विश्व स्वास्थ्य संगठन
– फोटो : social media
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सोमवार को भारत समेत 100 देशों की मांग पर कोरोना वायरस को लेकर अपनी भूमिका की निष्पक्ष जांच को तैयार हो गया। इस बीच संगठन प्रमुख टेड्रॉस ए गेब्रेयसस ने सभी देशों से एजेंसी का वित्त पोषण जारी रखने का आग्रह भी किया।
गेब्रेयसस ने कहा, वह जल्द से जल्द संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी की महामारी से निपटने की भूमिका पर जांच शुरू करेंगे। विश्व स्वास्थ्य सभा की 73वीं बैठक में कोविड-19 महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर प्रस्ताव रखने के बाद उन्होंने यह भरोसा दिया। डब्ल्यूएचओ पर लग रहे आरोपों का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया को किसी अन्य तंत्र, समिति या संगठन की जरूरत नहीं है। डब्ल्यूएचओ को मजबूती चाहिए, इसलिए इसका वित्त पोषण जरूरी है। इससे पहले विश्व स्वास्थ्य सभा में डब्ल्यूएचओ की स्वतंत्र जांच के लिए प्रस्ताव को भारत समेत 62 देशों ने अपना समर्थन दिया। प्रस्ताव में कोविड-19 महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की स्वतंत्र जांच कराने का आग्रह किया गया।
चीन भी जांच को तैयार, देनी पड़ी सफाई
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी कोविड-19 महामारी पर डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की जांच को तैयार हो गए। उन्होंने कहा, चीन डब्ल्यूएचओ की अगुवाई में कोरोना महामारी में वैश्विक कार्रवाई की समीक्षा का समर्थन करता है। चीन जांच के लिए तैयार है, लेकिन यह स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से की जानी चाहिए। इस बीच उन्होंने यह भी घोषणा की कि उनका देश इस महामारी से जंग के लिए दो साल में दो अरब डॉलर की मदद भी देगा। यह मदद विशेष रूप से विकासशील देशों की होगी।
विश्व स्वास्थ्य सभा की 73वीं बैठक में जिनपिंग ने कोरोना महामारी पर अपनी भूमिका पर उठ रहे सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने कहा, चीन ने डब्ल्यूएचओ और अन्य देशों को वायरस के आनुवांशिक क्रम समेत सभी प्रासंगिक डाटा उपलब्ध कराया है। हमने इस वायरस के इलाज और इसके नियंत्रण के अनुभव साझा किए हैं। हमने जरूरत पड़ने पर दूसरे देशों को मदद पहुंचाई है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन में कोरोना वायरस को लेकर पांच वैक्सीनों का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। कोरोना महामारी के खिलाफ चीन में बन रही वैक्सीन तक पूरी दुनिया की पहुंच होगी।
चीन-अमेरिका तनाव के बीच शुरू हुआ सम्मेलन
डब्ल्यूएचओ का सम्मेलन पहली बार ऑनलाइन माध्यम हो रहा है और वह भी ऐसे माहौल में जब चीन-अमेरिका के बीच का तनाव कोविड-19 संकट से निपटने के मजबूत कदमों को पटरी से उतार सकता है। अमूमन तीन सप्ताह का यह सम्मेलन इस बार सिर्फ दो दिन सोमवार और मंगलवार को आयोजित हो रहा है। सम्मेलन में दुनिया भर की सरकारों के प्रतिनिधि, स्वास्थ्य मंत्री और अन्य पदाधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।
हर्षवर्धन ने किया भारत का प्रतिनिधित्व
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को 73वें विश्व स्वास्थ्य सभा में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारत का प्रतिनिधित्व किया।
चीन के दबाव में ताइवान को नहीं किया गया आमंत्रित
ताइवान को कई वर्षों तक इस सम्मेलन में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होने का निमंत्रण मिलता रहा है लेकिन 2016 में इसे बंद कर दिया गया क्योंकि ताइवानी राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने देश को चीन का हिस्सा मानने की अवधारणा को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। बेलीज, ग्वाटेमाला समेत 15 देशों ने डब्ल्यूएचओ प्रमुख को इस एजेंडे में ताइवान की भागीदारी के सवाल को शामिल करने के लिए पत्र लिखा है। हालांकि ऐसा करने वालों में अमेरिका शामिल नहीं है। चीन के दबाव के चलते इस बार भी ताइवान को आमंत्रित नहीं किया गया है। इसकी जानकारी ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने दी है।
सार
- संगठन प्रमुख गेब्रेयसस की अपील, एजेंसी का वित्त पोषण जारी रखें देश
