Ten Low To Moderate Intensity Tremors Shake Delhi Ncr In One And Half Month Indicate Powerful Earthquake – डेढ़ महीने में 10 बार दिल्ली-एनसीआर में आया भूकंप, भूवैज्ञानिकों ने दी चेतावनी




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डेढ़ महीने के अंदर दिल्ली-एनसीआर में मध्यम से तीव्रता वाले 10 भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। ये इस बात का संकेत है कि भविष्य में देश की राजधानी दिल्ली में एक बड़ा भूकंप आ सकता है। इसकी चेतावनी देश के शीर्ष भूवैज्ञानिकों में से एक ने दी है। 
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आनेे वाली एक संस्था के प्रमुख ने कहा, ‘हम समय, स्थान या सटीक पैमाने का अनुमान नहीं लगा सकते हैं, लेकिन यह मानते हैं कि एनसीआर क्षेत्र में लगातार भूकंपीय गतिविधि चल रही है जो दिल्ली में एक बड़े भूकंप का कारण बन सकती है।’

दुर्भाग्य से, दिल्ली उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्रों के अंतर्गत आता है और इसके सीमावर्ती शहरों में हाई राइज निजी भवनों का निर्माण किया है, उनमें से बहुत कम ने भूकंप प्रतिरोधी निर्माण के लिए निर्धारित ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) के अनिवार्य दिशा निर्देशों का पालन किया है।

यदि दिल्ली-एनसीआर में 5.5 या 6.0 की तीव्रता वाला भूकंप आता है तो क्या होगा इसका जवाब देते हुए भूकंप इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ ने कहा, ‘29 मई शुक्रवार को दिल्ली में भूकंप के दो झटके महसूस किए गए जिसकी तीव्रता 4.5 थी लेकिन यदि यह थोड़ा और अधिक तीव्र होता तो इसके प्रभाव गंभीर हो सकते थे। रिक्टर पैमाने पर दिल्ली में 6.0 के भूकंप का प्रभाव विनाशकारी होगा। कई इमारतें धूल से पट जाएंगी।’

यह भी पढ़ें- 52 मिनट में दो बार भूकंप के झटकों से हिला दिल्ली एनसीआर, हरियाणा का रोहतक रहा केंद्र

नोएडा, गुरुग्राम और दिल्ली के पड़ोसी इलाकों में असंख्य ऊंची इमारतों ने बीआईएस मानदंडों का उल्लंघन किया है। एक प्रोफेसर ने कहा, ‘सभी जानते हैं कि दिल्ली-एनसीआर भूकंपीय क्षेत्र-4 के अंतर्गत आता है और यहां भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं लेकिन इसके बावजूद अधिकांश बिल्डर्स ने बीआईएस के मानदंडों का पालन नहीं किया है। आर्किटेक्ट और बिल्डरों के बीच सांठगांठ के कारण कड़े भूकंप (प्रतिरोधी) कोड से समझौता किया गया है। ऐसे में यदि किसी भी दिन यहां उच्च तीव्रता का भूकंप आता है तो उसके परिणाम गंभीर होंगे।’

उन्होंने कहा, ‘जापान को देखिए, वहां पूरा देश भूकंपीय क्षेत्र -5 में आता है, लेकिन उन्होंने निर्माण कोड का पालन किया है। उनके निर्माण की गुणवत्ता 7.5 या 8.0 (रिक्टर स्केल पर) भूकंप का सामना कर सकती है।’ इस साल 12 अप्रैल से 29 मई के बीच दिल्ली-एनसीआर में दस भूकंप दर्ज किए गए हैं। इस अवधि के दौरान उत्तराखंड में चार और हिमाचल प्रदेश में छह झटके महसूस किए गए।

डेढ़ महीने के अंदर दिल्ली-एनसीआर में मध्यम से तीव्रता वाले 10 भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। ये इस बात का संकेत है कि भविष्य में देश की राजधानी दिल्ली में एक बड़ा भूकंप आ सकता है। इसकी चेतावनी देश के शीर्ष भूवैज्ञानिकों में से एक ने दी है। 

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आनेे वाली एक संस्था के प्रमुख ने कहा, ‘हम समय, स्थान या सटीक पैमाने का अनुमान नहीं लगा सकते हैं, लेकिन यह मानते हैं कि एनसीआर क्षेत्र में लगातार भूकंपीय गतिविधि चल रही है जो दिल्ली में एक बड़े भूकंप का कारण बन सकती है।’

दुर्भाग्य से, दिल्ली उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्रों के अंतर्गत आता है और इसके सीमावर्ती शहरों में हाई राइज निजी भवनों का निर्माण किया है, उनमें से बहुत कम ने भूकंप प्रतिरोधी निर्माण के लिए निर्धारित ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) के अनिवार्य दिशा निर्देशों का पालन किया है।

यदि दिल्ली-एनसीआर में 5.5 या 6.0 की तीव्रता वाला भूकंप आता है तो क्या होगा इसका जवाब देते हुए भूकंप इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ ने कहा, ‘29 मई शुक्रवार को दिल्ली में भूकंप के दो झटके महसूस किए गए जिसकी तीव्रता 4.5 थी लेकिन यदि यह थोड़ा और अधिक तीव्र होता तो इसके प्रभाव गंभीर हो सकते थे। रिक्टर पैमाने पर दिल्ली में 6.0 के भूकंप का प्रभाव विनाशकारी होगा। कई इमारतें धूल से पट जाएंगी।’

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नोएडा, गुरुग्राम और दिल्ली के पड़ोसी इलाकों में असंख्य ऊंची इमारतों ने बीआईएस मानदंडों का उल्लंघन किया है। एक प्रोफेसर ने कहा, ‘सभी जानते हैं कि दिल्ली-एनसीआर भूकंपीय क्षेत्र-4 के अंतर्गत आता है और यहां भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं लेकिन इसके बावजूद अधिकांश बिल्डर्स ने बीआईएस के मानदंडों का पालन नहीं किया है। आर्किटेक्ट और बिल्डरों के बीच सांठगांठ के कारण कड़े भूकंप (प्रतिरोधी) कोड से समझौता किया गया है। ऐसे में यदि किसी भी दिन यहां उच्च तीव्रता का भूकंप आता है तो उसके परिणाम गंभीर होंगे।’

उन्होंने कहा, ‘जापान को देखिए, वहां पूरा देश भूकंपीय क्षेत्र -5 में आता है, लेकिन उन्होंने निर्माण कोड का पालन किया है। उनके निर्माण की गुणवत्ता 7.5 या 8.0 (रिक्टर स्केल पर) भूकंप का सामना कर सकती है।’ इस साल 12 अप्रैल से 29 मई के बीच दिल्ली-एनसीआर में दस भूकंप दर्ज किए गए हैं। इस अवधि के दौरान उत्तराखंड में चार और हिमाचल प्रदेश में छह झटके महसूस किए गए।




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