कोरोना वायरस की रैपिड जांच के लिए अब देश तैयार है। 22 राज्यों के 170 जिलों में 6 लाख जांच किट्स शनिवार तक पहुंच चुकी हैं। इससे पहले कि राज्य अपने-अपने जिलों में रैपिड टेस्ट शुरू करें, केंद्र सरकार ने सभी मुख्य सचिवों को पत्र लिख सख्त आदेश जारी किए हैं। इसके तहत राज्यों को एक-एक रैपिड जांच किट का ब्योरा केंद्र को देना पड़ेगा। हर दिन राज्यों से इसकी रिपोर्ट भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को सौंपनी होगी।
बगैर चिकित्सकीय निगरानी के रैपिड जांच नहीं कराई जा सकती। जिन राज्यों में कोरोना हॉटस्पॉट फिलहाल नहीं है, उन्हें भविष्य को देखते हुए जांच किट्स संभाल कर रखने को कहा गया है। इसके अलावा देश में कोरोना वायरस की रैपिड जांच (सर्विलांस) के लिए एक जैसा प्रोटोकॉल लागू कर दिया है जिसके तहत हर राज्य को कोरोना की जांच और सर्विलांस के लिए इन प्रोटोकॉल का पालन करना ही होगा। साथ ही हॉटस्पॉट क्षेत्र में सात दिन से पहले इनका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
केंद्र सरकार के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने पत्र में लिखा है कि नेशनल टास्क फोर्स पूरी दुनिया के कोरोना प्रभावित देशों पर नजर रखे हुए है। सर्विलांस से जुड़े तमाम दस्तावेज का अध्ययन करने के बाद ही देश में रैपिड जांच के लिए प्रोटोकॉल तय किए गए हैं, जिनका पालन सभी को करना है।
जांच के दौरान अगर किसी में लक्षण मिलते हैं तो उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया जाए। सामाजिक दूरी, मास्क, हाथों की सफाई और गैरजरूरी यात्रा पर रोक का पालन भी किया जाए।
जांच से पहले करना होगा पंजीयन…
आईसीएमआर ने एक कोविड-19 वेबसाइट बनाई है, जिस पर हर राज्य रैपिड जांच शुरू करने से पहले पंजीयन करेगा। वेबसाइट पर राज्यों को रोज बताना होगा कि उन्होंने किस जिले के कितने हॉटस्पॉट में रैपिड जांच किट्स का इस्तेमाल किया है। खर्च और भंडारण में मौजूद किट्स का ब्योरा देना होगा। कितने लोगों में संक्रमण की आशंका मिली है। आईसीएमआर डाटा का अपने सर्विलांस में इस्तेमाल करेगा।
रैपिड जांच केवल निगरानी के लिए
आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोरोना वायरस की जल्दी जांच के लिए रैपिड जांच नहीं है। यह सभी राज्यों को भी बताया है। रैपिड जांच एक वैकल्पिक व्यवस्था है, जिसका इस्तेमाल सिर्फ सर्विलांस के लिए होगा। इसमें किसी भी प्रकार संदेह नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि कुछ राज्यों से रैपिड जांच को लेकर समस्याएं आती हैं, जिनके आधार पर ही नए प्रोटोकॉल बनाए हैं।
जहां नहीं है कोरोना, वहां भी होगी जांच…
जानकारी के अनुसार देश के 377 जिलों में क्लस्टर या हॉटस्पॉट जोन बनाए हैं। इनमें से 170 जिलों में हॉटस्पॉट अतिसंवेदनशील हैं। बाकी जिले या राज्य, जहां एक भी मरीज नहीं मिला है, उन्हें भी रैपिड जांच किट्स भेजी जा रही हैं, ताकि भविष्य में अगर कोई हॉटस्पॉट बनता है तो वहां इनका इस्तेमाल हो सके। सर्विलांस के तौर पर उन इलाकों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां से केस रिपोर्ट नहीं हुए हैं, पर मरीज मिलने की आशंका है।