- जिनपिंग की घोषणा, कोरोना से जंग के लिए 2 साल में 2 अरब डॉलर की मदद देंगे
विस्तार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सोमवार को भारत समेत 100 देशों की मांग पर कोरोना वायरस को लेकर अपनी भूमिका की निष्पक्ष जांच को तैयार हो गया। इस बीच संगठन प्रमुख टेड्रॉस ए गेब्रेयसस ने सभी देशों से एजेंसी का वित्त पोषण जारी रखने का आग्रह भी किया।
गेब्रेयसस ने कहा, वह जल्द से जल्द संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी की महामारी से निपटने की भूमिका पर जांच शुरू करेंगे। विश्व स्वास्थ्य सभा की 73वीं बैठक में कोविड-19 महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर प्रस्ताव रखने के बाद उन्होंने यह भरोसा दिया। डब्ल्यूएचओ पर लग रहे आरोपों का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया को किसी अन्य तंत्र, समिति या संगठन की जरूरत नहीं है। डब्ल्यूएचओ को मजबूती चाहिए, इसलिए इसका वित्त पोषण जरूरी है। इससे पहले विश्व स्वास्थ्य सभा में डब्ल्यूएचओ की स्वतंत्र जांच के लिए प्रस्ताव को भारत समेत 62 देशों ने अपना समर्थन दिया। प्रस्ताव में कोविड-19 महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की स्वतंत्र जांच कराने का आग्रह किया गया।
चीन भी जांच को तैयार, देनी पड़ी सफाई
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी कोविड-19 महामारी पर डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की जांच को तैयार हो गए। उन्होंने कहा, चीन डब्ल्यूएचओ की अगुवाई में कोरोना महामारी में वैश्विक कार्रवाई की समीक्षा का समर्थन करता है। चीन जांच के लिए तैयार है, लेकिन यह स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से की जानी चाहिए। इस बीच उन्होंने यह भी घोषणा की कि उनका देश इस महामारी से जंग के लिए दो साल में दो अरब डॉलर की मदद भी देगा। यह मदद विशेष रूप से विकासशील देशों की होगी।
विश्व स्वास्थ्य सभा की 73वीं बैठक में जिनपिंग ने कोरोना महामारी पर अपनी भूमिका पर उठ रहे सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने कहा, चीन ने डब्ल्यूएचओ और अन्य देशों को वायरस के आनुवांशिक क्रम समेत सभी प्रासंगिक डाटा उपलब्ध कराया है। हमने इस वायरस के इलाज और इसके नियंत्रण के अनुभव साझा किए हैं। हमने जरूरत पड़ने पर दूसरे देशों को मदद पहुंचाई है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन में कोरोना वायरस को लेकर पांच वैक्सीनों का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। कोरोना महामारी के खिलाफ चीन में बन रही वैक्सीन तक पूरी दुनिया की पहुंच होगी।
चीन-अमेरिका तनाव के बीच शुरू हुआ सम्मेलन
डब्ल्यूएचओ का सम्मेलन पहली बार ऑनलाइन माध्यम हो रहा है और वह भी ऐसे माहौल में जब चीन-अमेरिका के बीच का तनाव कोविड-19 संकट से निपटने के मजबूत कदमों को पटरी से उतार सकता है। अमूमन तीन सप्ताह का यह सम्मेलन इस बार सिर्फ दो दिन सोमवार और मंगलवार को आयोजित हो रहा है। सम्मेलन में दुनिया भर की सरकारों के प्रतिनिधि, स्वास्थ्य मंत्री और अन्य पदाधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।
हर्षवर्धन ने किया भारत का प्रतिनिधित्व
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को 73वें विश्व स्वास्थ्य सभा में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारत का प्रतिनिधित्व किया।
चीन के दबाव में ताइवान को नहीं किया गया आमंत्रित
ताइवान को कई वर्षों तक इस सम्मेलन में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होने का निमंत्रण मिलता रहा है लेकिन 2016 में इसे बंद कर दिया गया क्योंकि ताइवानी राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने देश को चीन का हिस्सा मानने की अवधारणा को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। बेलीज, ग्वाटेमाला समेत 15 देशों ने डब्ल्यूएचओ प्रमुख को इस एजेंडे में ताइवान की भागीदारी के सवाल को शामिल करने के लिए पत्र लिखा है। हालांकि ऐसा करने वालों में अमेरिका शामिल नहीं है। चीन के दबाव के चलते इस बार भी ताइवान को आमंत्रित नहीं किया गया है। इसकी जानकारी ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने दी है।
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