Russia Said Idea Of Expanded G7 Is Right But Doesnt Really Mean True Representation, Without China Hardly Possible – चीन के बिना जी7 सम्मेलन की वैश्विक पहलों को लागू कराना मुश्किल: रूस




मारिया जखारोवा, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय, रूस
– फोटो : ANI

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रूस का मानना है कि जी7 सम्मलेन में इस समूह में शामिल देशों से इतर अन्य देशों को शामिल करने का विचार सामान्य रूप से सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। लेकिन वास्तव में यह सही मायने में प्रतिनिधित्व नहीं है, क्योंकि चीन के बिना समूह की गंभीर वैश्विक पहलों को लागू करना मुश्किल है।

रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने मंगलवार को कहा कि सामान्य तौर पर देखें तो जी7 के विस्तार का विचार सही दिशा में एक कदम है। लेकिन वास्तव में एक सच्चा प्रतिनिधित्व नहीं है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि चीन के बिना गंभीर वैश्विक पहलों को लागू करना मुश्किल है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे पास एक कुशल, आजमाए हुए और परीक्षण किए गए प्रारूप हैं, मसलन जी20, जिसमें जी7 समूह, ब्रिक्स और पूरी दुनिया के आर्थिक विकास और राजनीतिक प्रभाव के अन्य प्रमुख केंद्र देश शामिल हैं, न कि इसका केवल एक हिस्सा मात्र।

बता दें कि रूस की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब बीते सोमवार को ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने समकक्ष और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से जी7 के विस्तार समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर फोन पर बात की थी।

राष्ट्रपति ट्रंप ने सात देशों के समूह में अन्य देशों को शामिल कर इस वैश्विक रूप से और भी जवाबदेह और प्रतिनिधित्व वाला बनाए जाने की वकालत की थी। इससे पहले बीते माह ट्रंप ने अमेरिका में होने जा रहे जी7 शिखर सम्मेलन को सितंबर तक यह कहते हुए टाल दिया था कि वह इससे पहले भारत, रूस, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को वार्ता के लिए आमंत्रित करना चाहते हैं। बता दें कि जी7 शिखर सम्मेलन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 10 से 12 जून के बीच वाशिंगटन में आयोजित होना था।

रूस का मानना है कि जी7 सम्मलेन में इस समूह में शामिल देशों से इतर अन्य देशों को शामिल करने का विचार सामान्य रूप से सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। लेकिन वास्तव में यह सही मायने में प्रतिनिधित्व नहीं है, क्योंकि चीन के बिना समूह की गंभीर वैश्विक पहलों को लागू करना मुश्किल है।

रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने मंगलवार को कहा कि सामान्य तौर पर देखें तो जी7 के विस्तार का विचार सही दिशा में एक कदम है। लेकिन वास्तव में एक सच्चा प्रतिनिधित्व नहीं है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि चीन के बिना गंभीर वैश्विक पहलों को लागू करना मुश्किल है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे पास एक कुशल, आजमाए हुए और परीक्षण किए गए प्रारूप हैं, मसलन जी20, जिसमें जी7 समूह, ब्रिक्स और पूरी दुनिया के आर्थिक विकास और राजनीतिक प्रभाव के अन्य प्रमुख केंद्र देश शामिल हैं, न कि इसका केवल एक हिस्सा मात्र।

बता दें कि रूस की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब बीते सोमवार को ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने समकक्ष और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से जी7 के विस्तार समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर फोन पर बात की थी।

राष्ट्रपति ट्रंप ने सात देशों के समूह में अन्य देशों को शामिल कर इस वैश्विक रूप से और भी जवाबदेह और प्रतिनिधित्व वाला बनाए जाने की वकालत की थी। इससे पहले बीते माह ट्रंप ने अमेरिका में होने जा रहे जी7 शिखर सम्मेलन को सितंबर तक यह कहते हुए टाल दिया था कि वह इससे पहले भारत, रूस, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को वार्ता के लिए आमंत्रित करना चाहते हैं। बता दें कि जी7 शिखर सम्मेलन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 10 से 12 जून के बीच वाशिंगटन में आयोजित होना था।






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