न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 30 May 2020 05:33 AM IST
कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से सारे संबंध तोड़ लिए हैं। ऐसे में अमेरिका से उसे मिलने वाला फंड अब पूरी तरह से रुक जाएगा। इससे पहले सिर्फ दो या तीन महीने के लिए फंड रोकने की बात अमेरिका ने कही थी। ट्रंप प्रशासन के इस ताजा फैसले का दुनिया के दूसरे गरीब देशों पर क्या कोई असर पड़ेगा?
कोरोना से लड़ने में क्या मुश्किलें आएंगी, आइए समझते हैं….
क्या कहा ट्रंप ने
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचाओ से रिश्ते तोड़ने का एलान करते हुए कहा कि डब्ल्यूएचओ पूरी तरह से चीन के इशारे पर चल रहा है। वह बदलाव की प्रक्रिया शुरू करने में भी नाकाम रहा है और इसलिए हम विश्व स्वास्थ्य संगठन से अपने सारे संबंधों को खत्म कर रहे हैं। इससे पहले अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ पर चीन का साथ देने का आरोप लगाते हुए दो से तीन महीने के लिए फंडिंग पर रोक लगा दी थी।
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व में विश्व स्वास्थ्य संगठन पर आरोप लगाया था कि वह सबसे ज्यादा फंडिंग अमेरिका से लेता है लेकिन काम चीन के लिए करता है। कोरोना महामारी से निपटने के तरीके को लेकर डब्ल्यूएचओ की कई जगह निंदा भी हुई है।
- अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी आरोप लगाया कि डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस को समझने में काफी देर कर दी। अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ पर चीन का पक्ष लेने और महामारी को काफी बुरी तरह से संभालने का भी आरोप लगाया था।
- डब्ल्यूएचओ पर आरोप लगाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अकेले नहीं हैं, उनके अलावा कई राजनीतिक जानकार, वैज्ञानिक और देश भी डब्ल्यूएचओ पर चीन का साथ देने का आरोप लगा चुके हैं। बता दें कि जनवरी के अंत में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस गेब्रेयसस ने कोरोना संक्रमण को रोकने पर चीन की रणनीतियों की तारीफ की थी।
- दरअसल, ट्रेड्रोस ने संक्रमण के फैलने पर ‘जानकारी साझा करने’ पर कम्युनिस्ट पार्टी की तारीफ की। उन्होंने उस वक्त ऐसा किया जब वुहान में चीनी अधिकारी कोरोना के बारे में जानकारी देने वालों पर अफवाहें फैलाने का आरोप लगा रहे थे और उन पर कार्रवाई कर रहे थे।
- डब्ल्यूएचओ की शुरुआत साल 1948 में हुई थी। इस संगठन को दो तरह से योगदान राशि मिलती है। पहला, संगठन का हिस्सा बनने के लिए हर सदस्य को एक खास राशि चुकानी पड़ती है जिसे असेस्ड कन्ट्रीब्यूशन कहते हैं। यह राशि सदस्य देश की आबादी और विकास दर पर निर्भर करती है।
- दूसरा तरीका होता है वॉलंटरी कन्ट्रीब्यूशन यानि कि चंदे की राशि का। यह राशि सरकारें और चैरिटी संस्थान दोनों दो सकते हैं। इस तरह की राशि किसी ना किसी प्रोजेक्ट के लिए दी जाती है। डब्ल्यूएचओ हर दो साल में अपना बजट निर्धारित करता है, साल 2020 और 2021 का बजट 4.8 अरब डॉलर है।
कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से सारे संबंध तोड़ लिए हैं। ऐसे में अमेरिका से उसे मिलने वाला फंड अब पूरी तरह से रुक जाएगा। इससे पहले सिर्फ दो या तीन महीने के लिए फंड रोकने की बात अमेरिका ने कही थी। ट्रंप प्रशासन के इस ताजा फैसले का दुनिया के दूसरे गरीब देशों पर क्या कोई असर पड़ेगा?
कोरोना से लड़ने में क्या मुश्किलें आएंगी, आइए समझते हैं….
क्या कहा ट्रंप ने
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचाओ से रिश्ते तोड़ने का एलान करते हुए कहा कि डब्ल्यूएचओ पूरी तरह से चीन के इशारे पर चल रहा है। वह बदलाव की प्रक्रिया शुरू करने में भी नाकाम रहा है और इसलिए हम विश्व स्वास्थ्य संगठन से अपने सारे संबंधों को खत्म कर रहे हैं। इससे पहले अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ पर चीन का साथ देने का आरोप लगाते हुए दो से तीन महीने के लिए फंडिंग पर रोक लगा दी थी।
अमेरिका ने लगाया था लापरवाही का आरोप
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व में विश्व स्वास्थ्य संगठन पर आरोप लगाया था कि वह सबसे ज्यादा फंडिंग अमेरिका से लेता है लेकिन काम चीन के लिए करता है। कोरोना महामारी से निपटने के तरीके को लेकर डब्ल्यूएचओ की कई जगह निंदा भी हुई है।
- अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी आरोप लगाया कि डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस को समझने में काफी देर कर दी। अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ पर चीन का पक्ष लेने और महामारी को काफी बुरी तरह से संभालने का भी आरोप लगाया था।
क्या चीन को केंद्र में रखता है डब्ल्यूएचओ?
- डब्ल्यूएचओ पर आरोप लगाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अकेले नहीं हैं, उनके अलावा कई राजनीतिक जानकार, वैज्ञानिक और देश भी डब्ल्यूएचओ पर चीन का साथ देने का आरोप लगा चुके हैं। बता दें कि जनवरी के अंत में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस गेब्रेयसस ने कोरोना संक्रमण को रोकने पर चीन की रणनीतियों की तारीफ की थी।
- दरअसल, ट्रेड्रोस ने संक्रमण के फैलने पर ‘जानकारी साझा करने’ पर कम्युनिस्ट पार्टी की तारीफ की। उन्होंने उस वक्त ऐसा किया जब वुहान में चीनी अधिकारी कोरोना के बारे में जानकारी देने वालों पर अफवाहें फैलाने का आरोप लगा रहे थे और उन पर कार्रवाई कर रहे थे।
कैसे मिलती है डब्ल्यूएचओ को फंडिंग
- डब्ल्यूएचओ की शुरुआत साल 1948 में हुई थी। इस संगठन को दो तरह से योगदान राशि मिलती है। पहला, संगठन का हिस्सा बनने के लिए हर सदस्य को एक खास राशि चुकानी पड़ती है जिसे असेस्ड कन्ट्रीब्यूशन कहते हैं। यह राशि सदस्य देश की आबादी और विकास दर पर निर्भर करती है।
- दूसरा तरीका होता है वॉलंटरी कन्ट्रीब्यूशन यानि कि चंदे की राशि का। यह राशि सरकारें और चैरिटी संस्थान दोनों दो सकते हैं। इस तरह की राशि किसी ना किसी प्रोजेक्ट के लिए दी जाती है। डब्ल्यूएचओ हर दो साल में अपना बजट निर्धारित करता है, साल 2020 और 2021 का बजट 4.8 अरब डॉलर है।
Source link