India-china Troops Are Going To Stand Face To Face For A Long Time In Ladakh – लद्दाख में लंबे समय तक आमने-सामने खड़ी होने जा रही हैं भारत-चीन की फौज!




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पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव जारी है। चीन ने यहां पर फौज की संख्या बढ़ा दी है, तो भारत ने भी अपने सैनिकों की तैनाती में इजाफा कर दिया है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन ने लद्दाख में जिस तरह इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया है, उसके मद्देनजर भारत को भी तेजी से अपने हिस्से में सड़कें, अपग्रेड वाहन और हथियारों पर ध्यान देना होगा।

लद्दाख में लंबे समय तक तैनात रहे आईटीबीपी के पूर्व डीआईजी जेवीएस चौधरी के अनुसार, यहां पर हम कोई प्वाइंट खाली नहीं छोड़ सकते। चीन ने वहां सड़कों का जाल बिछा रखा है।

ऐसे में भारत को भी अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम करना होगा। जब दोनों देश इस ओर आगे बढ़ रहे हैं तो यह संभव है कि वहां लंबे समय तक भारत चीन की फौज आमने-सामने खड़ी रह सकती हैं।
 

गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो के आसपास के कई इलाकों में तनाव जारी है। चीन ने इन्हीं इलाकों में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ाई है। इन जगहों पर चीन निर्माणकार्य भी कर रहा है।

पूर्व डीआईजी जेवीएस चौधरी कहते हैं कि चीन के इस गतिरोध का कोई मतलब है। यह एक ऐसा देश है जो बोलता कुछ है, दिखाता कुछ है, सोचता कुछ है और करता कुछ है।

वह सौ साल आगे की बात सोचकर कदम बढ़ाता है। लद्दाख में चीन की तरफ ज्यादातर इलाका समतल है। वहां बर्फ भी ज्यादा नहीं पड़ती। दूसरी तरफ, सख्त मौसम के चलते हमें वहां रूकने में भी दिक्कत आती है।

आईटीबीपी वहां फ्रंट फुट पर रहती है। हम वहां पर कोई क्षेत्र खाली नहीं छोड़ सकते। हमें ज्यादा से ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना होगा। सड़कों के निर्माण में तेजी लानी पड़ेगी।

चीन ने जिस तरह से वहां अपने संसाधन बढ़ाए हैं, उसे देखते हुए हमें आधुनिक उपकरण, जैसे नए हथियार और अपग्रेड वाहन लेने होंगे।

भारी वजन वाली 4X4 गाड़ियां एवं एटीवी खरीदनी चाहिए। साथ ही, हैवी ड्यूटी ट्रैक्टर भी बहुत जरूरी हैं।

दोनों देशों ने शुरू किए कूटनीतिक प्रयास

दोनों देशों के बीच चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए कमांडिंग ऑफिसर और ब्रिगेड कमांडर्स के बीच बातचीत हो रही है। इसका अभी तक कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला है।

कूटनीतिक स्तर पर भी विवाद सुलझाने का प्रयास हो रहा है। हालांकि भारत की ओर यह साफ कर दिया गया है कि चीन ने जिस तरह सैनिकों की तैनाती बढ़ाई है, भारत भी उसी तरह अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाएगा।

चीनी सेना सीमा के निकट अपने इलाके में तोप और दूसरे हथियार जमा कर रही है। यह जगह भारतीय सीमा से ज्यादा दूर नहीं है। पूर्वी लद्दाख में एलएसी के करीब चीनी सेना के क्लास ए वाहनों की आवाजाही का पता चला है।

ये वाहन एक घंटे में भारतीय सीमा करीब पहुंच सकते हैं।ची न की मांग है कि भारत अपने हिस्से में निर्माणकार्य बंद कर दे। हालांकि भारत ने अपना कोई भी निर्माण कार्य बंद नहीं किया है, बल्कि सेना की रिजर्व डिवीजन को लद्दाख में उतार दिया गया है।

