न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Updated Tue, 26 May 2020 05:31 PM IST
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सार
देश में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में अब सियासी संकट का माहौल बन रहा है। यहां की गठबंधन सरकार पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इसे लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
विस्तार
The State Government is yet to spend financial aid provided by the Centre. I really don’t understand what is the priority of the state govt, today the state needs assertive leadership, I expect Uddhav ji to take bold decisions: Devendra Fadnavis, Maharashtra Leader of Opposition pic.twitter.com/uynaBppuAb
— ANI (@ANI) May 26, 2020
शरद पवार और भाजपा नेता राणे ने की थी राज्यपाल से अलग-अलग मुलाकात
दरअसल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार और वरिष्ठ भाजपा नेता नारायण राणे की राज्यपाल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से सोमवार को अलग-अलग मुलाकात के बाद यहां राजनीतिक हलचल और तेज हुई है।
राज्य में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार को देखते हुए भाजपा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। वहीं कांग्रेस कह रही है कि भाजपा सत्ता से बाहर हो गई है और इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। साथ ही शिवसेना नेता संजय राउत कहते हैं कि सरकार मजबूत है, चिंता का कोई विषय नहीं है।
सरकार नहीं कर सकती कोरोना संकट का सामना, राष्ट्रपति शासन लगे : राणे
राणे का इस संबंध में कहना है कि सरकार विफल हो रही है। इस सरकार में कोरोना से सामना करने की क्षमता नहीं हैं। इसलिए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात के बाद राणे ने सेना बुलाने की भी बात कही।
उन्होंने सरकारी अस्पतालों की स्थिति का हवाला देते हुए कहा था कि हमने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि लोगों की जान बचाने, उनको सही इलाज देने के लिए महानगर पालिका और राज्य सरकार के अस्पतालों को सेना के हवाले कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के अस्पतालों की हालत खराब है।
पवार की मुलाकात पर एनसीपी का दावा, राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा नहीं हुई
वहीं, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने भी सोमवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल से राज भवन में मुलाकात की थी। एनसीपी ने इसे लेकर कहा कि राज्यपाल के आमंत्रण पर यह मुलाकात हुई और बातचीत में कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं रहा। एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि यह मात्र शिष्टाचार भेंट थी।