Coronavirus Delhi Cm Arvind Kejriwal Press Conference On Plazma Therapy Know Everything About It – दिल्ली के सीएम केजरीवाल बोले, चार मरीजों पर हुआ प्लाज्मा थेरेपी का परीक्षण




अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Updated Fri, 24 Apr 2020 12:32 PM IST

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज एलएनजेपी अस्पताल में कोरोना के चार मरीजों पर हुए प्लाज्मा थेरेपी को लेकर प्रेस वार्ता की। इसमें उन्होंने बताया कि एलएनजेपी में चार मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी की गई जो काफी हद तक सफल रही। इन पर मंगलवार को थेरेपी की गई थी।

हमने एलएनजेपी अस्पताल के 4 मरीज़ों पर प्लाज्मा का ट्रायल करके देखा, उसके अब तक के नतीजे उत्साहवर्धक हैं। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों से इसके लिए ब्लड डोनेट करने को कहा। उन्होंने कहा कि प्लाज्मा डोनेट करने से आप कई लोगों की जान बचा सकते हैं।

उन्होंने बताया कि करीब दस दिन पहले हमें केंद्र सरकार से अनुमति मिली थी कि हम एलएनजेपी अस्पताल के सबसे गंभीर मरीजों पर इसका ट्रायल कर सकते हैं। उन्होंने प्लाज्मा थेरेपी के बारे में बताते हुए कहा कि जो कोरोना के मरीज ठीक होकर घर चले जाते हैं, उनका प्लाज्मा निकालकर हम जो संक्रमित मरीज हैं उनमें डालते हैं, तो वो ठीक हो सकते हैं।

हमने इस थेरेपी का इस्तेमाल एलएनजेपी के चार गंभीर रूप से कोरोना पीड़ितों पर किया था। उन्होंने कहा कि परिणाम काफी उत्साहवर्धक हैं। मुख्यमंत्री ने इसके बाद आईएलबीएस अस्पताल के डॉक्टर सरीन को पूरी बात समझाने के लिए आमंत्रित किया।

डॉक्टर एसके सरीन ही इस पूरी प्रक्रिया को मॉनिटर कर रहे थे। डॉक्टर सरीन ने बताया कि यह एक पुरानी थेरेपी है क्योंकि हमारे पास इसका कोई इलाज या वैक्सीन नहीं है इसलिए हमने इस थेरेपी को कोरोना के संक्रमण को न्यूट्रलाइज करने के लिए इस्तेमाल किया।
डॉ. सरीन ने बताया कि कोरोना के तीन स्टेज हैं-
पहला- वायरस फेज, जब वायरस शरीर में घुसता है
दूसरा- पल्मोनरी फेज जिसमें वायरस फेफड़ों पर अटैक करता है और श्वसन संबंधी परेशानी होने लगती है।
तीसरा- साइटोकाइन रीलिज होते हैं, जिसमें शरीर वायरस से लड़ता है और उसे मार सकता है।

डॉ. सरीन आगे कहते हैं कि अगर तीसरे फेज में मरीज अस्पताल आता है तो उस वक्त उसका ऑर्गन फेल हो सकता है जिससे उसकी मौत हो सकती है। अगर मरीज दूसरे फेज में अस्पताल आता है जब उसका फेफड़ा इंफेक्टेड होता है लेकिन बाकी ऑर्गन काम कर रहे होते हैं। उस स्टेज में अगर हम प्लाज्मा थेरेपी दें तो मरीज को ठीक किया जा सकता है क्योंकि पहले स्टेज में तो बीमारी पकड़ में ही नहीं आती।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज एलएनजेपी अस्पताल में कोरोना के चार मरीजों पर हुए प्लाज्मा थेरेपी को लेकर प्रेस वार्ता की। इसमें उन्होंने बताया कि एलएनजेपी में चार मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी की गई जो काफी हद तक सफल रही। इन पर मंगलवार को थेरेपी की गई थी।

हमने एलएनजेपी अस्पताल के 4 मरीज़ों पर प्लाज्मा का ट्रायल करके देखा, उसके अब तक के नतीजे उत्साहवर्धक हैं। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों से इसके लिए ब्लड डोनेट करने को कहा। उन्होंने कहा कि प्लाज्मा डोनेट करने से आप कई लोगों की जान बचा सकते हैं।

उन्होंने बताया कि करीब दस दिन पहले हमें केंद्र सरकार से अनुमति मिली थी कि हम एलएनजेपी अस्पताल के सबसे गंभीर मरीजों पर इसका ट्रायल कर सकते हैं। उन्होंने प्लाज्मा थेरेपी के बारे में बताते हुए कहा कि जो कोरोना के मरीज ठीक होकर घर चले जाते हैं, उनका प्लाज्मा निकालकर हम जो संक्रमित मरीज हैं उनमें डालते हैं, तो वो ठीक हो सकते हैं।

हमने इस थेरेपी का इस्तेमाल एलएनजेपी के चार गंभीर रूप से कोरोना पीड़ितों पर किया था। उन्होंने कहा कि परिणाम काफी उत्साहवर्धक हैं। मुख्यमंत्री ने इसके बाद आईएलबीएस अस्पताल के डॉक्टर सरीन को पूरी बात समझाने के लिए आमंत्रित किया।

डॉक्टर एसके सरीन ही इस पूरी प्रक्रिया को मॉनिटर कर रहे थे। डॉक्टर सरीन ने बताया कि यह एक पुरानी थेरेपी है क्योंकि हमारे पास इसका कोई इलाज या वैक्सीन नहीं है इसलिए हमने इस थेरेपी को कोरोना के संक्रमण को न्यूट्रलाइज करने के लिए इस्तेमाल किया।
डॉ. सरीन ने बताया कि कोरोना के तीन स्टेज हैं-
पहला- वायरस फेज, जब वायरस शरीर में घुसता है
दूसरा- पल्मोनरी फेज जिसमें वायरस फेफड़ों पर अटैक करता है और श्वसन संबंधी परेशानी होने लगती है।
तीसरा- साइटोकाइन रीलिज होते हैं, जिसमें शरीर वायरस से लड़ता है और उसे मार सकता है।

डॉ. सरीन आगे कहते हैं कि अगर तीसरे फेज में मरीज अस्पताल आता है तो उस वक्त उसका ऑर्गन फेल हो सकता है जिससे उसकी मौत हो सकती है। अगर मरीज दूसरे फेज में अस्पताल आता है जब उसका फेफड़ा इंफेक्टेड होता है लेकिन बाकी ऑर्गन काम कर रहे होते हैं। उस स्टेज में अगर हम प्लाज्मा थेरेपी दें तो मरीज को ठीक किया जा सकता है क्योंकि पहले स्टेज में तो बीमारी पकड़ में ही नहीं आती।




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