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इन देशों के श्रम, रोजगार, सांख्यिकी और उद्योग विभागों द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार आने वाले महीनों में भी हालात इसी तरह विकट बने रह सकते हैं। विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ती बेरोजगारी पर रिपोर्ट-
भारत : सबसे खराब हालात, 26% हुई बेरोजगारी, 14 करोड़ ने गंवाया काम
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमईआई) ने दावा किया है कि अप्रैल के तीसरे हफ्ते में देश में बेरोजगारी दर 26.2% पहुंच गई है। यह मार्च में 8.4% थी। खास बात है कि ग्रामीण भारत में कभी भी बेरोजगारी दर दहाई अंक तक नहीं पहुंची थी, लेकिन यह भी 26.7% हो चुकी है। यह शहरों में 25.1% है। आकलन है कि अब तक देश में 14 करोड़ लोग अपना काम गंवा चुके हैं। कोरोना वायरस की वजह से कृषि गतिविधियों का थम जाना इस का कारण माना जा रहा है।
नोबल पुरस्कार विजेता इस्थर डफलो और अभिजीत बेनर्जी के अनुसार भारत में ज्यादा प्रभावी ढंग से राहत पहुंचाने की जरूरत है, ताकि रोजगार की तलाश में घर छोड़ चुके लोगों को बचाया जा सके।सीआईआई के सर्वे के अनुसार, 52% कंपनियां मान रही हैं कि नौकरियों में 30% तक कमी आ सकती है।
यहां बेरोजगारी दर 16 प्रतिशत पहुंच चुकी है जो 1933 के महामंदी काल के 24.9 प्रतिशत के बाद सर्वाधिक है। अप्रैल खत्म होने तक बेरोजगारी 20 प्रतिशत पहुंच सकती है। हर तीन में से एक को वेतन कटने का डर है। पीयू रिसर्च सेंटर के अनुसार, हर तीन में से एक अमेरिकी के वेतन में कटौती होगी या नौकरियाें से निकाला जा सकता है।
अनुमान है कि तीन महीने तक वायरस का असर रहता है तो तीन करोड़ अमेरिकी अपनी नौकरियां गंवा सकते हैं।
फिर भी सात स्टोर हमेशा के लिए बंद कर दिए गए हैं। एसेक्स विश्वविद्यालय के शोध केे अनुसार हर पांचवे नौकरीपेशा की नौकरी पर संकट है। खुदरा क्षेत्र में 20 लाख (48%), होटल, पब, कैफे व रेस्तरां में 13 लाख (75%) और शिक्षण क्षेत्र में 8 लाख नौकरियां जा चुकी हैं। 10 लाख नौकरियां सर्विस सेक्टर से जाने की कगार पर हैं।
बेरोजगारी दर दोगुनी : रिसर्च एजेंसियों का दावा है कि लॉकडाउन के बाद बेरोजगारी दर दोगुनी हो चुकी है। 33% उद्योग बंद हो चुके हैं। जीडीपी में 35% कमी अनुमान है, इतनी गिरावट विश्व युद्ध के बाद 1920-26 में और महामंदी के बाद 1929-33 में भी नहीं थी।
जापान में बेरोजगारी दर में हर एक प्रतिशत वृद्धि का मतलब दो हजार लोगों की मौत है। फरवरी में यहां 4.10 लाख लोगों को नौकरी से निकाला गया। जनवरी में यह आंकड़ा 3.70 लाख था।
ऑटोमोबाइल क्षेत्र पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। क्षेत्र में एक लाख लोगों की नौकरियां जाने का अनुमान हैं। कार उत्पादकों से सप्लायर तंत्र के बीच 8.30 लाख नौकरियां भी घट सकती हैं। कार उत्पादन भी 15% घटा है, इसके मायने हैं कि 38 लाख कारें कम बनेंगी।
अब तक लाजवाब करने वाले दक्षिण कोरिया में भी मार्च में 1.95 लाख लोगों की नौकरियां गईं। यह मई 2009 के बाद किसी एक महीने के लिए सर्वाधिक आंकड़ा है। 4.20 लाख अस्थायी नौकरियां भी घट गईं। मार्च में देश के कुल 2.66 करोड़ लोग बेरोजगार थे।
इन देशों के श्रम, रोजगार, सांख्यिकी और उद्योग विभागों द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार आने वाले महीनों में भी हालात इसी तरह विकट बने रह सकते हैं। विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ती बेरोजगारी पर रिपोर्ट-
भारत : सबसे खराब हालात, 26% हुई बेरोजगारी, 14 करोड़ ने गंवाया काम
