बेसिक शिक्षा अधिकारी को मूल प्रमाण पत्र देतीं अनामिका शुक्ला।
– फोटो : amar ujala
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अमर उजाला ने मंगलवार के अंक में ‘गड़बड़झाला: पढ़ाई के लिए गोंडा का पता, नौकरी के लिए मैनपुरी का’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसमें दर्ज हाई स्कूल की टीसी में दर्ज पते को देखकर अनामिका शुक्ला को पता चला कि प्रदेश में चल रहा मामला उन्हीं से जुड़ा हुआ है।
इसके बाद उन्होंने अमर उजाला से संपर्क कर पूरी बात बताई और फिर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. इन्द्रजीत प्रजापति से मिलकर अपने दस्तावेज पेश किए। अनामिका को देखकर बीएसए चौंक पड़े, उन्होंने निदेशालय से मिले अभिलेखों से मिलान किया और पूरी जानकारी हासिल की।
प्रदेश के नौ जिलों में अनामिका शुक्ला के नाम से कस्तूरबा बालिका आवासीय स्कूलों में विज्ञान शिक्षिका के पद पर महिलाएं कार्य कर रहीं थीं। अमर उजाला की खबर देखकर अनामिका को पता चला कि यह मामला उन्हीं से जुड़ा है।
पांच जिलों में किया था आवेदन
अनामिका शुक्ला की मेरिट हाई थी और उन्होंने पांच जिलों सुल्तानपुर, जौनपुर, बस्ती, मिर्जापुर, लखनऊ में वर्ष 2017 में कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल में विज्ञान शिक्षिका के लिए आवेदन किया था। काउंसिलिंग का समय आया तो वह उसमें शामिल नहीं हो सकीं। उस समय उन्होंने ऑपरेशन से बेटी ने जन्म दिया था और वर्ष 2019 में बेटे का जन्म हुआ।
उन्होंने बताया कि दो छोटे बच्चे होने के कारण नौकरी करने में असमर्थ थी। इसलिए अवसर मिलने पर भी मैं उसका लाभ नहीं उठा पाई। आज भी मैं बेरोजगार हूं और कहीं नौकरी नहीं कर रही हूं। इस मामले के बाद मैं परेशान हूं कि आखिर मेरे शैक्षिक अभिलेखों पर दूसरे लोगों को नौकरी कैसे मिल गई।
बीएसए ने निदेशालय से आए अभिलेखों में निवास प्रमाण पत्र मिलाया तो यह हेराफेरी सामने आई। अनामिका ने कहा कि शादी के बाद उसने आवेदन किया था तो निवास प्रमाण पत्र में पति का ही नाम लिखवाया था।
रेलवे में नौकरी करते थे पिता, उन्हीं के जरिए अनामिका तक पहुंचा अमर उजाला
प्रदेश में अनामिका शुक्ला के मामले की पड़ताल के दौरान अमर उजाला को पिता का नाम पता चला और टीसी से पते की जानकारी हुई। इसके बाद वहां लोगों ने उनके रेलवे में नौकरी करने की जानकारी दी। रेलवे में पता किया गया तो पता चला कि पिता सुभाष चंद्र शुक्ल 29 नवम्बर 2015 में रिटायर हो गये हैं और उनका पैतृक निवास भुलईडीह है।
भुलईडीह से पता चला कि अभी वह शहर में रहते हैं और उनका मोबाइल नंबर हासिल हो गया। उनसे अमर उजाला ने बात की तो वह अखबार ही पढ़ रहे थे। इसके बाद उन्होंने बेटी को उसके पति के साथ सभी अभिलेख लेकर भेजा। इस तरह पूरे मामले का खुलासा हो सका।
मुख्यमंत्री के साथ डीआईजी को भेजा प्रार्थना पत्र
मंगलवार को गोंडा बीएसए कार्यालय में अपनी पत्रावली व प्रत्यावेदन देने के बाद अनामिका शुक्ला ने पूरे मामले के खुलासे के लिए मुख्यमंत्री व डीआईजी को प्रार्थना पत्र दिया है। अनामिका ने बताया कि सीएम व डीआईजी को रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजा गया है कि जिससे उनके नाम व फर्जी अभिलेख पर नौकरी करने वालों व जालसाजों को सजा मिल सके।
शासन को भेजी दी रिपोर्ट
मामले पर बीएसए गोंडा डॉ. इंद्रजीत प्रजापति ने बताया कि अनामिका शुक्ला प्रकरण में मंगलवार को अनामिका शुक्ला ने मेरे दफ्तर आकर अपना पक्ष रखा और पूरी पत्रावली व प्रत्यावेदन दिया है। पूरी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।
