न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 21 May 2020 01:57 AM IST
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बढ़ता ही जा रहा है। यही वजह है कि सीमा पर सेना के अतिरिक्त बलों की तैनाती कर दी गई है। बुधवार को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक भारत और चीन की सेना के जवानों के बीच हुई तीखी झड़प के करीब दो सप्ताह बाद आक्रामक रुख अपनाते हुए लद्दाख में गलवां घाटी और पेंगोंग त्सो झील के आसपास के क्षेत्रों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी गई है।
जानकारी के अनुसार, भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। वहीं अमेरिका ने कहा है कि चीनी सैनिकों का आक्रामक व्यवहार चीन की ओर से पेश खतरे की याद दिलाता है। अमेरिका के विदेश विभाग में दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो की निवर्तमान प्रमुख एलिस वेल्स ने इस संबंध में कहा कि उन्हें लगता है कि सीमा पर तनाव एक चेतावनी है कि चीनी आक्रामकता हमेशा केवल बयानबाजी नहीं होती।
उन्होंने कहा, चाहे दक्षिण चीन सागर का मामला हो या भारत के साथ लगी उसकी सीमा हो, हम चीन की ओर से उकसावे और परेशान करने वाला व्यवहार देख रहे हैं। बता दें कि अभी हाल ही में दक्षिण चीन सागर में चीन की ओर से उसकी सैन्य गतिविधियां बढ़ाए जाने की खबर आई थी, जिसके बाद अमेरिका ने भी अपने पोत इस क्षेत्र के लिए रवाना कर दिए थे।
इस संबंध में सूत्रों ने यह भी कहा कि चीनी सैनिकों ने पेंगोंग झील के आसपास के क्षेत्रों में बीते कुछ दिनों से अपनी उपस्थिति काफी बढ़ा दी और यहां तक कि झील में अतिरिक्त नाव भी ले आए हैं। सूत्रों ने बताया कि ऐसी स्थिति में दोनों पक्षों ने डेमचौक और दौलत बेग ओल्डी जैसे स्थानों पर अधिक सैनिक तैनात किए हैं।
बता दें कि गलवां के आसपास का क्षेत्र पिछले छह दशकों से दोनों पक्षों के बीच विवाद का विषय रहा है। सूत्रों ने कहा कि चीनी पक्ष ने गलवां घाटी क्षेत्र में बड़ी संख्या में टेंट लगाए हैं। इसके बाद भारत ने भी इलाके में चौकसी बरतने के लिए अपने अतिरिक्त सैनिक भेजे हैं।
चीन ने जताई सड़क निर्माण पर आपत्ति
दरअसल, चीनी पक्ष ने गलवां नदी के आसपास भारत की ओर से एक महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण किए जाने को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी। सूत्रों ने कहा कि इसके बाद इस सड़क का निर्माण फिलहाल रोक दिया गया है। बता दें कि पांच मई को लगभग 250 भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और डंडों के साथ झड़प हुई थी। इसमें दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे। दोनों सेनाओं के बीच बढ़ते तनाव पर न तो सेना और न ही विदेश मंत्रालय ने कोई टिप्पणी की है।
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बढ़ता ही जा रहा है। यही वजह है कि सीमा पर सेना के अतिरिक्त बलों की तैनाती कर दी गई है। बुधवार को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक भारत और चीन की सेना के जवानों के बीच हुई तीखी झड़प के करीब दो सप्ताह बाद आक्रामक रुख अपनाते हुए लद्दाख में गलवां घाटी और पेंगोंग त्सो झील के आसपास के क्षेत्रों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी गई है।
जानकारी के अनुसार, भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। वहीं अमेरिका ने कहा है कि चीनी सैनिकों का आक्रामक व्यवहार चीन की ओर से पेश खतरे की याद दिलाता है। अमेरिका के विदेश विभाग में दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो की निवर्तमान प्रमुख एलिस वेल्स ने इस संबंध में कहा कि उन्हें लगता है कि सीमा पर तनाव एक चेतावनी है कि चीनी आक्रामकता हमेशा केवल बयानबाजी नहीं होती।
उन्होंने कहा, चाहे दक्षिण चीन सागर का मामला हो या भारत के साथ लगी उसकी सीमा हो, हम चीन की ओर से उकसावे और परेशान करने वाला व्यवहार देख रहे हैं। बता दें कि अभी हाल ही में दक्षिण चीन सागर में चीन की ओर से उसकी सैन्य गतिविधियां बढ़ाए जाने की खबर आई थी, जिसके बाद अमेरिका ने भी अपने पोत इस क्षेत्र के लिए रवाना कर दिए थे।
इस संबंध में सूत्रों ने यह भी कहा कि चीनी सैनिकों ने पेंगोंग झील के आसपास के क्षेत्रों में बीते कुछ दिनों से अपनी उपस्थिति काफी बढ़ा दी और यहां तक कि झील में अतिरिक्त नाव भी ले आए हैं। सूत्रों ने बताया कि ऐसी स्थिति में दोनों पक्षों ने डेमचौक और दौलत बेग ओल्डी जैसे स्थानों पर अधिक सैनिक तैनात किए हैं।
बता दें कि गलवां के आसपास का क्षेत्र पिछले छह दशकों से दोनों पक्षों के बीच विवाद का विषय रहा है। सूत्रों ने कहा कि चीनी पक्ष ने गलवां घाटी क्षेत्र में बड़ी संख्या में टेंट लगाए हैं। इसके बाद भारत ने भी इलाके में चौकसी बरतने के लिए अपने अतिरिक्त सैनिक भेजे हैं।
चीन ने जताई सड़क निर्माण पर आपत्ति
दरअसल, चीनी पक्ष ने गलवां नदी के आसपास भारत की ओर से एक महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण किए जाने को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी। सूत्रों ने कहा कि इसके बाद इस सड़क का निर्माण फिलहाल रोक दिया गया है। बता दें कि पांच मई को लगभग 250 भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और डंडों के साथ झड़प हुई थी। इसमें दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे। दोनों सेनाओं के बीच बढ़ते तनाव पर न तो सेना और न ही विदेश मंत्रालय ने कोई टिप्पणी की है।
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