Lockdown: State Governments Working Together To Bring Back Migrants Labours – राज्य आपसी समन्वय से मजदूरों को उनके गांव तक पहुंचाने पर कर रहे हैं काम




सभी गरीब, मजदूर अपने घर-गांव तक जाएंगे। राज्यों ने इस मिशन को पूरा करने के लिए आपस में नेटवर्क बनाना शुरू कर दिया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सचिवालय कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के संपर्क में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी राज्यों के लिए दर्जनों नोडल अफसरों की तैनाती कर दी है। 

इसी तर्ज पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी आगे बढ़ने की नीति तैयार करनी शुरू की है। फिलहाल स्थिति यह है कि केंद्र सरकार रेल सेवा या स्पेशल ट्रेन बहाल करने के पक्ष में नहीं दिखाई दे रही है। इस स्थिति में राज्य गरीब मजदूरों को गांव पहुंचाने के लिए आपसी सहयोग को अमलीजामा पहनाने में लगे हैं।

प्रधानमंत्री के सामने आएगा मुद्दा

सोमवार, 27 अप्रैल को प्रधानमंत्री राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुखातिब होंगे। इस दौरान तीन-चार मुद्दे उठने की पूरी संभावना है। इसमें एक मुद्दा प्रवासी गरीब-मजदूरों का भी होगा। केन्द्र सरकार के एक रणनीतिकार ने माना कि यह बड़ा मुद्दा है। जटिल भी है। 

सूत्र बताते हैं कि चर्चा के दौरान राज्य मजदूरों को अपने यहां लाने के लिए केंद्र सरकार से विशेष ट्रेन चलाने की मांग भी रख सकते हैं। दूसरा मुद्दा राज्यों के जीएसटी बकाया तथा उनकी आर्थिक स्थिति का है। राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र जैसे राज्य भी इसको लेकर काफी तंग हैं। इन राज्यों में चलने वाले एमएसएमई की स्थिति लगातार खराब होने के भी संकेत हैं। राजस्थान और पंजाब के मुख्यमंत्रियों का साफ कहना है कि बिना केंद्र सरकार के सहयोग के वह कोविड-19 के संक्रमण को रोकने की लड़ाई नहीं लड़ सकते। प्रमुख मुद्दे में कोविड-19 संक्रमण की जांच, संसाधन, उपलब्धता का मुद्दा भी उठना तय है। राज्यों की स्थिति इसको लेकर लगातार खराब हो रही है।

बिना प्रोटोकॉल के कैसे हो प्रवासी मजदूरों की इच्छा पूरी

प्रवासी मजदूरों को उनके गांव, घर तक पहुंचाने का प्रोटोकॉल आड़े आ रहा है। आखिर यह क्या हो, कैसा हो? कोविड-19 का संक्रमण लक्षण और बिना लक्षणों वाला है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनके यहां अधिकांश बिना लक्षणों वाले संक्रमित सामने आए। 

डर यह भी है कि कहीं इससे दूसरे राज्यों में संक्रमण और अधिक न फैल जाए। एक राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने भी माना कि बिना प्रोटोकॉल के आखिर कैसे मजदूर इस राज्य से उस राज्य में जा सकते हैं? फिर यह इतना आसान नहीं है। कई राज्यों में तो कुछ प्रदेशों के लाखों की संख्या में मजदूर हैं। इसके बाबत भी एक राज्य से दूसरे राज्य की तमाम मुद्दों पर सहमति आवश्यक है। बताते हैं इसके लिए राज्यों में आपस में चर्चा हुई शुरू हो गई है।

यूपी ने तो बना लिया है प्रोटोकॉल

उत्तर प्रदेश ने हर राज्य के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारी को नोडल अफसर नियुक्त कर दिया है। इन अफसरों के माध्यम से राज्य सरकार दूसरे राज्यों से मजदूरों को लाने की पहल कर रही है। इसके लिए जिस राज्य से मजदूर को आना है, वहां उन्हें 14 दिन की क्वारंटीन अवधि पूरी करनी है। 

इसके बाद राज्य अपनी बस से यूपी से लगती हुई सीमा वाले जिले तक मजदूरों को मास्क, सैनिटाइजर, खाने का पैकेट आदि देकर ले जाएगा। इसके बाद अपनी सीमा से यूपी सरकार मजदूरों को रिसीव कर लेगी। इन मजदूरों को इनके जिलों के क्वारंटीन सेंटर ले जाया जाएगा। वहां ये मजदूर फिर 14 दिन की क्वारंटीन अवधि पूरी करेंगे और फिर इन्हें नकद सहायता राशि, राशन आदि के साथ घर जाने की अनुमति दे दी जाएगी। गरीब मजदूरों को लाने की यह प्रक्रिया दो महीने में पूरी की जानी है।




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