50 लाख किट्स का है इंतजाम
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 50 लाख रैपिड टेस्ट किट मंगाने के ऑर्डर दिए जा चुके हैं, जिनमें से 10 फीसदी से ज्यादा किट्स आ चुकी हैं। हर सप्ताह पांच से छह लाख किट्स और आती रहेंगी। जैसे-जैसे केंद्र को स्टॉक मिलता रहेगा, वैसे-वैसे राज्यों को इनकी आपूर्ति कराई जाएगी। इसके अलावा भारत में भी अब स्वदेशी कंपनी व वैज्ञानिकों की तैयार रैपिड किट्स मिलना शुरू हो चुकी हैं। अनुमान है कि मई तक करीब 20 लाख किट्स का वितरण हो जाएगा।
हॉटस्पॉट क्षेत्र के नए प्रोटोकॉल…
सात दिन में मिले लक्षण तो करनी है आरटी-पीसीआर…कोरोना जांच के नए प्रोटोकॉल के तहत हॉटस्पॉट क्षेत्र में आरटी पीसीआर का इस्तेमाल सात दिन में लक्षण मिलने पर करना है। यानि एक क्षेत्र हॉटस्पॉट बना तो अगले सात दिन तक संक्रमण के लक्षण वालाें की जांच हागी।
15 से 30 मिनट में रिजल्ट…
हॉटस्पॉट में तब्दील होने के सात दिन बाद रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट होगा। एक स्ट्रिप पर ऊंगली से रक्त लेकर जांच की जाती है। महज 15 से 30 मिनट में रिजल्ट आ जाता है। रिपोर्ट पॉजीटिव या निगेटिव उक्त व्यक्ति सात दिन क्वारंटीन रहेगा।
सार
- 22 राज्यों के 170 जिलों तक पहुंचीं छह लाख रैपिड जांच किट
- राज्यों को सावधानी के आदेश,किट्स का इस्तेमाल चिकित्सीय निगरानी में हो
विस्तार
कोरोना वायरस की रैपिड जांच के लिए अब देश तैयार है। 22 राज्यों के 170 जिलों में 6 लाख जांच किट्स शनिवार तक पहुंच चुकी हैं। इससे पहले कि राज्य अपने-अपने जिलों में रैपिड टेस्ट शुरू करें, केंद्र सरकार ने सभी मुख्य सचिवों को पत्र लिख सख्त आदेश जारी किए हैं। इसके तहत राज्यों को एक-एक रैपिड जांच किट का ब्योरा केंद्र को देना पड़ेगा। हर दिन राज्यों से इसकी रिपोर्ट भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को सौंपनी होगी।
बगैर चिकित्सकीय निगरानी के रैपिड जांच नहीं कराई जा सकती। जिन राज्यों में कोरोना हॉटस्पॉट फिलहाल नहीं है, उन्हें भविष्य को देखते हुए जांच किट्स संभाल कर रखने को कहा गया है। इसके अलावा देश में कोरोना वायरस की रैपिड जांच (सर्विलांस) के लिए एक जैसा प्रोटोकॉल लागू कर दिया है जिसके तहत हर राज्य को कोरोना की जांच और सर्विलांस के लिए इन प्रोटोकॉल का पालन करना ही होगा। साथ ही हॉटस्पॉट क्षेत्र में सात दिन से पहले इनका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
केंद्र सरकार के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने पत्र में लिखा है कि नेशनल टास्क फोर्स पूरी दुनिया के कोरोना प्रभावित देशों पर नजर रखे हुए है। सर्विलांस से जुड़े तमाम दस्तावेज का अध्ययन करने के बाद ही देश में रैपिड जांच के लिए प्रोटोकॉल तय किए गए हैं, जिनका पालन सभी को करना है।
