Will Priyanka Gandhi Vadra Be Able To Fulfill Rahul’s Dream In Uttar Pradesh – क्या उत्तर प्रदेश में राहुल के सपने को पूरा कर पाएंगी प्रियंका गांधी वाड्रा?




राहुल गांधी-प्रियंका गांधी वाड्रा (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI

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अपने राजनीतिक दांव में उत्तर प्रदेश सरकार को उलझा लेने वाली कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा क्या अपने भाई और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सपने को पूरा कर पाएंगी? खुद राहुल गांधी के अनुसार प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में एक बड़े मिशन पर हैं।

कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में 2022 में पार्टी की सरकार बनवाने की जिम्मेदारी दी है। भाजपा के वाराणसी प्रांत के नेता ज्ञानेश्वर शुक्ला का कहना है कि राजनीति में मुगालता भी अच्छा होता है। क्या पता प्रियंका गांधी वाड्रा दिन में तारे तोड़ लें?

वैसे अभी तो कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में कहां खड़ी है, उसे भी पता नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक करीबी विधायक का कहना है कि मजदूरों के मुद्दे पर गंभीर समय में राजनीति करके वह जो कर रही हैं, उसे प्रदेश की जनता भी देख रही है।

कांग्रेस पार्टी के खेमे में उत्साह

कांग्रेस पार्टी के खेमे में प्रियंका गांधी के गरीब मजदूरों को घर पहुंचाने के उत्तर प्रदेश सरकार को 1000 बसों का प्रस्ताव देने से लबालब उत्साह देखने को मिल रहा है। सूचना है कि 21 मई को बड़ी संख्या में कांग्रेस के युवा नेता लखनऊ इकट्ठा होने वाले हैं।

दिल्ली के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी भी गुरुवार को सड़क के रास्ते से लखनऊ जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कोई खुलासा नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनके उत्साह से लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को घेरने की बड़ी योजना बना रही है।

गुरुवार को भी उत्तर प्रदेश सरकार और कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी के बीच में राजनीतिक तानातनी चलती रही। पार्टी के नेताओं का मानना है कि प्रियंका गांधी के इस कदम को उत्तर प्रदेश के कोने कोने से जनसमर्थन मिल रहा है।

मायावती के माथे पर बल, अखिलेश ने संभाला कदम

प्रियंका गांधी वाड्रा इस समय उत्तर प्रदेश की राजनीति का केंद्र बन चुकी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम को भी कहीं न कहीं दांव उलटा पड़ता दिखाई दे रहा है। लिहाजा टीम डैमेज कंट्रोल में जुट गई है।

दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्रियों का खेमा भी इस बसों के मुद्दे पर टकराव को अपने-अपने नजरिए से देख रहा है। ऐसे आसार हैं कि इसका प्रियंका गांधी को राजनीतिक लाभ मिल सकता है।

मायावती भी प्रियंका की गतिविधियों को लेकर चौकन्नी हैं। आमतौर पर खामोशी और कभी-कभी हमला बोलकर राजनीति करने वाली मायावती ने प्रियंका द्वारा बसों का प्रस्ताव देने पर इसे हाथों-हाथ लेकर प्रतिक्रिया दी थी।

जबकि अखिलेश यादव ने संभलकर बयान दिया था। उन्होंने प्रियंका के प्रस्ताव को स्वीकारना उत्तर प्रदेश सरकार की भूल, चूक और नासमझी से जोड़ने की कोशिश की। मायावती और अखिलेश का बयान आने के बाद कांग्रेस के नेताओं को प्रियंका का तीर निशाने पर जाकर लगता दिखाई दे रहा है।

फसल बोए प्रिंयका और अनाज ढो ले गई साइकिल या हाथी तो?

समाजवादी पार्टी और बसपा दोनों ही दलों के नेताओं की निगाह राजनीतिक फसल के पककर तैयार होने के बाद आने वाले अनाज पर टिकी है। कांग्रेस के नेता भी मानते हैं कि ऐसा पहले हुआ है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रभारी और पूर्व महासचिव कहते हैं कि सरकार विरोधी लहर कांग्रेस ने पहले भी दो बार पैदा की थी और दोनों बार बारी-बारी से सपा, बसपा बाजी मार ले गए थे। हालांकि उत्तर प्रदेश कांग्रेस में अखिलेश प्रताप सिंह, प्रमोद तिवारी जैसे कई नेता हैं।

इनका मानना है कि 2022 में ऐसा नहीं होगा। पार्टी के एक नेता कहते हैं कि जब प्रियंका ही कांग्रेस की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार रहेंगी तो सपा, बसपा के हाथ कुछ नहीं लगने वाला है।

भाजपा के नेताओं ने ली राहत की सांस

कोविड-19 संक्रमण मामले में कांग्रेस से 1000 बसों का प्रस्ताव स्वीकारने के बाद बैकफुट पर चल रहे, भाजपा के नेताओं को अब सबकुछ ठीक लग रहा है। जौनपुर के एक विधायक का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर बयान दे रही है।

इसलिए उनका बोलना ठीक नहीं है, लेकिन इससे अंतत: फायदा भाजपा को ही होगा। सूत्र का कहना है कि अभी उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित चुनाव में पौने दो साल का समय है।

तब तक कोविड-19 और गरीब मजदूरों का मुद्दा नया मोड़ ले लेगा। अच्छी बात यह है कि इसके कारण मजदूर अब सड़क पर पैदल कम दिखाई दे रहे हैं। केंद्र सरकार उन्हें रेलगाड़ी से उनके गांव पहुंचाने के लिए नियम भी बदल लिया है। अब सीधे केन्द्र सरकार श्रमिक स्पेशल रेल का निर्णय लेगी।

