British Scientists Stopped Testing Hydroxychloroquine, Saying It Is Useless Against Corona. – ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का रोका परीक्षण, कोरोना के खिलाफ बताया बेकार




मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या क्लोरोक्वीन को लेकर चल रहे परीक्षण को ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को रोक दिया। बता दें कि यह दवा उस समय अचानक से दुनियाभर में सुर्खियों में आ गई, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसकी मांग की थी। हालांकि, ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने इसे कोरोना वायरस के खिलाफ बेकार बताया है।

बंद कर देना चाहिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और रिकवरी परीक्षण के सह-प्रमुख हैंमार्टिन लैंड्रे ने पत्रकारों से कहा, “यह कोविड-19 का इलाज नहीं है। यह काम नहीं करता है।” उन्होंने आगे कहा, “इस परिणाम को दुनिया भर में चिकित्सा पद्धति को बदलना चाहिए। हम अब ऐसी दवा का इस्तेमाल बंद कर सकते हैं जो बेकार है।”

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन को लेकर उठे थे सवाल

इससे पहले यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के वैज्ञानिकों की एक टीम की तरफ से अमेरिका और कनाडा के लोगों पर किए गए इस दवा के परीक्षण के बाद इसे कोरोना के इलाज में बेकार बताया गया था। दरअसल 821 लोगों पर परीक्षण के बाद यह बात सामने आई थी कि ये दवा कोरोना को हराने के लिए कारगर नहीं है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित शोध में कहा गया था कि इस दवा के अत्यधिक नुकसान नहीं हैं। लेकिन शरीर पर इसके लगभग 40 प्रतिशत तक साइड इफेक्ट देखे गए हैं। इससे होने वाली समस्याओं में कई पेट की बीमारियों से जुड़ी थीं।

दोबारा से शुरू हुआ ट्रायल

कोरोना के इलाज को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के दोबारा परीक्षण को मिली मंजूरी के बाद भारत में इसकी कई जगह सराहना की जा रही थी।

डब्ल्यूएचओ ने किया था परीक्षण को रद्द 

इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने सुरक्षा कारणों से कोविड-19 के इलाज के लिए संभावित दवाओं के परीक्षण में से एचसीक्यू (हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन) का परीक्षण रद्द कर दिया था। 

भारत में बढ़ा था विरोध

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की तरफ से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के परीक्षण पर रोक लगाए जाने का भारत में विरोध देखने को मिला था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के बाद अब वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक शेखर मंडे, इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) दिल्ली के निदेशक अनुराग अग्रवाल और चेन्नई मैथमेटिकल इंस्टीट्यूट के निदेशक राजीव करणडिकर ने डब्ल्यूएचओ को पत्र लिखकर लैंसेट पत्रिका के अध्ययन पर इस दवा के परीक्षण पर अस्थायी रोक लगाने के फैसले को गलत बताया था।

ट्रंप ने भी किया था इस्तेमाल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो सप्ताह तक इस दवा का इस्तेमाल किया था। हालांकि, इस दौरान उनके स्वास्थ्य पर करीबी से नजर रखी गई थी। व्हाइट हाउस के एक चिकित्सकीय दल के मुताबिक, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन लेने के बाद ट्रंप की नई स्वास्थ्य रिपोर्ट में वह स्वस्थ पाए गए थे। केवल उनके वजन बढ़ा हुआ पाया गया था। वहीं, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केयलेग मैकेननी ने कहा था कि ट्रंप हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की दो सप्ताह तक खुराक लेने के बाद बेहतर महसूस कर रहे हैं। इस दौरान व्हाइट हाउस ने कहा कि अगर उन्हें लगता है कि वह कोरोना से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आएं हैं, तो वह दोबारा मलेरिया रोधी इस दवा का उपयोग करेंगे।

 




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