जांच के दौरान अगर किसी में लक्षण मिलते हैं तो उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया जाए। सामाजिक दूरी, मास्क, हाथों की सफाई और गैरजरूरी यात्रा पर रोक का पालन भी किया जाए।
जांच से पहले करना होगा पंजीयन…
आईसीएमआर ने एक कोविड-19 वेबसाइट बनाई है, जिस पर हर राज्य रैपिड जांच शुरू करने से पहले पंजीयन करेगा। वेबसाइट पर राज्यों को रोज बताना होगा कि उन्होंने किस जिले के कितने हॉटस्पॉट में रैपिड जांच किट्स का इस्तेमाल किया है। खर्च और भंडारण में मौजूद किट्स का ब्योरा देना होगा। कितने लोगों में संक्रमण की आशंका मिली है। आईसीएमआर डाटा का अपने सर्विलांस में इस्तेमाल करेगा।
रैपिड जांच केवल निगरानी के लिए
आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोरोना वायरस की जल्दी जांच के लिए रैपिड जांच नहीं है। यह सभी राज्यों को भी बताया है। रैपिड जांच एक वैकल्पिक व्यवस्था है, जिसका इस्तेमाल सिर्फ सर्विलांस के लिए होगा। इसमें किसी भी प्रकार संदेह नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि कुछ राज्यों से रैपिड जांच को लेकर समस्याएं आती हैं, जिनके आधार पर ही नए प्रोटोकॉल बनाए हैं।
जहां नहीं है कोरोना, वहां भी होगी जांच…
जानकारी के अनुसार देश के 377 जिलों में क्लस्टर या हॉटस्पॉट जोन बनाए हैं। इनमें से 170 जिलों में हॉटस्पॉट अतिसंवेदनशील हैं। बाकी जिले या राज्य, जहां एक भी मरीज नहीं मिला है, उन्हें भी रैपिड जांच किट्स भेजी जा रही हैं, ताकि भविष्य में अगर कोई हॉटस्पॉट बनता है तो वहां इनका इस्तेमाल हो सके। सर्विलांस के तौर पर उन इलाकों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां से केस रिपोर्ट नहीं हुए हैं, पर मरीज मिलने की आशंका है।
50 लाख किट्स का है इंतजाम
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 50 लाख रैपिड टेस्ट किट मंगाने के ऑर्डर दिए जा चुके हैं, जिनमें से 10 फीसदी से ज्यादा किट्स आ चुकी हैं। हर सप्ताह पांच से छह लाख किट्स और आती रहेंगी। जैसे-जैसे केंद्र को स्टॉक मिलता रहेगा, वैसे-वैसे राज्यों को इनकी आपूर्ति कराई जाएगी। इसके अलावा भारत में भी अब स्वदेशी कंपनी व वैज्ञानिकों की तैयार रैपिड किट्स मिलना शुरू हो चुकी हैं। अनुमान है कि मई तक करीब 20 लाख किट्स का वितरण हो जाएगा।
हॉटस्पॉट क्षेत्र के नए प्रोटोकॉल…
सात दिन में मिले लक्षण तो करनी है आरटी-पीसीआर…कोरोना जांच के नए प्रोटोकॉल के तहत हॉटस्पॉट क्षेत्र में आरटी पीसीआर का इस्तेमाल सात दिन में लक्षण मिलने पर करना है। यानि एक क्षेत्र हॉटस्पॉट बना तो अगले सात दिन तक संक्रमण के लक्षण वालाें की जांच हागी।
15 से 30 मिनट में रिजल्ट…
हॉटस्पॉट में तब्दील होने के सात दिन बाद रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट होगा। एक स्ट्रिप पर ऊंगली से रक्त लेकर जांच की जाती है। महज 15 से 30 मिनट में रिजल्ट आ जाता है। रिपोर्ट पॉजीटिव या निगेटिव उक्त व्यक्ति सात दिन क्वारंटीन रहेगा।