Coronavirus In Indore Mp Madhya Pradesh Latest News Update Today In 20 Days 900 Cases Reported – Coronavirus In Indore: इंदौर में 20 दिन में सामने आए 900 मामले, प्रशासन ने मानी गलती




न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर
Updated Thu, 23 Apr 2020 12:42 PM IST

इंदौर में कोरोना वायरस (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI

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मध्यप्रदेश के इंदौर में चार मार्च से 24 मार्च के बीच यानी 20 दिनों में 900 कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। केंद्र सरकार की एक टीम अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इंदौर जिला प्रशासन से कहां गलती हुई जिसकी वजह से यहां कोविड-19 के मामले इतने बढ़ गए।

जिले की स्थिति की समीक्षा करने के लिए एक हफ्ते पहले गई केंद्रीय टीम ने कहा कि यहां मामले इसलिए बढ़े क्योंकि लोगों ने लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन किया और प्रशासन समुदाय के साथ प्रभावी तरीके से जुड़ने में विफल रहा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यहां लॉकडाउन के प्रावधानों का ठीक तरह से पालन नहीं किया गया।

उन्होंने कहा, ‘इंदौर के लोगों ने शुरू में कभी नहीं सोचा था कि उन्हें बीमारी हो सकती है क्योंकि वे अपने स्वच्छ शहर टैग को लेकर आत्मसंतुष्ट हैं। इसलिए शुरू से ही इसके प्रति दृष्टिकोण काफी ढीला-ढाला था। लॉकडाउन के नियमों का प्रभावी तरीके से पालन नहीं हुआ और चूंकि वायरस पहले ही शहर में आ चुका था इसने लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया। बता दें कि केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर भारत के सबसे स्वच्छ शहरों में पहले स्थान पर है।’

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जांच टीम के एक सदस्य ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान लोग सड़कों पर थे जिसकी वजह से वायरस का संक्रमण बड़े स्तर पर होता गया। उन्होंने कहा, ‘लोगों की गतिविधियों को पर्याप्त रूप से प्रतिबंधित नहीं किया गया और स्थानीय प्रशासन प्रभावी ढंग से समुदाय के साथ जुड़ने में कामयाब नहीं हुए जबकि स्वास्थ्यकर्मियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इसने निवारक उपायों के कार्यान्वयन को सीमित किया। बाद में जब उन्होंने बड़े स्तर पर परीक्षण शुरू किया तब तक संख्या बढ़ चुकी थी।’

स्थानीय प्रशासन ने इस बात को स्वीकार किया है उसे वायरस के संक्रमण के खिलाफ तैयारी काफी पहले शुरू कर देनी चाहिए थी। राज्य स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने कहा, ‘शुरुआत में हम तैयार नहीं थे। वायरस के खिलाफ रणनीति का पता लगाने और संक्रमण से निपटने की क्षमता में हमें कुछ समय लगा। चार लोगों के संक्रमित होने का पहला मामला 24 मार्च को सामने आया लेकिन जब अचानक मामले बढ़ने लगे तो हमें एहसास हुआ कि वायरस का काफी पहले से प्रसार हो रहा है। 24 मार्च तक काफी देर हो चुकी थी क्योंकि हमने तब तक बहुत कम परीक्षण किए थे और हमें ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा जिसमें हमें अपनी क्षमता को तेजी से बढ़ाना था। ऐसा अचानक हुआ।’

मध्यप्रदेश के इंदौर में चार मार्च से 24 मार्च के बीच यानी 20 दिनों में 900 कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। केंद्र सरकार की एक टीम अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इंदौर जिला प्रशासन से कहां गलती हुई जिसकी वजह से यहां कोविड-19 के मामले इतने बढ़ गए।

जिले की स्थिति की समीक्षा करने के लिए एक हफ्ते पहले गई केंद्रीय टीम ने कहा कि यहां मामले इसलिए बढ़े क्योंकि लोगों ने लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन किया और प्रशासन समुदाय के साथ प्रभावी तरीके से जुड़ने में विफल रहा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यहां लॉकडाउन के प्रावधानों का ठीक तरह से पालन नहीं किया गया।

उन्होंने कहा, ‘इंदौर के लोगों ने शुरू में कभी नहीं सोचा था कि उन्हें बीमारी हो सकती है क्योंकि वे अपने स्वच्छ शहर टैग को लेकर आत्मसंतुष्ट हैं। इसलिए शुरू से ही इसके प्रति दृष्टिकोण काफी ढीला-ढाला था। लॉकडाउन के नियमों का प्रभावी तरीके से पालन नहीं हुआ और चूंकि वायरस पहले ही शहर में आ चुका था इसने लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया। बता दें कि केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर भारत के सबसे स्वच्छ शहरों में पहले स्थान पर है।’

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जांच टीम के एक सदस्य ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान लोग सड़कों पर थे जिसकी वजह से वायरस का संक्रमण बड़े स्तर पर होता गया। उन्होंने कहा, ‘लोगों की गतिविधियों को पर्याप्त रूप से प्रतिबंधित नहीं किया गया और स्थानीय प्रशासन प्रभावी ढंग से समुदाय के साथ जुड़ने में कामयाब नहीं हुए जबकि स्वास्थ्यकर्मियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इसने निवारक उपायों के कार्यान्वयन को सीमित किया। बाद में जब उन्होंने बड़े स्तर पर परीक्षण शुरू किया तब तक संख्या बढ़ चुकी थी।’

स्थानीय प्रशासन ने इस बात को स्वीकार किया है उसे वायरस के संक्रमण के खिलाफ तैयारी काफी पहले शुरू कर देनी चाहिए थी। राज्य स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने कहा, ‘शुरुआत में हम तैयार नहीं थे। वायरस के खिलाफ रणनीति का पता लगाने और संक्रमण से निपटने की क्षमता में हमें कुछ समय लगा। चार लोगों के संक्रमित होने का पहला मामला 24 मार्च को सामने आया लेकिन जब अचानक मामले बढ़ने लगे तो हमें एहसास हुआ कि वायरस का काफी पहले से प्रसार हो रहा है। 24 मार्च तक काफी देर हो चुकी थी क्योंकि हमने तब तक बहुत कम परीक्षण किए थे और हमें ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा जिसमें हमें अपनी क्षमता को तेजी से बढ़ाना था। ऐसा अचानक हुआ।’




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