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सार
ढांचा विध्वंस मामले में शीर्ष अदालत ने कहा है कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बयान दर्ज किए जाएं। बता दें कि इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी आरोपी हैं।
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस मामले की सुनवाई पूरी करने की समयसीमा को एक बार फिर बढ़ा दिया। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को लखनऊ के विशेष जज एसके यादव को 31 अगस्त तक मामले की सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया। इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह समेत विहिप के कई नेता आरोपी हैं।
जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने विशेष जज को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बयान दर्ज करने और यह सुनिश्चित करने को कहा कि नियम समयसीमा में सुनवाई पूरी हो जाए। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने विशेष जज को मामले की सुनवाई 30 अप्रैल तक पूरी करने का आदेश दिया था। इसके लिए बाकायदा उनके कार्यकाल में विस्तार किया गया था।
विशेष जज यादव ने पत्र लिखकर सुनवाई पूरी करने के लिए समयसीमा बढ़ाने की गुहार लगाई थी। पीठ ने पत्र पर विचार करने के बाद समयसीमा बढ़ाने का फैसला किया। पीठ ने अपने आदेश में कहा, इस मामले की सुनवाई और फैसला 31 अगस्त तक हो जाना चाहिए।
पीठ ने पाया कि बीते साल 19 जुलाई को दिए आदेश के अनुसार छह महीने में बयान दर्ज हो जाने चाहिए थे और इसके तीन महीने बाद फैसला होना था। लेकिन अप्रैल में 9 महीने बीतने के बावजूद अब तक बयान दर्ज नहीं हो पाए हैं। पीठ ने कहा, वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध है, लिहाजा इसके जरिये बयान दर्ज होने चाहिए।
जज पर निर्भर करता है कि कार्यवाही कैसे नियंत्रित करें
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह जज पर निर्भर करता है कि वह कानून का पालन करते हुए अदालती कार्यवाही को कैसे नियंत्रित करें जिससे कि ट्रायल में देरी न हो और समय सीमा का फिर से पालन न हो सके।
तीन आरोपियों की हो चुकी मौत
सुनवाई के दौरान गिरिराज किशोर, विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया का निधन हो चुका है, लिहाजा उनके खिलाफ कार्यवाही को समाप्त कर दिया गया है। वहीं, बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय यूपी के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह के खिलाफ पिछले साल सितंबर में राजस्थान के राज्यपाल के तौर पर कार्यकाल खत्म होने के बाद दोबारा सुनवाई शुरू की गई थी।