशों की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है। मिसौरी में वायरस से हजारों लोग प्रभावित हुए हैं और कई मर चुके हैं। परिवार अपने प्रियजनों से बिछड़ गए हैं। छोटे कारोबार बंद हो रहे हैं तथा रोजाना कमाकर खाने वाले पेट भरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’
चीन दुनिया को बताए कहां से आया कोरोना: रॉबर्ट ओ ब्रायन
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा चीन को दुनिया को बताना चाहिए कि नोवेल कोरोना वायरस की उत्पत्ति कहां से हई। चीन पर अब जब वैश्विक दबाव बढ़ रहा है उसे इस वायरस के पूरे सुबूत देने होंगे। ओ ब्रायन ने कहा, इस बीमारी का भंडाफोड़ करने वाले चीनी अधिकारी गायब हो गए हैं, मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिए गए। इसके अलावा सीडीसी स्थापित करने और इस मामले में पश्चिमी विशेषज्ञों की मदद के प्रस्ताव को भी चीन ठुकरा चुका है। लेकिन अब दुनिया भर के देश उसके खिलाफ खड़े हुए हैं और ऐसे में उसे इस महामारी से जुड़ी सूचनाएं देनी होंगी।
अपने खिलाफ दर्ज केस को चीन ने किया खारिज, मुकदमे को मूर्खता बताया…
अमेरिका में अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे को खारिज करते हुए चीन ने इसे एक मुर्खता करार दिया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, मुकदमे में लगाए गए आरोप पूरी तरह तथ्यहीन हैं और इनका कोई कानूनी आधार नहीं। गेंग ने दावा किया कि कोरोना संकट में शुरुआत से चीन पारदर्शिता अपना रहा है।
इससे जुड़ी जानकारी अमेरिका, डब्ल्यूएचओ समेत पूरी दुनिया के साथ जिम्मेदारीपूर्ण ढंग से साझा की गई। उन्होंने कहा, अमेरिका से इस मुद्दे पर 3 जनवरी को बातचीत शुरू हो गई थी।
अमेरिकी कोर्ट में दर्ज मुकदमा अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत संप्रभुता के अधिकार का उल्लंघन है। कोरोना मामले में चीनी सरकार के रवैये को किसी सूरत में अमेरिकी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। अमेरिका को तुरंत इन सभी आरोपों को खारिज करना चाहिए।
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