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमईआई) ने दावा किया है कि अप्रैल के तीसरे हफ्ते में देश में बेरोजगारी दर 26.2% पहुंच गई है। यह मार्च में 8.4% थी। खास बात है कि ग्रामीण भारत में कभी भी बेरोजगारी दर दहाई अंक तक नहीं पहुंची थी, लेकिन यह भी 26.7% हो चुकी है। यह शहरों में 25.1% है। आकलन है कि अब तक देश में 14 करोड़ लोग अपना काम गंवा चुके हैं। कोरोना वायरस की वजह से कृषि गतिविधियों का थम जाना इस का कारण माना जा रहा है।
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गांवों में पहली दफा शहरों से ज्यादा हुई बेरोजगारी
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : social media
नोबल पुरस्कार विजेता इस्थर डफलो और अभिजीत बेनर्जी के अनुसार भारत में ज्यादा प्रभावी ढंग से राहत पहुंचाने की जरूरत है, ताकि रोजगार की तलाश में घर छोड़ चुके लोगों को बचाया जा सके।सीआईआई के सर्वे के अनुसार, 52% कंपनियां मान रही हैं कि नौकरियों में 30% तक कमी आ सकती है।
अमेरिका : पहले रेस्तरां, होटलों में काम छूटा…अब फैक्टरियों में कोहराम
अमेरिका का झंडा
– फोटो : social media
यहां बेरोजगारी दर 16 प्रतिशत पहुंच चुकी है जो 1933 के महामंदी काल के 24.9 प्रतिशत के बाद सर्वाधिक है। अप्रैल खत्म होने तक बेरोजगारी 20 प्रतिशत पहुंच सकती है। हर तीन में से एक को वेतन कटने का डर है। पीयू रिसर्च सेंटर के अनुसार, हर तीन में से एक अमेरिकी के वेतन में कटौती होगी या नौकरियाें से निकाला जा सकता है।
अनुमान है कि तीन महीने तक वायरस का असर रहता है तो तीन करोड़ अमेरिकी अपनी नौकरियां गंवा सकते हैं।
ब्रिटेन : हर पांच में से एक नागरिक की नौकरी पर संकट, स्टोर्स में 20 लाख होटल में 13 लाख नौकरियां खत्म
ब्रिटेन का झंडा
– फोटो : social media
फिर भी सात स्टोर हमेशा के लिए बंद कर दिए गए हैं। एसेक्स विश्वविद्यालय के शोध केे अनुसार हर पांचवे नौकरीपेशा की नौकरी पर संकट है। खुदरा क्षेत्र में 20 लाख (48%), होटल, पब, कैफे व रेस्तरां में 13 लाख (75%) और शिक्षण क्षेत्र में 8 लाख नौकरियां जा चुकी हैं। 10 लाख नौकरियां सर्विस सेक्टर से जाने की कगार पर हैं।
बेरोजगारी दर दोगुनी : रिसर्च एजेंसियों का दावा है कि लॉकडाउन के बाद बेरोजगारी दर दोगुनी हो चुकी है। 33% उद्योग बंद हो चुके हैं। जीडीपी में 35% कमी अनुमान है, इतनी गिरावट विश्व युद्ध के बाद 1920-26 में और महामंदी के बाद 1929-33 में भी नहीं थी।
जापान : फरवरी में 4.10 लाख बेेरोजगार
japan flag
– फोटो : social media
जापान में बेरोजगारी दर में हर एक प्रतिशत वृद्धि का मतलब दो हजार लोगों की मौत है। फरवरी में यहां 4.10 लाख लोगों को नौकरी से निकाला गया। जनवरी में यह आंकड़ा 3.70 लाख था।
जर्मनी : 6.50 लाख उद्योगों ने सरकार से मांगी मदद
जर्मनी झंडा
– फोटो : social media
ऑटोमोबाइल क्षेत्र पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। क्षेत्र में एक लाख लोगों की नौकरियां जाने का अनुमान हैं। कार उत्पादकों से सप्लायर तंत्र के बीच 8.30 लाख नौकरियां भी घट सकती हैं। कार उत्पादन भी 15% घटा है, इसके मायने हैं कि 38 लाख कारें कम बनेंगी।
द.कोरिया : सर्वाधिक नौकरियां घटीं
दक्षिण कोरिया का झंडा
– फोटो : social media
अब तक लाजवाब करने वाले दक्षिण कोरिया में भी मार्च में 1.95 लाख लोगों की नौकरियां गईं। यह मई 2009 के बाद किसी एक महीने के लिए सर्वाधिक आंकड़ा है। 4.20 लाख अस्थायी नौकरियां भी घट गईं। मार्च में देश के कुल 2.66 करोड़ लोग बेरोजगार थे।