Newspaper Industry Could Face Losses Of Up To Rs 15 Thousand Crore If Relief Not Provided, Says Ins – सहायता नहीं मिली तो समाचार पत्र उद्योग को हो सकता है 15 हजार करोड़ का नुकसान




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800 समाचार पत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले आईएनएस ने  सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव को लिखे गए एक पत्र में कहा है कि समाचार पत्र उद्योग कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में जारी लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित होने वाले उद्योगों में से एक है। न सर्कुलेशन से और न ही विज्ञापन से उद्योग को फायदा पहुंच रहा है। 

आईएनएस अध्यक्ष शैलेष गुप्ता द्वारा लिखे गए इस पत्र में कहा गया है, अखबार उद्योग पिछले दो महीने में चार से पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान झेल चुका है। अब जबकि आर्थिक गतिविधियां बिलकुल ठप हो गई हैं और निजी क्षेत्र की ओर से विज्ञापन की कोई संभावना नहीं है, ऐसे में अगर कोई उपयुक्त सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई तो अगले छह से सात महीने में यह नुकसान 12 से 15 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। 

इसके साथ ही आईएनएस ने सरकार से अनुरोध किया कि समाचार छपने पर लगने वाले पांच फीसदी कस्टम शुल्क को हटा लिया जाए। आईएनएस ने कहा, यह नुकसान पत्रकारों, छपाई करने वालों, अखबार वितरों समेत ऐसे 30 लाख कर्मचारियों को प्रभावित कर रहा है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस उद्योग से जुड़े हुए हैं। 

आईएनएस के अनुमार के मुताबिक समाचार पत्र उद्योग प्रत्यक्ष रूप से करीब 10 लाख लोगों को और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 18 से 20 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। पत्र में कहा गया है कि ऐसी स्थितियों में समाचार पत्रों को अपने कर्मचारियों और वितरकों को वेतन देने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

इसके साथ ही आईएनएस ने समाचार पत्रों के लिए दो साल के लिए टैक्स माफ करने का अनुरोध भी किया। सोसायटी ने सरकार से आउटरीच और संचार ब्यूरो के विज्ञापनों की कीमत में 50 फीसदी का इजाफा करने और प्रिंट मीडिया पर बजट में सौ फीसदी बढ़त करने का अनुरोध किया। इसके साथ ही आईएनएस ने सबी राज्य सरकारों से कहा है कि वह विज्ञापन संबंधी सभी बकाया राशि का तुरंत भुगतान करें। 

सार

भारतीय समाचार पत्र सोसायटी (आईएनएस) ने केंद्र सरकार से समाचार पत्र उद्योग को राहत पैकेज देने की मांग की है। आईएनएस ने कहा है कि इस उद्योग को अभी तक चार हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है और अगर उपयुक्त राहत नहीं मिली तो अगले छह से सात महीने में नुकसान का आंकड़ा 15 हजार करोड़ रुपये तक जा सकता है। 

विस्तार

800 समाचार पत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले आईएनएस ने  सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव को लिखे गए एक पत्र में कहा है कि समाचार पत्र उद्योग कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में जारी लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित होने वाले उद्योगों में से एक है। न सर्कुलेशन से और न ही विज्ञापन से उद्योग को फायदा पहुंच रहा है। 

आईएनएस अध्यक्ष शैलेष गुप्ता द्वारा लिखे गए इस पत्र में कहा गया है, अखबार उद्योग पिछले दो महीने में चार से पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान झेल चुका है। अब जबकि आर्थिक गतिविधियां बिलकुल ठप हो गई हैं और निजी क्षेत्र की ओर से विज्ञापन की कोई संभावना नहीं है, ऐसे में अगर कोई उपयुक्त सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई तो अगले छह से सात महीने में यह नुकसान 12 से 15 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। 

इसके साथ ही आईएनएस ने सरकार से अनुरोध किया कि समाचार छपने पर लगने वाले पांच फीसदी कस्टम शुल्क को हटा लिया जाए। आईएनएस ने कहा, यह नुकसान पत्रकारों, छपाई करने वालों, अखबार वितरों समेत ऐसे 30 लाख कर्मचारियों को प्रभावित कर रहा है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस उद्योग से जुड़े हुए हैं। 

आईएनएस के अनुमार के मुताबिक समाचार पत्र उद्योग प्रत्यक्ष रूप से करीब 10 लाख लोगों को और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 18 से 20 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। पत्र में कहा गया है कि ऐसी स्थितियों में समाचार पत्रों को अपने कर्मचारियों और वितरकों को वेतन देने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

इसके साथ ही आईएनएस ने समाचार पत्रों के लिए दो साल के लिए टैक्स माफ करने का अनुरोध भी किया। सोसायटी ने सरकार से आउटरीच और संचार ब्यूरो के विज्ञापनों की कीमत में 50 फीसदी का इजाफा करने और प्रिंट मीडिया पर बजट में सौ फीसदी बढ़त करने का अनुरोध किया। इसके साथ ही आईएनएस ने सबी राज्य सरकारों से कहा है कि वह विज्ञापन संबंधी सभी बकाया राशि का तुरंत भुगतान करें। 




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