Child Sexual Harrasment By Cleric At Religious Schools Madrassas In Pakistan Is Endemic No One Gets Conviction  – पाकिस्तान के धार्मिक स्कूलों, मदरसों में आम है बच्चों का यौन शोषण




वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Updated Tue, 12 May 2020 09:00 AM IST

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मुहिम्मन धीरे-धीरे एक कागज पर अपना नाम लिखने की कोशिश कर रहा है। 11 साल का यह बच्चा पढ़ने में अच्छा था और उसका सपना डॉक्टर बनने का था। लेकिन अब उसे स्कूल का नाम भी डराता है। ऐसा इसलिए क्योंकि साल की शुरुआत में दक्षिणी पंजाब के पाकपट्टन शहर में स्थित उसके धार्मिक स्कूल का मौलवी उसे बाथरूम लेकर गया और उसका यौन शोषण करने की कोशिश की। 
मुहिम्मन की चाची शाजिया का कहना है कि पाकिस्तान के धार्मिक स्कूलों में छोटे बच्चों के साथ इस तरह की घटनाएं होना आम हैं। उन्होंने कहा कि वह आरोपी मौलवी मोईद शाह को बचपन से जानती हैं। उन्होंने बताया कि वह आदतन शोषण करने वाला शख्स है। वो छोटी लड़कियों को अपना कुर्ता ऊपर उठाने के लिए कहता है। शाजिया ने याद करते हुए कहा, ‘उसने लड़कों के अलावा दो-तीन लड़कियों का शोषण किया है।’

उन्होंने बताया कि एक लड़की के साथ मौलवी ने इतनी क्रूरता की कि उसकी पीठ टूट गई थी। एपी की रिपोर्ट के अनुसार जांच करने पर कई दर्जनों ऐसी पुलिस रिपोर्ट्स मिलीं जिसमें पूरे पाकिस्तान के अंदर मदरसा या धार्मिक स्कूलों में पढ़ाने वाले मौलवियों पर यौन शोषण, दुष्कर्म या शारीरिक शोषण के आरोप लगे हैं। यहां देश के गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं।

पाकिस्तान के अंदर 22 हजार से ज्यादा मदरसे पंजीकृत हैं। जहां दो मिलियन (20 लाख) बच्चे पढ़ाई करते हैं। लेकिन कई और धार्मिक स्कूल हैं जो अपंजीकृत हैं। इन्हें आम तौर पर एक स्थानीय मौलवी द्वारा शुरू किया जाता है जो छात्रों को भोजन और मुफ्त आवास का वादा करके आकर्षित करते हैं। मदरसों को संचालित करने वाले मौलवियों के लिए कोई केंद्रीय निकाय नहीं है। न ही कोई केंद्रीय प्राधिकरण है जो मौलवियों द्वारा दुर्व्यवहार के आरोपों की जांच करे।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाठ्यक्रम का आधुनिकीकरण करने और मदरसों को अधिक जवाबदेह बनाने का वादा किया था लेकिन ऐसा बहुत ही कम हो पाया है। पुलिस का कहना है कि मौलवियों द्वारा बच्चों के यौन शोषण की समस्या आम है और उन्हें इसकी रिपोर्ट कम ही मिलती है। हालांकि दर्जनों रिपोर्टों के बावजूद एक मौलवी को भी दोषी नहीं ठहराया गया है।

मुहिम्मन धीरे-धीरे एक कागज पर अपना नाम लिखने की कोशिश कर रहा है। 11 साल का यह बच्चा पढ़ने में अच्छा था और उसका सपना डॉक्टर बनने का था। लेकिन अब उसे स्कूल का नाम भी डराता है। ऐसा इसलिए क्योंकि साल की शुरुआत में दक्षिणी पंजाब के पाकपट्टन शहर में स्थित उसके धार्मिक स्कूल का मौलवी उसे बाथरूम लेकर गया और उसका यौन शोषण करने की कोशिश की। 

मुहिम्मन की चाची शाजिया का कहना है कि पाकिस्तान के धार्मिक स्कूलों में छोटे बच्चों के साथ इस तरह की घटनाएं होना आम हैं। उन्होंने कहा कि वह आरोपी मौलवी मोईद शाह को बचपन से जानती हैं। उन्होंने बताया कि वह आदतन शोषण करने वाला शख्स है। वो छोटी लड़कियों को अपना कुर्ता ऊपर उठाने के लिए कहता है। शाजिया ने याद करते हुए कहा, ‘उसने लड़कों के अलावा दो-तीन लड़कियों का शोषण किया है।’

उन्होंने बताया कि एक लड़की के साथ मौलवी ने इतनी क्रूरता की कि उसकी पीठ टूट गई थी। एपी की रिपोर्ट के अनुसार जांच करने पर कई दर्जनों ऐसी पुलिस रिपोर्ट्स मिलीं जिसमें पूरे पाकिस्तान के अंदर मदरसा या धार्मिक स्कूलों में पढ़ाने वाले मौलवियों पर यौन शोषण, दुष्कर्म या शारीरिक शोषण के आरोप लगे हैं। यहां देश के गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं।

पाकिस्तान के अंदर 22 हजार से ज्यादा मदरसे पंजीकृत हैं। जहां दो मिलियन (20 लाख) बच्चे पढ़ाई करते हैं। लेकिन कई और धार्मिक स्कूल हैं जो अपंजीकृत हैं। इन्हें आम तौर पर एक स्थानीय मौलवी द्वारा शुरू किया जाता है जो छात्रों को भोजन और मुफ्त आवास का वादा करके आकर्षित करते हैं। मदरसों को संचालित करने वाले मौलवियों के लिए कोई केंद्रीय निकाय नहीं है। न ही कोई केंद्रीय प्राधिकरण है जो मौलवियों द्वारा दुर्व्यवहार के आरोपों की जांच करे।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाठ्यक्रम का आधुनिकीकरण करने और मदरसों को अधिक जवाबदेह बनाने का वादा किया था लेकिन ऐसा बहुत ही कम हो पाया है। पुलिस का कहना है कि मौलवियों द्वारा बच्चों के यौन शोषण की समस्या आम है और उन्हें इसकी रिपोर्ट कम ही मिलती है। हालांकि दर्जनों रिपोर्टों के बावजूद एक मौलवी को भी दोषी नहीं ठहराया गया है।




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