न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 04 Jun 2020 10:58 AM IST
राहुल गांधी- राजीव बजाज
– फोटो : ANI
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बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने पूछा कि आपके यहां स्थिति कैसी है जिसके जवाब में बजाज ने कहा कि सभी के लिए नया माहौल है। हम इसमें ढलने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच कारोबार के साथ बहुत कुछ हो रहा है।
गांधी ने पूछा कि किसी ने नहीं सोचा था कि पूरी दुनिया में लॉकडाउन हो जाएगा, ऐसा विश्व युद्ध के समय पर भी नहीं हुआ था जिसके जवाब में राजीव बजाज ने कहा कि भारत में एक तरह का ड्रैकियन लॉकडाउन है। ऐसा कहीं पर भी नहीं हुआ। हमारे यहां की तुलना में कई देशों में बाहर निकलने की अनुमति थी।
कांग्रेस नेता ने कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो इससे निपट सकते हैं लेकिन करोड़ों मजदूर ऐसे हैं जिन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। इसके जवाब में बजाज ने कहा कि भारत ने पश्चिम की ओर देखा। पूर्वी देशों में इसपर बेहतर काम हुआ है। पूर्वी देशों ने तापमान, मेडिकल सहित तमाम मुश्किलों के बावजूद बेहतर काम किया है। ऐसी कोई मेडिकल सुविधाएं नहीं हैं जो इससे न निपट सकें। मुझे लगता है कि हमारे यहां फैक्ट और सच्चाई में कमी रह गई। लोगों को लगता है कि ये बीमारी कैंसर की तरह है। लोगों की सोच बदलने और जीवन को पटरी पर लाने की जरूरत है। इसमें लंबा समय लग सकता है। आम आदमी के नजरिए से लॉकडाउन काफी मुश्किल है। भारत जैसा लॉकडाउन कहीं नहीं हुआ। हर कोई बीच का रास्ता निकालना चाहता है। हमें जापान और स्वीडन की तरह नीति अपनानी चाहिए थी। वहां नियमों का पालन हो रहा है लेकिन लोगों का जीवन मुश्किल नहीं बनाया जा रहा।
राहुल ने कहा कि हमारे यहां प्रवासी मजदूर हैं लेकिन हम पश्चिम की तरफ देखते रहे। हम खुद अपनी मुश्किलों को क्यों नहीं देखते हैं। इसपर बजाज ऑटो के एमडी ने कहा कि यदि आप मार्च में वापस जाएं तो आप तीन महीने पहले क्या सोचते?
राहुल ने कहा कि हमारी चर्चा राज्यों को ताकत देनी चाहिए और केंद्र सरकार का समर्थन करना चाहिए, इसे लेकर हुई थी। केंद्र को रेल-विमान पर जबकि मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी को जमीन पर लड़ाई लड़नी चाहिए थी। मेरे हिसाब से लॉकडाउन फेल है। भारत ने दो महीने पहले पॉज बटन दबाया। अब केंद्र सरकार पीछे हट रही है।
बातचीत के दौरान बजाज ने कहा कि यदि कोई मास्क नहीं पहन रहा है तो उसे सड़क पर बेइज्जत किया जा रहा है जो गलत है। आज दुनिया में सरकारें सीधे आम लोगों को मदद दे रही हैं। भारत में सरकार की तरफ से आम लोगों के हाथ में पैसा नहीं दिया गया।