इस स्किल मैपिंग के आधार पर स्थानीय इलाकों में रोजगार की जानकारी एकत्रित होगी। उसके आधार पर जुलाई आखिर या अगस्त के पहले सप्ताह से रोजगार के आधार पर उनका कौशल विकास करेगा। खास बात यह है कि ड्रॉफ्ट में प्रवासी मजदूरों को उनके गृहराज्य में रोजगार दिलाने की व्यवस्था होगी।
वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, केंद्रीय कौशल विकास मंत्रालय ने प्रवासी मजदूरों को दोबारा रोजगार से जोड़ने का ड्रॉफ्ट तैयार किया है। इसमें सबसे पहले राज्य सरकारों से प्रवासी मजदूरों की स्किल मैपिंग आंकड़े जुटाये जा रहे हैं। संबधित राज्यों में किस प्रकार के रोजगार के अवसर उपलब्ध है। इसके माध्यम से विभिन्न राज्यों में इन प्रवासी मजदूरों और युवाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी। कुछ पहले से ट्रेंड होंगे, लेकिन अब उनको बाकायदा सर्टिफिकेट भी मिलेगा। इसके माध्यम से रोजगार पाने में आसानी होगी। इसके लिए विशेष पोर्टल भी तैयार हो रहा है।
यदि कोई प्रवासी मजदूर दोबारा वापस महानगरों और शहरों में कोरोना और अर्थव्यवस्था के हालाता ठीक होने पर लौटना चाहता होगा तो भी ऐसे मजदूरों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद विशेष स्किल पोटर्ल पर इन सभी मजूदरों को पहली बार रजिस्टर्ड किया जाएगा, ताकि उनके रोजगार से जुड़ी सारी जानकारी सरकार के पास उपलब्ध रहे। फिलहाल अभी राज्य और केंद्र के पास ऐसे मजदूरों को कोई अधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
कृषि, हेल्थ सेक्टर, फार्मा उभरते क्षेत्र
इस मामले पर केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा, “प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के तहत हमें घरेलू अर्थव्यवस्था को बढ़ाना है। कोविड-19 के बाद कृषि, हेल्थ, फार्मा आदि सेक्टर आने वाले समय में उभरते क्षेत्र में रोजगार होंगे। इसके अलावा आत्मनिर्भर भारत के तहत मेक इन इंडिया प्रोडेक्ट बनाने के लिए भी कई नए क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाओं पर भी काम हो रहा है।”
महेंद्र नाथ पांडेय ने आगे कहा, “वासी मजदूरी की स्किल मैंपिंग के आधार पर इनसे जुड़ी ट्रेनिंग शुरू होगी। इन्हें बाकायदा स्किल पोटर्ल पर रजिस्टर्ड किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी कोई आपदा आती है तो इनकी रोजी-रोटी पर किसी प्रकार का संकट न हो।”