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प्रवासी मजूदरों को लेकर उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई शुरू कर दी है। सरकार की तरफ से दलील रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ खास जगहों पर कुछ वाकये हुए जिससे प्रवासी मजदूरों को परेशानी उठानी पड़ी है। हम इस बात के शुक्रगुजार हैं कि आपने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया।
मेहता ने कहा कि सरकार ने मजदूरों के लिए 3700 ट्रेनों का संचालन किया। उनके लिए खाने-पीने का बजट बनाकर राशि भी मुहैया कराई गई। इसपर अदालत ने कहा कि सरकार ने तो कोशिश की है लेकिन राज्य सरकारों के जरिए जरूरतमंद मजदूरों तक चीजें सुचारू रूप से नहीं पहुंच पा रही है।
इसपर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दो कारणों से लॉकडाउन को लागू किया गया था। पहला कोरोना वायरस संक्रमण की कड़ी को तोड़ना तो दूसरा अस्पतालों में समुचित इंतजाम करना था। जब लाखों की तादाद में मजदूरों ने देश के विभिन्न हिस्सों से पलायन करना शुरू किया तो उन्हें रोकने के दो कारण थे। पहला प्रवासियों को रोककर संक्रमण को शहरों से गांवों तक फैलने से रोकना और वे रास्ते में एक-दूसरे को संक्रमित न कर पाएं।
उन्होंने अदालत को बताया कि सरकार ने अबतक 3700 से ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया है। इन गाड़ियों को तब तक चलया जाएगा जब तक एक भी प्रवासी इससे जाने को तैयार होगा। अदालत ने पूछा कि मुख्य समस्या श्रमिकों के आने-जाने और भोजन की हैं, उनको खाना कौन दे रहा है? जवाब में मेहता ने कहा कि सरकार दे रही हैं।
अदालत ने मेहता से कहा कि ये सुनिश्चित करें कि श्रमिक जब तक अपने गांव न पहुंच जाए उनको भोजन-पानी और अन्य सुविधाएं मिलती रहनी चाहिए। इसके बाद अदालत ने कहा कि श्रमिकों को अपने गृह राज्य पहुंचने में कितने दिन लगेंगे। जवाब में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह राज्य बताएंगे। जिन दूर दराज के इलाकों में स्पेशल ट्रेन नहीं जा रही, वहां तक रेल मंत्रालय मेमू ट्रेन चलाकर उनको भेज रहा है।