अमर उजाला ने मंगलवार के अंक में ‘गड़बड़झाला: पढ़ाई के लिए गोंडा का पता, नौकरी के लिए मैनपुरी का’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसमें दर्ज हाई स्कूल की टीसी में दर्ज पते को देखकर अनामिका शुक्ला को पता चला कि प्रदेश में चल रहा मामला उन्हीं से जुड़ा हुआ है।
इसके बाद उन्होंने अमर उजाला से संपर्क कर पूरी बात बताई और फिर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. इन्द्रजीत प्रजापति से मिलकर अपने दस्तावेज पेश किए। अनामिका को देखकर बीएसए चौंक पड़े, उन्होंने निदेशालय से मिले अभिलेखों से मिलान किया और पूरी जानकारी हासिल की।
प्रदेश के नौ जिलों में अनामिका शुक्ला के नाम से कस्तूरबा बालिका आवासीय स्कूलों में विज्ञान शिक्षिका के पद पर महिलाएं कार्य कर रहीं थीं। अमर उजाला की खबर देखकर अनामिका को पता चला कि यह मामला उन्हीं से जुड़ा है।
2017 में किया था आवेदन
पांच जिलों में किया था आवेदन
अनामिका शुक्ला की मेरिट हाई थी और उन्होंने पांच जिलों सुल्तानपुर, जौनपुर, बस्ती, मिर्जापुर, लखनऊ में वर्ष 2017 में कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूल में विज्ञान शिक्षिका के लिए आवेदन किया था। काउंसिलिंग का समय आया तो वह उसमें शामिल नहीं हो सकीं। उस समय उन्होंने ऑपरेशन से बेटी ने जन्म दिया था और वर्ष 2019 में बेटे का जन्म हुआ।
उन्होंने बताया कि दो छोटे बच्चे होने के कारण नौकरी करने में असमर्थ थी। इसलिए अवसर मिलने पर भी मैं उसका लाभ नहीं उठा पाई। आज भी मैं बेरोजगार हूं और कहीं नौकरी नहीं कर रही हूं। इस मामले के बाद मैं परेशान हूं कि आखिर मेरे शैक्षिक अभिलेखों पर दूसरे लोगों को नौकरी कैसे मिल गई।
केजीबीवी में नियुक्ति में निवास प्रमाण पत्रों में दिखा अंतर
बीएसए ने निदेशालय से आए अभिलेखों में निवास प्रमाण पत्र मिलाया तो यह हेराफेरी सामने आई। अनामिका ने कहा कि शादी के बाद उसने आवेदन किया था तो निवास प्रमाण पत्र में पति का ही नाम लिखवाया था।
रेलवे में नौकरी करते थे पिता, उन्हीं के जरिए अनामिका तक पहुंचा अमर उजाला
प्रदेश में अनामिका शुक्ला के मामले की पड़ताल के दौरान अमर उजाला को पिता का नाम पता चला और टीसी से पते की जानकारी हुई। इसके बाद वहां लोगों ने उनके रेलवे में नौकरी करने की जानकारी दी। रेलवे में पता किया गया तो पता चला कि पिता सुभाष चंद्र शुक्ल 29 नवम्बर 2015 में रिटायर हो गये हैं और उनका पैतृक निवास भुलईडीह है।
भुलईडीह से पता चला कि अभी वह शहर में रहते हैं और उनका मोबाइल नंबर हासिल हो गया। उनसे अमर उजाला ने बात की तो वह अखबार ही पढ़ रहे थे। इसके बाद उन्होंने बेटी को उसके पति के साथ सभी अभिलेख लेकर भेजा। इस तरह पूरे मामले का खुलासा हो सका।
साहब, नौकरी तो मिली नहीं, अब पूरे प्रदेश में चर्चा हो गई
मुख्यमंत्री के साथ डीआईजी को भेजा प्रार्थना पत्र
मंगलवार को गोंडा बीएसए कार्यालय में अपनी पत्रावली व प्रत्यावेदन देने के बाद अनामिका शुक्ला ने पूरे मामले के खुलासे के लिए मुख्यमंत्री व डीआईजी को प्रार्थना पत्र दिया है। अनामिका ने बताया कि सीएम व डीआईजी को रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजा गया है कि जिससे उनके नाम व फर्जी अभिलेख पर नौकरी करने वालों व जालसाजों को सजा मिल सके।
शासन को भेजी दी रिपोर्ट
मामले पर बीएसए गोंडा डॉ. इंद्रजीत प्रजापति ने बताया कि अनामिका शुक्ला प्रकरण में मंगलवार को अनामिका शुक्ला ने मेरे दफ्तर आकर अपना पक्ष रखा और पूरी पत्रावली व प्रत्यावेदन दिया है। पूरी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।