इस डिवीजन को ऊंचाई और पहाड़ी वाले इलाकों में जंग की खासी महारत हासिल है।

सार

गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो के आसपास के कई इलाकों में तनाव जारी है। चीन ने इन्हीं इलाकों में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ाई है। इन जगहों पर चीन निर्माण कार्य भी कर रहा है…

विस्तार

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव जारी है। चीन ने यहां पर फौज की संख्या बढ़ा दी है, तो भारत ने भी अपने सैनिकों की तैनाती में इजाफा कर दिया है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन ने लद्दाख में जिस तरह इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया है, उसके मद्देनजर भारत को भी तेजी से अपने हिस्से में सड़कें, अपग्रेड वाहन और हथियारों पर ध्यान देना होगा।

लद्दाख में लंबे समय तक तैनात रहे आईटीबीपी के पूर्व डीआईजी जेवीएस चौधरी के अनुसार, यहां पर हम कोई प्वाइंट खाली नहीं छोड़ सकते। चीन ने वहां सड़कों का जाल बिछा रखा है।

ऐसे में भारत को भी अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम करना होगा। जब दोनों देश इस ओर आगे बढ़ रहे हैं तो यह संभव है कि वहां लंबे समय तक भारत चीन की फौज आमने-सामने खड़ी रह सकती हैं।

 

गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो के आसपास के कई इलाकों में तनाव जारी है। चीन ने इन्हीं इलाकों में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ाई है। इन जगहों पर चीन निर्माणकार्य भी कर रहा है।

पूर्व डीआईजी जेवीएस चौधरी कहते हैं कि चीन के इस गतिरोध का कोई मतलब है। यह एक ऐसा देश है जो बोलता कुछ है, दिखाता कुछ है, सोचता कुछ है और करता कुछ है।

वह सौ साल आगे की बात सोचकर कदम बढ़ाता है। लद्दाख में चीन की तरफ ज्यादातर इलाका समतल है। वहां बर्फ भी ज्यादा नहीं पड़ती। दूसरी तरफ, सख्त मौसम के चलते हमें वहां रूकने में भी दिक्कत आती है।

आईटीबीपी वहां फ्रंट फुट पर रहती है। हम वहां पर कोई क्षेत्र खाली नहीं छोड़ सकते। हमें ज्यादा से ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना होगा। सड़कों के निर्माण में तेजी लानी पड़ेगी।

चीन ने जिस तरह से वहां अपने संसाधन बढ़ाए हैं, उसे देखते हुए हमें आधुनिक उपकरण, जैसे नए हथियार और अपग्रेड वाहन लेने होंगे।

भारी वजन वाली 4X4 गाड़ियां एवं एटीवी खरीदनी चाहिए। साथ ही, हैवी ड्यूटी ट्रैक्टर भी बहुत जरूरी हैं।

दोनों देशों ने शुरू किए कूटनीतिक प्रयास

दोनों देशों के बीच चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए कमांडिंग ऑफिसर और ब्रिगेड कमांडर्स के बीच बातचीत हो रही है। इसका अभी तक कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला है।

कूटनीतिक स्तर पर भी विवाद सुलझाने का प्रयास हो रहा है। हालांकि भारत की ओर यह साफ कर दिया गया है कि चीन ने जिस तरह सैनिकों की तैनाती बढ़ाई है, भारत भी उसी तरह अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाएगा।

चीनी सेना सीमा के निकट अपने इलाके में तोप और दूसरे हथियार जमा कर रही है। यह जगह भारतीय सीमा से ज्यादा दूर नहीं है। पूर्वी लद्दाख में एलएसी के करीब चीनी सेना के क्लास ए वाहनों की आवाजाही का पता चला है।

ये वाहन एक घंटे में भारतीय सीमा करीब पहुंच सकते हैं।ची न की मांग है कि भारत अपने हिस्से में निर्माणकार्य बंद कर दे। हालांकि भारत ने अपना कोई भी निर्माण कार्य बंद नहीं किया है, बल्कि सेना की रिजर्व डिवीजन को लद्दाख में उतार दिया गया है।

इस डिवीजन को ऊंचाई और पहाड़ी वाले इलाकों में जंग की खासी महारत हासिल है।




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