Need To More Wait For 5g Network, Spectrum Will Not Be Included In Auction – 5जी नेटवर्क के लिए बढ़ा इंतजार, नीलामी में शामिल नहीं होगा स्पेक्ट्रम




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देश में 5जी नेटवर्क के लिए उपभोक्ताओं को और इंतजार करना पड़ेगा। दूरसंचार विभाग (डॉट) ने अक्तूबर तक हर हाल में स्पेक्ट्रम नीलामी की समयसीमा तय की है लेकिन इसमें 5जी फ्रीक्वेंसी को शामिल नहीं किया गया है।

नीलामी प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि दूरसंचार विभाग 22 मई तक नीलामीकर्ता एजेंसी का नाम तय कर लेगा, जो सॉफ्टवेयर बनाने और उसके प्रबंधन का काम देखेगी। तकनीकी दौर की प्रक्रिया में चार फर्म को चुना गया है, जिनमें से दो को स्पेक्ट्रम नीलामी का अनुभव भी है। अगर आखिरी में अनुभव वाली फर्म को जिम्मेदारी मिलती है, तो दो महीने के भीतर ही नीलामी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

ऐसा न होने पर प्रक्रिया शुरू होने में तीन महीने लग सकते हैं। हालांकि, किसी भी हाल में अगस्त-सितंबर तक शुरू करके अक्तूबर तक नीलामी पूरी कर ली जाएगी। सूत्रों का कहना है कि डॉट एक कैबिनेट नोट भी तैयार कर रहा है, जिसमें 5जी नेटवर्क से जुड़े 3,300-3,600 मेगाहर्ट्ज वाले स्पेक्ट्रम को बाहर करने की अनुमति मांगी जाएगी।

रक्षा मंत्रालय ने भी 5जी बैंड में से 100 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम मांगा है, जिसके बाद दूरसंचार विभाग के पास नीलामी के लिए 175 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम ही बचेगा। नीलामी से सरकार को 3 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा।
 

  • तो बंद हो जाएगा वोडा, एयरटेल का नेटवर्क
सूत्रों का कहना है कि वोडा-आइडिया और भारती एयरटेल के कई लाइसेंस की अवधि समाप्त होने वाली है। इन कंपनियों को अपनी दूरसंचार सेवाएं जारी रखने के लिए लाइसेंस का नवीनीकरण कराना अनिवार्य है, जिसके लिए उन्हें स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया में बोली लगानी ही होगी।

इन दिक्कतों को देखते हुए ही दूरसंचार विभाग ने बिना 5जी स्पेक्ट्रम के ही नीलामी प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया है। विभाग अक्तूबर तक 8 हजार मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम नीलाम करने की तैयारी में है। इसमें 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज के बैंड शामिल हैं।
 

  • कंपनियों को दो साल भुगतान से छूट
डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) के नीलामी नियमों के तहत सफल बोलीदाताओं को 1 गीगाहर्ट्ज तक के स्पेक्ट्रम के लिए तय राशि की 25 फीसदी अग्रिम भुगतान करना होगा। वहीं, 1 गीगाहर्ट्ज से अधिक के स्पेक्ट्रम के लिए तय राशि का 50 फीसदी अग्रिम तौर पर जमा कराना होगा।

शेष राशि को 16 वर्षों के इंस्टॉलमेंट में बांट दिया जाएगा, जिसमें दो साल तक किसी भी भुगतान से छूट मिलेगी। तीसरे साल से बोलीदाता को सालाना भुगतान करना होगा। इससे पहले 5जी स्पेक्ट्रम के लिए डीसीसी के तय मूल्य पर दूरसंचार कंपनियों ने नाराजगी जताई थी। उनका कहना था कि प्रति मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए 492 करोड़ की राशि बहुत ज्यादा है और नीलामी में भाग लेने से इनकार कर दिया था।
 

सार

  • दूरसंचार विभाग अक्तूबर तक हर हाल में करेगा अन्य स्पेक्ट्रम की नीलामी
  • 3 लाख करोड़ का राजस्व मिलेगा सरकार को इस नीलामी से

 

विस्तार

देश में 5जी नेटवर्क के लिए उपभोक्ताओं को और इंतजार करना पड़ेगा। दूरसंचार विभाग (डॉट) ने अक्तूबर तक हर हाल में स्पेक्ट्रम नीलामी की समयसीमा तय की है लेकिन इसमें 5जी फ्रीक्वेंसी को शामिल नहीं किया गया है।

नीलामी प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि दूरसंचार विभाग 22 मई तक नीलामीकर्ता एजेंसी का नाम तय कर लेगा, जो सॉफ्टवेयर बनाने और उसके प्रबंधन का काम देखेगी। तकनीकी दौर की प्रक्रिया में चार फर्म को चुना गया है, जिनमें से दो को स्पेक्ट्रम नीलामी का अनुभव भी है। अगर आखिरी में अनुभव वाली फर्म को जिम्मेदारी मिलती है, तो दो महीने के भीतर ही नीलामी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

ऐसा न होने पर प्रक्रिया शुरू होने में तीन महीने लग सकते हैं। हालांकि, किसी भी हाल में अगस्त-सितंबर तक शुरू करके अक्तूबर तक नीलामी पूरी कर ली जाएगी। सूत्रों का कहना है कि डॉट एक कैबिनेट नोट भी तैयार कर रहा है, जिसमें 5जी नेटवर्क से जुड़े 3,300-3,600 मेगाहर्ट्ज वाले स्पेक्ट्रम को बाहर करने की अनुमति मांगी जाएगी।

रक्षा मंत्रालय ने भी 5जी बैंड में से 100 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम मांगा है, जिसके बाद दूरसंचार विभाग के पास नीलामी के लिए 175 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम ही बचेगा। नीलामी से सरकार को 3 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा।
 

  • तो बंद हो जाएगा वोडा, एयरटेल का नेटवर्क
सूत्रों का कहना है कि वोडा-आइडिया और भारती एयरटेल के कई लाइसेंस की अवधि समाप्त होने वाली है। इन कंपनियों को अपनी दूरसंचार सेवाएं जारी रखने के लिए लाइसेंस का नवीनीकरण कराना अनिवार्य है, जिसके लिए उन्हें स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया में बोली लगानी ही होगी।

इन दिक्कतों को देखते हुए ही दूरसंचार विभाग ने बिना 5जी स्पेक्ट्रम के ही नीलामी प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया है। विभाग अक्तूबर तक 8 हजार मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम नीलाम करने की तैयारी में है। इसमें 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज के बैंड शामिल हैं।
 

  • कंपनियों को दो साल भुगतान से छूट
डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) के नीलामी नियमों के तहत सफल बोलीदाताओं को 1 गीगाहर्ट्ज तक के स्पेक्ट्रम के लिए तय राशि की 25 फीसदी अग्रिम भुगतान करना होगा। वहीं, 1 गीगाहर्ट्ज से अधिक के स्पेक्ट्रम के लिए तय राशि का 50 फीसदी अग्रिम तौर पर जमा कराना होगा।

शेष राशि को 16 वर्षों के इंस्टॉलमेंट में बांट दिया जाएगा, जिसमें दो साल तक किसी भी भुगतान से छूट मिलेगी। तीसरे साल से बोलीदाता को सालाना भुगतान करना होगा। इससे पहले 5जी स्पेक्ट्रम के लिए डीसीसी के तय मूल्य पर दूरसंचार कंपनियों ने नाराजगी जताई थी। उनका कहना था कि प्रति मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए 492 करोड़ की राशि बहुत ज्यादा है और नीलामी में भाग लेने से इनकार कर दिया था।
 




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