Problem For The Government To Raise Capital After Moodys Reduced India Ratings – मूडीज के रेटिंग घटाने से सरकार के लिए पूंजी जुटाने में होगी दिक्कत




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अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स में भारत की सॉवरेन रेटिंग को 22 साल में पहली बार सबसे निचली निवेश श्रेणी में डाल दिया है। ‘बीएए2’ से घटाकर ‘बीएए3’ रेटिंग करते हुए देश के लिए नकारात्मक रुख नेगेटिव आउटलुक भी बरकरार रखा है। भारत की विदेशी मुद्रा और स्थानीय मुद्रा की दीर्घकालिक इश्युअर रेटिंग को ‘बीएए3’ करने के मायने-

  • रेटिंग घटाने की वजह 2017 के बाद से आर्थिक सुधारों का कमजोर क्रियान्वयन
  • तुलनात्मक रूप से लगातार कम आर्थिक वृद्धि
  • राज्य व केंद्र सरकारों की राजकोषीय स्थिति में गिरावट
  • भारत के वित्तीय क्षेत्र पर बढ़ता दबाव
और नीचे जा सकती है रेटिंग
पिछले साल नवंबर में ही एजेंसी ने ‘बीएए2’ रेटिंग को स्थिर से नकारात्मक किया था। निगेटिव आउटलुक अर्थव्यवस्था व वित्तीय क्षेत्र तंत्र में गहरे दबाव और अधिक जोखिम को दर्शाता है। वित्तीय क्षमता में ज्यादा गंभीर वे लंबे समय तक रहने वाले नुकसान की तरफ इशारा करता है। दूसरे शब्दों में भारत की रेटिंग और ज्यादा नीचे जा सकती है।

नकारात्मक रुख कोरोना काल के कारण नहीं
मूडीज के मुताबिक, भले ही रेटिंग में गिरावट को ना काल में आई है। लेकिन यह पूरी तरह से महामारी का प्रभाव नहीं है। नवंबर 2017 में मोदी जी ने भारत की रेटिंग को स्थिर आउटलुक के साथ ‘बीएए2’ किया था तब माना गया था कि आर्थिक सुधारों से सॉवरेन क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत होगी लेकिन उम्मीद गलत साबित हुई है।

कमजोर नीतिगत प्रभाव के कारण आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान घटते रहे। वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर का अंतिम अनुमान 4.2% रखा था। जो एक दशक में सबसे कम था। राजकोषीय घाटा और सरकारी कर्ज बड़ा 2019 में यह जीडीपी का 72 फ़ीसदी हो गया था। जो 2020 खत्म होते होते हैं 84 फ़ीसदी होने का अनुमान है।

क्या होगा तत्काल असर 
सरकार के जारी किए जाने वाले बांड ज्यादा जोखिम पूर्ण माने जाएंगे। कमजोर आर्थिक तरक्की और बिगड़ती राजकोषीय हालत सरकार की वापस भुगतान करने की क्षमता को कमजोर करती है। रेटिंग गिरने से भारत सरकार और कंपनियों के लिए फंड जुटाना चुनौतीपूर्ण होगा।

एसबीआई समेत 11 बैंकों की रेटिंग भी घटाई
मूडीज ने मंगलवार को एसबीआई समेत 11 भारतीय बैंकों, 11 वित्तीय कंपनियों बुनियादी ढांचा क्षेत्र की, 11 कंपनियों और 4 सरकारी ऋण दाता कंपनीयों की रेटिंग ‘बीएए2’ से हटाकर ‘बीएए3’ कर दी है।

इन बैंकों, कंपनियों की रेटिंग गिरी
बैंक:  बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक, आयात निर्यात बैंक, एचडीएफसी बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंनसइंड बैंक, पीएनबी, एसबीआई और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया।

