रथयात्रा आयोजन से जुड़े सेवादारों के एसोसिएशन दैतापति निजोग ने तर्क दिया है कि वार्षिक रथयात्रा कभी नहीं रुकी है, फिर चाहे दोनों विश्वयुद्ध हुए या बंगाल का अकाल आया। पटनायक को बुधवार को लिखे पत्र में एसोसिएशन ने उनसे आग्रह किया है कि वे श्रद्धालुओं की भागीदारी के बगैर रथयात्रा का आयोजन करने की अनुमति दें। गौरतलब है कि भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा की इस रथयात्रा में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।
निजोग के सचिव दुर्गा प्रसाद दासमहपात्र ने कहा, ‘अतीत में कभी रथयात्रा नहीं रोकी गई है, फिर चाहे कैसी भी आपदा आई हो। 1866 में बंगाल के अकाल के दौरान और ‘बॉम्बे इंफ्लूएंजा’, जो 1918 से 1920 तक चला था, के दौरान भी रथ यात्रा हुई थी। बॉम्बे इंफ्लूएंजा में करीब 10 लाख लोग मरे थे।’उन्होंने कहा, यह यात्रा पहले और दूसरे विश्व युद्ध, भारत-पाकिस्तान के बीच 1947, 48 व 65 में हुई लड़ाई के दौरान और देश की आजादी से पहले फैली महामारियों के दौरान भी बंद नहीं हुई।
श्रद्धालु 23 जून को टीवी पर देख सकेंगे रथयात्रा
सेवादारों के पत्र में लिखा है, ‘मध्यकाल के कुछ दस्तावेजों/साहित्य में उल्लेख मिलता है कि 16वीं और 17वीं शताब्दी में मुसलमानों के आक्रमण के दौरान रथयात्रा रुकी थी, और इस रिवाज को सांकेतिक तौर पर किया गया था। लेकिन ऐसी घटनाओं को उदाहरण के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए।’ दासमहापात्र ने कहा कि एसोसिएशन ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि वह रथयात्रा में शामिल होने वाले सभी लोगों की जांच कर लें। श्रद्धालु 23 जून को टीवी पर रथयात्रा देख सकते हैं।
दैतापति निजोग के एक अन्य एसोसिएशन के गणेश दासमहापात्र ने कहा कि सदस्य जल्दी ही ‘गजपति महाराज’ (पूर्ववर्ती राज परिवार के सदस्य) दिव्य सिंह देव और गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से मिलकर मामले पर चर्चा करेंगे। वहीं, सूत्रों का कहना है कि पटनायक ने हाल ही में इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की है। हालांकि दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, अभी तक इसकी जानकारी नहीं मिली है।
सर्वोच्च पीठ ने कहा था, यात्रा न होने से हानि नहीं
इससे पहले, 12वीं सदी के मंदिर जगन्नाथ की वाद-विवाद सुलझाने वाली सर्वोच्च पीठ मुक्ति मंडप ने कहा था कि महामारी के कारण अगर इस साल रथयात्रा का आयोजन नहीं होता है, तो उसमें कोई हानि नहीं है। लेकिन, साथ ही उसने कहा था कि सरकार सीमित संख्या में सेवादारों के साथ रथयात्रा का आयोजन कर सकती है। वहीं, गजपति महाराज तथा श्री जगन्ननाथ मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख देब ने पहले ही कहा था कि मंदिर केन्द्र और राज्य सरकारों के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करेगी।
सार
पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के सेवादारों के एक धड़े ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से अनुरोध किया है कि कोविड-19 संकट के बीच वह बेहद छोटे स्तर पर ही सही लेकिन वार्षिक रथयात्रा निकालने की अनुमति दें।
विस्तार
रथयात्रा आयोजन से जुड़े सेवादारों के एसोसिएशन दैतापति निजोग ने तर्क दिया है कि वार्षिक रथयात्रा कभी नहीं रुकी है, फिर चाहे दोनों विश्वयुद्ध हुए या बंगाल का अकाल आया। पटनायक को बुधवार को लिखे पत्र में एसोसिएशन ने उनसे आग्रह किया है कि वे श्रद्धालुओं की भागीदारी के बगैर रथयात्रा का आयोजन करने की अनुमति दें। गौरतलब है कि भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा की इस रथयात्रा में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।
निजोग के सचिव दुर्गा प्रसाद दासमहपात्र ने कहा, ‘अतीत में कभी रथयात्रा नहीं रोकी गई है, फिर चाहे कैसी भी आपदा आई हो। 1866 में बंगाल के अकाल के दौरान और ‘बॉम्बे इंफ्लूएंजा’, जो 1918 से 1920 तक चला था, के दौरान भी रथ यात्रा हुई थी। बॉम्बे इंफ्लूएंजा में करीब 10 लाख लोग मरे थे।’उन्होंने कहा, यह यात्रा पहले और दूसरे विश्व युद्ध, भारत-पाकिस्तान के बीच 1947, 48 व 65 में हुई लड़ाई के दौरान और देश की आजादी से पहले फैली महामारियों के दौरान भी बंद नहीं हुई।
श्रद्धालु 23 जून को टीवी पर देख सकेंगे रथयात्रा
सेवादारों के पत्र में लिखा है, ‘मध्यकाल के कुछ दस्तावेजों/साहित्य में उल्लेख मिलता है कि 16वीं और 17वीं शताब्दी में मुसलमानों के आक्रमण के दौरान रथयात्रा रुकी थी, और इस रिवाज को सांकेतिक तौर पर किया गया था। लेकिन ऐसी घटनाओं को उदाहरण के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए।’ दासमहापात्र ने कहा कि एसोसिएशन ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि वह रथयात्रा में शामिल होने वाले सभी लोगों की जांच कर लें। श्रद्धालु 23 जून को टीवी पर रथयात्रा देख सकते हैं।
दैतापति निजोग के एक अन्य एसोसिएशन के गणेश दासमहापात्र ने कहा कि सदस्य जल्दी ही ‘गजपति महाराज’ (पूर्ववर्ती राज परिवार के सदस्य) दिव्य सिंह देव और गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से मिलकर मामले पर चर्चा करेंगे। वहीं, सूत्रों का कहना है कि पटनायक ने हाल ही में इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की है। हालांकि दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, अभी तक इसकी जानकारी नहीं मिली है।
सर्वोच्च पीठ ने कहा था, यात्रा न होने से हानि नहीं
इससे पहले, 12वीं सदी के मंदिर जगन्नाथ की वाद-विवाद सुलझाने वाली सर्वोच्च पीठ मुक्ति मंडप ने कहा था कि महामारी के कारण अगर इस साल रथयात्रा का आयोजन नहीं होता है, तो उसमें कोई हानि नहीं है। लेकिन, साथ ही उसने कहा था कि सरकार सीमित संख्या में सेवादारों के साथ रथयात्रा का आयोजन कर सकती है। वहीं, गजपति महाराज तथा श्री जगन्ननाथ मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख देब ने पहले ही कहा था कि मंदिर केन्द्र और राज्य सरकारों के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करेगी।
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