न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 28 May 2020 05:01 PM IST
डॉ. वीके पॉल
– फोटो : एएनआई
ख़बर सुनें
उन्होंने कहा, हमारे देश का विज्ञान आधार और फार्मा इंडस्ट्री, दोनों बहुत मजबूत हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद हमने आधार बहुत मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि देश की फार्मा इंडस्ट्री को फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड कहा जाता है। हमारे यहां बनाई गई कई वैक्सीन दवाएं सारे विश्व में जाती हैं और जान बचाती हैं।
The fight against Coronavirus will be won through vaccine and drugs. Our country’s science and technology institutions and pharma industry are very strong: VK Paul, Member- Health, Niti Aayog pic.twitter.com/ION2OjWw3X
— ANI (@ANI) May 28, 2020
डॉ. वीके पॉल ने कहा, हम रिसर्च व डेवलेपमेंट करते हुए नई ईजादें करने में लगे हैं। जब प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित किया था तो आह्वान किया था कि आप साइंस सॉल्यूशन ढूंढें ।देश के वैज्ञानिकों से कहा था कि इसमें आप आगे बढ़ें, ये देश के लिए नहीं बल्कि मानवता के लिए है।
वहीं, सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. के विजय राघवन ने कहा कि हमें समझना होगा कि वैक्सीन कैसे काम करता है, इसे बनने में कितना समय लगता है और उसका वितरण कैसे होता है। जब वायरस हमारे शरीर में आता है तो एंटीबॉडी उसके खिलाफ लड़ती है। लेकिन वायरस के ज्यादा मडबूत होने के चलते एंटीबॉडी धीमी पड़ जाती है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन हमारे इम्यून सिस्टम को वायरस से लड़ने के लिए तैयार करती है। वैक्सीन की क्वालिटी और सेफ्टी बहुत जरूरी है।
कर सकते हैं हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल
डॉ. पॉल ने कहा कि इस दवा के ऊपर दुनिया भर में काम चल रहा है। जब हम इसे देखते हैं और मलेरिया में इसके इस्तेमाल को देखते हैं। इसके साइड इफेक्ट भी कम हैं। इसमें रिसर्च होती रहेगी। कोरोना एक नया वायरस है तो हम सीख रहे हैं। जब भी हमने दवा को ध्यान से देखा है, वैज्ञानिकों से बात की है, यह वायरस के प्रवेश को रोकता है ये सब जानते हैं।
इसे लेकर जो भी अनुभव रहा है वह यह है कि इस समय इसके बारे में जो गाइडलाइंस हैं, कि फ्रंटलाइन वर्कर्स को थोड़े प्रिकॉशन्स के साथ यह दवा दी जा सकती है। लेकिन जैसे-जैसे इसके बारे में पता चलेगा। लेकिन तब तक हमारा मानना है कि दिशा-निर्देशों के मुताबिक इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रेस वार्ता के प्रमुख बिंदु
- डॉ. पॉल ने कहा, हमारा लक्ष्य है कि बीमारी नियंत्रण में रहे और जीवन जितना संभव हो उतना सामान्य किया जाए। इसके कई पक्ष हैं, जिसमें महामारी एक पक्ष है। महामारी इतने स्तर पर ही हो कि हमारी इलाज करने की क्षमता से नीचे रहे। महामारी को इससे बाहर जाने नहीं दिया जा सकता है।
- वैक्सीन का ट्रायल करना है या देश में लानी हो तो रेग्यूलेटरी सिस्टम की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। हमारे यहां के रेग्यूलेटरी सिस्टम मिशन मोड में काम कर रहे हैं। एक सिस्टम ऐसा बनाया गया है जो बहुत तेजी से काम करता है और हर शंका का जवाब देता है।
- देश की लगभग 20 नई कंपनियों ने डायग्नोस्टिक किट देश को प्रदान की हैं। जब हमारी जरूरत पूरी हो जाएगी तो दुनिया को भी हम ये किट उपलब्ध कराएंगे। जुलाई तक पांच लाख किट रोज बनाने की क्षमता हो जाएगी।
- देश में कई दवाओं पर भी ट्रायल किया जा रहा है। बीसीजी वैक्सीन पर भी काम किया जा रहा है, यह हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के साथ फेरीपेरावीर दवा और अन्य दवाओं पर ट्रायल हो रहा है।
- हमारे देश के वैज्ञानिक, इंडस्ट्री, स्टार्टअप, शिक्षण संस्थान, लैब आदि जिनके पास इस बीमारी के इलाज से संबंधित कोई विचार है तो नीति आयोग को या विज्ञान सलाहकार को लिखें, इस पर पूरा काम किया जाएगा।
- मीडिया ने बहुत बड़ी भागीदारी निभाई है। लोगों को जागरूक करने में और मानसिकता बदलने में बहुत अहम भूमिका निभाई है। डॉ. पॉल ने कहा कि देश की वैज्ञानिक उपलब्धियों को भी मीडिया फोकस में लाए। ऐसी मुसीबतों में साइंस के हल ही काम आएंगे और मानवता को बचाएंगे।
- वैक्सीन विकसित करने की तीन पहल, पहली अपने प्रयास से, दूसरी सहयोग के प्रयास से और तीसरी जहां रिसर्च अग्रिम चरण में है वहां पहुंचने से।
- सारी दुनिया में और हमारे यहां भी जब सैंपल लेते हैं तो कई लोग उसकी जेनेटिक सीक्वेंसिंग करते हैं। पहले हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि वायरस के सीक्सेंस में बदलाव करने का मतलब यह नहीं है कि इससे उसकी मुख्य एक्टिविटी भी बदल जाएगी। इससे हमें सिर्फ उसकी भोगोलिक स्थिति पता चलती है। उसके जेनेटिक सीक्वेंस की जांच भर से हम सब कुछ नहीं बता सकते हैं।
- रिसर्च लैब और वैज्ञानिक हमेशा इस काम में लगे रहते हैं कि पहले से ज्यादा प्रभावी वैक्सीन विकसित की जा सके। ऐसी वैक्सीन के बारे में हम अभी ज्यादा नहीं जानते हैं। पशुओं पर ट्रायल से हम केवल अंदाजा लगा सकते हैं कि मनुष्य के ऊपर इसका क्या असर पड़ेगा। बीमारी से लड़ने में यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी इम्यूनिटी कैसी है।
- हमें अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना होगा।
- दुनिया में भारत का वैक्सीन उत्पादन शीर्ष स्तर पर है।
- वैक्सीन कंपनियां उत्पादन के साथ रिसर्च में भी जुटीं।
- वैक्सीन की सुरक्षा और गुणवत्ता बहुत जरूरी है।
- हमारे संस्थान चार चरह की वैक्सीन बनाने में जुटी हैं।
- नई दवा बनाना वैक्सीन विकसित करने की तरह ही मुश्किल काम है।
- 30 समूह वैक्सीन विकसित करने के काम में लगे हैं।
- इलाज के लिए मुख्य तरह से दो तरह की दवाएं मौजूद।
- खुद को और सतहों को साफ रखना बहुत जरूरी है।
- सोशल डिस्टेंसिंग, ट्रैकिंग और टेस्टिंग बहुत जरूरी।
- जेनेटिक मैटरियल के लिए किया जाता है टेस्ट।
- वायरस का पता लगाने के लिए एंटीबॉडी टेस्ट भी किए जाते हैं।