सार

  • भारत की सॉवरेन रेटिंग 22 साल में पहली बार सबसे निचली निवेश श्रेणी में।
  • पिछले साल नवंबर में ही एजेंसी ने ‘बीएए2’ रेटिंग को स्थिर से नकारात्मक किया था।
  • कमजोर नीतिगत प्रभाव के कारण आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान घटते रहे। 

विस्तार

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स में भारत की सॉवरेन रेटिंग को 22 साल में पहली बार सबसे निचली निवेश श्रेणी में डाल दिया है। ‘बीएए2’ से घटाकर ‘बीएए3’ रेटिंग करते हुए देश के लिए नकारात्मक रुख नेगेटिव आउटलुक भी बरकरार रखा है। भारत की विदेशी मुद्रा और स्थानीय मुद्रा की दीर्घकालिक इश्युअर रेटिंग को ‘बीएए3’ करने के मायने-

  • रेटिंग घटाने की वजह 2017 के बाद से आर्थिक सुधारों का कमजोर क्रियान्वयन
  • तुलनात्मक रूप से लगातार कम आर्थिक वृद्धि
  • राज्य व केंद्र सरकारों की राजकोषीय स्थिति में गिरावट
  • भारत के वित्तीय क्षेत्र पर बढ़ता दबाव
और नीचे जा सकती है रेटिंग

पिछले साल नवंबर में ही एजेंसी ने ‘बीएए2’ रेटिंग को स्थिर से नकारात्मक किया था। निगेटिव आउटलुक अर्थव्यवस्था व वित्तीय क्षेत्र तंत्र में गहरे दबाव और अधिक जोखिम को दर्शाता है। वित्तीय क्षमता में ज्यादा गंभीर वे लंबे समय तक रहने वाले नुकसान की तरफ इशारा करता है। दूसरे शब्दों में भारत की रेटिंग और ज्यादा नीचे जा सकती है।

नकारात्मक रुख कोरोना काल के कारण नहीं

मूडीज के मुताबिक, भले ही रेटिंग में गिरावट को ना काल में आई है। लेकिन यह पूरी तरह से महामारी का प्रभाव नहीं है। नवंबर 2017 में मोदी जी ने भारत की रेटिंग को स्थिर आउटलुक के साथ ‘बीएए2’ किया था तब माना गया था कि आर्थिक सुधारों से सॉवरेन क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत होगी लेकिन उम्मीद गलत साबित हुई है।

कमजोर नीतिगत प्रभाव के कारण आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान घटते रहे। वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर का अंतिम अनुमान 4.2% रखा था। जो एक दशक में सबसे कम था। राजकोषीय घाटा और सरकारी कर्ज बड़ा 2019 में यह जीडीपी का 72 फ़ीसदी हो गया था। जो 2020 खत्म होते होते हैं 84 फ़ीसदी होने का अनुमान है।

क्या होगा तत्काल असर 
सरकार के जारी किए जाने वाले बांड ज्यादा जोखिम पूर्ण माने जाएंगे। कमजोर आर्थिक तरक्की और बिगड़ती राजकोषीय हालत सरकार की वापस भुगतान करने की क्षमता को कमजोर करती है। रेटिंग गिरने से भारत सरकार और कंपनियों के लिए फंड जुटाना चुनौतीपूर्ण होगा।

एसबीआई समेत 11 बैंकों की रेटिंग भी घटाई
मूडीज ने मंगलवार को एसबीआई समेत 11 भारतीय बैंकों, 11 वित्तीय कंपनियों बुनियादी ढांचा क्षेत्र की, 11 कंपनियों और 4 सरकारी ऋण दाता कंपनीयों की रेटिंग ‘बीएए2’ से हटाकर ‘बीएए3’ कर दी है।

इन बैंकों, कंपनियों की रेटिंग गिरी
बैंक:  बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक, आयात निर्यात बैंक, एचडीएफसी बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंनसइंड बैंक, पीएनबी, एसबीआई और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया।




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