सार

  • पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने एक मकसद से दी थी प्रियंका को कमान
  • मायावती को भी प्रियंका का सेंटर में खेलना अखरने लगा है
  • अखिलेश यादव भी संभल कर देख रहे हैं राजनीति की धार
  • भाजपा के नेताओं ने भी ली है राहत की सांस

विस्तार

अपने राजनीतिक दांव में उत्तर प्रदेश सरकार को उलझा लेने वाली कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा क्या अपने भाई और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सपने को पूरा कर पाएंगी? खुद राहुल गांधी के अनुसार प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में एक बड़े मिशन पर हैं।

कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में 2022 में पार्टी की सरकार बनवाने की जिम्मेदारी दी है। भाजपा के वाराणसी प्रांत के नेता ज्ञानेश्वर शुक्ला का कहना है कि राजनीति में मुगालता भी अच्छा होता है। क्या पता प्रियंका गांधी वाड्रा दिन में तारे तोड़ लें?

वैसे अभी तो कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में कहां खड़ी है, उसे भी पता नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक करीबी विधायक का कहना है कि मजदूरों के मुद्दे पर गंभीर समय में राजनीति करके वह जो कर रही हैं, उसे प्रदेश की जनता भी देख रही है।

कांग्रेस पार्टी के खेमे में उत्साह

कांग्रेस पार्टी के खेमे में प्रियंका गांधी के गरीब मजदूरों को घर पहुंचाने के उत्तर प्रदेश सरकार को 1000 बसों का प्रस्ताव देने से लबालब उत्साह देखने को मिल रहा है। सूचना है कि 21 मई को बड़ी संख्या में कांग्रेस के युवा नेता लखनऊ इकट्ठा होने वाले हैं।

दिल्ली के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी भी गुरुवार को सड़क के रास्ते से लखनऊ जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कोई खुलासा नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनके उत्साह से लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को घेरने की बड़ी योजना बना रही है।

गुरुवार को भी उत्तर प्रदेश सरकार और कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी के बीच में राजनीतिक तानातनी चलती रही। पार्टी के नेताओं का मानना है कि प्रियंका गांधी के इस कदम को उत्तर प्रदेश के कोने कोने से जनसमर्थन मिल रहा है।

मायावती के माथे पर बल, अखिलेश ने संभाला कदम

प्रियंका गांधी वाड्रा इस समय उत्तर प्रदेश की राजनीति का केंद्र बन चुकी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम को भी कहीं न कहीं दांव उलटा पड़ता दिखाई दे रहा है। लिहाजा टीम डैमेज कंट्रोल में जुट गई है।

दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्रियों का खेमा भी इस बसों के मुद्दे पर टकराव को अपने-अपने नजरिए से देख रहा है। ऐसे आसार हैं कि इसका प्रियंका गांधी को राजनीतिक लाभ मिल सकता है।

मायावती भी प्रियंका की गतिविधियों को लेकर चौकन्नी हैं। आमतौर पर खामोशी और कभी-कभी हमला बोलकर राजनीति करने वाली मायावती ने प्रियंका द्वारा बसों का प्रस्ताव देने पर इसे हाथों-हाथ लेकर प्रतिक्रिया दी थी।

जबकि अखिलेश यादव ने संभलकर बयान दिया था। उन्होंने प्रियंका के प्रस्ताव को स्वीकारना उत्तर प्रदेश सरकार की भूल, चूक और नासमझी से जोड़ने की कोशिश की। मायावती और अखिलेश का बयान आने के बाद कांग्रेस के नेताओं को प्रियंका का तीर निशाने पर जाकर लगता दिखाई दे रहा है।

फसल बोए प्रिंयका और अनाज ढो ले गई साइकिल या हाथी तो?

समाजवादी पार्टी और बसपा दोनों ही दलों के नेताओं की निगाह राजनीतिक फसल के पककर तैयार होने के बाद आने वाले अनाज पर टिकी है। कांग्रेस के नेता भी मानते हैं कि ऐसा पहले हुआ है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रभारी और पूर्व महासचिव कहते हैं कि सरकार विरोधी लहर कांग्रेस ने पहले भी दो बार पैदा की थी और दोनों बार बारी-बारी से सपा, बसपा बाजी मार ले गए थे। हालांकि उत्तर प्रदेश कांग्रेस में अखिलेश प्रताप सिंह, प्रमोद तिवारी जैसे कई नेता हैं।

इनका मानना है कि 2022 में ऐसा नहीं होगा। पार्टी के एक नेता कहते हैं कि जब प्रियंका ही कांग्रेस की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार रहेंगी तो सपा, बसपा के हाथ कुछ नहीं लगने वाला है।

भाजपा के नेताओं ने ली राहत की सांस

कोविड-19 संक्रमण मामले में कांग्रेस से 1000 बसों का प्रस्ताव स्वीकारने के बाद बैकफुट पर चल रहे, भाजपा के नेताओं को अब सबकुछ ठीक लग रहा है। जौनपुर के एक विधायक का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर बयान दे रही है।

इसलिए उनका बोलना ठीक नहीं है, लेकिन इससे अंतत: फायदा भाजपा को ही होगा। सूत्र का कहना है कि अभी उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित चुनाव में पौने दो साल का समय है।

तब तक कोविड-19 और गरीब मजदूरों का मुद्दा नया मोड़ ले लेगा। अच्छी बात यह है कि इसके कारण मजदूर अब सड़क पर पैदल कम दिखाई दे रहे हैं। केंद्र सरकार उन्हें रेलगाड़ी से उनके गांव पहुंचाने के लिए नियम भी बदल लिया है। अब सीधे केन्द्र सरकार श्रमिक स्पेशल रेल का निर्णय लेगी।




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