प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि उसने बहुराष्ट्रीय कंपनी जेपी मॉर्गन की 187 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की है। यह कार्रवाई आम्रपाली समूह के घर खरीदारों की रकम जेपी मॉर्गन में हस्तांतरित करने के आरोप में की गई। कंपनी ने इस कार्रवाई को गैरकानूनी करार दिया।
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की पीठ को ईडी के वकील ने बताया कि उसके पिछले हफ्ते के आदेश का पालन करते हुए मंगलवार को जेपी मॉर्गन की संपत्तियों को अटैच किया गया। एमएनसी के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि जेपी मॉर्गन इंडिया का आम्रपाली से कोई लेना देना नहीं है और उसने आम्रपाली में एक पैसे का भी निवेश नहीं कर रखा है।
उन्होंने कहा कि जेपी मॉर्गन सिंगापुर और मारीशस ने रियल एस्टेट कंपनी में निवेश कर रखा है। इस पर पीठ ने कहा कि जेपी मॉर्गन एक वैश्विक कंपनी है और अलग-अलग देश में उसकी सहायक कंपनियां है। ऐसे में हमें हर बात का ख्याल रखना होगा। इस पर रोहतगी ने कहा कि फॉरेंसिक ऑडिटर को भी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई से पहले जेपी मॉर्गन इंडिया के बारे में जानकारी नहीं थी। पीठ अगले हफ्ते रोहतगी की दलीलों पर विचार करेगी। पीठ ने ईडी को अगली सुनवाई में जेपी मॉर्गन इंडिया द्वारा दाखिल आवेदन पर संक्षिप्त जवाब दाखिल करने को कहा।
- आम्रपाली के अटके कार्यों पर अगले कुछ महीनों की कार्ययोजना पेश करे एनबीसीसी
पीठ ने सुनवाई के दौरान आम्रपाली के अटके कार्यों पर सरकारी निर्माण कंपनी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) लिमिटेड से फ्लो चार्ट के जरिए अगले कुछ महीनों की कार्ययोजना का विवरण पेश करने को कहा। पीठ ने एनबीसीसी के वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे से कहा कि फ्लो चार्ट में इसका विवरण होना चाहिए कि एनबीसीसी के पास कितना फंड है और अगले तीन महीने में उसे कितनी वित्तीय सहायता की जरूरत है।
साथ ही उसे यह भी बताने के लिए कहा गया है कि अगर और फंड की जरूरत पड़ी तो इसके लिए किस तरह की योजना है। एनबीसीसी को एक हफ्ते में कार्य योजना दाखिल करने के लिए कहा गया है। परियोजनाओं का काम पूरा करने के लिए एनबीसीसी को फंड जारी करने के मसले पर एसबीआई कैपिटल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि वह इस संबंध में निर्देश लेकर आएंगे। उन्होंने पीठ से अपील की कि फिलहाल इस मसले को लेकर कोई आदेश पारित न किया जाए।
- किसी मुगालते में न रहें घर खरीदार
सुनवाई के दौरान पीठ ने मौखिक टिप्पणी की कि घर खरीदारों को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए वे बिना बकाया भुगतान किए संपत्ति का मजा उठा पाएंगे। पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब घर खरीदारों की ओर से पेश वकील एमएल लाहोटी ने कहा कि निर्माण के इस चरण में घर खरीदारों को और पैसे देने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।
पीठ की टिप्पणी के बाद लाहोटी ने कहा कि वह यह नहीं कह रहे हैं कि घर खरीदार बिना भुगतान किए फायदा उठाएं बल्कि उनके कहने का मतलब यह है कि वे पहले ही भारी रकम अदा कर चुके हैं।
सार
- वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि जेपी मॉर्गन इंडिया का आम्रपाली से कोई लेना देना नहीं
- पीठ ने ईडी को अगली सुनवाई में संक्षिप्त जवाब दाखिल करने को कहा
- पीठ ने कहा खरीदार बिना भुगतान किए फायदा नहीं उठा सकते
विस्तार
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि उसने बहुराष्ट्रीय कंपनी जेपी मॉर्गन की 187 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की है। यह कार्रवाई आम्रपाली समूह के घर खरीदारों की रकम जेपी मॉर्गन में हस्तांतरित करने के आरोप में की गई। कंपनी ने इस कार्रवाई को गैरकानूनी करार दिया।
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की पीठ को ईडी के वकील ने बताया कि उसके पिछले हफ्ते के आदेश का पालन करते हुए मंगलवार को जेपी मॉर्गन की संपत्तियों को अटैच किया गया। एमएनसी के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि जेपी मॉर्गन इंडिया का आम्रपाली से कोई लेना देना नहीं है और उसने आम्रपाली में एक पैसे का भी निवेश नहीं कर रखा है।
उन्होंने कहा कि जेपी मॉर्गन सिंगापुर और मारीशस ने रियल एस्टेट कंपनी में निवेश कर रखा है। इस पर पीठ ने कहा कि जेपी मॉर्गन एक वैश्विक कंपनी है और अलग-अलग देश में उसकी सहायक कंपनियां है। ऐसे में हमें हर बात का ख्याल रखना होगा। इस पर रोहतगी ने कहा कि फॉरेंसिक ऑडिटर को भी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई से पहले जेपी मॉर्गन इंडिया के बारे में जानकारी नहीं थी। पीठ अगले हफ्ते रोहतगी की दलीलों पर विचार करेगी। पीठ ने ईडी को अगली सुनवाई में जेपी मॉर्गन इंडिया द्वारा दाखिल आवेदन पर संक्षिप्त जवाब दाखिल करने को कहा।
- आम्रपाली के अटके कार्यों पर अगले कुछ महीनों की कार्ययोजना पेश करे एनबीसीसी
पीठ ने सुनवाई के दौरान आम्रपाली के अटके कार्यों पर सरकारी निर्माण कंपनी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) लिमिटेड से फ्लो चार्ट के जरिए अगले कुछ महीनों की कार्ययोजना का विवरण पेश करने को कहा। पीठ ने एनबीसीसी के वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे से कहा कि फ्लो चार्ट में इसका विवरण होना चाहिए कि एनबीसीसी के पास कितना फंड है और अगले तीन महीने में उसे कितनी वित्तीय सहायता की जरूरत है।
साथ ही उसे यह भी बताने के लिए कहा गया है कि अगर और फंड की जरूरत पड़ी तो इसके लिए किस तरह की योजना है। एनबीसीसी को एक हफ्ते में कार्य योजना दाखिल करने के लिए कहा गया है। परियोजनाओं का काम पूरा करने के लिए एनबीसीसी को फंड जारी करने के मसले पर एसबीआई कैपिटल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि वह इस संबंध में निर्देश लेकर आएंगे। उन्होंने पीठ से अपील की कि फिलहाल इस मसले को लेकर कोई आदेश पारित न किया जाए।
- किसी मुगालते में न रहें घर खरीदार
सुनवाई के दौरान पीठ ने मौखिक टिप्पणी की कि घर खरीदारों को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए वे बिना बकाया भुगतान किए संपत्ति का मजा उठा पाएंगे। पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब घर खरीदारों की ओर से पेश वकील एमएल लाहोटी ने कहा कि निर्माण के इस चरण में घर खरीदारों को और पैसे देने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।
पीठ की टिप्पणी के बाद लाहोटी ने कहा कि वह यह नहीं कह रहे हैं कि घर खरीदार बिना भुगतान किए फायदा उठाएं बल्कि उनके कहने का मतलब यह है कि वे पहले ही भारी रकम अदा कर चुके हैं।