कोविड-19 संकट से बने हालात के बीच सरकार ईपीएफ अंशदान का दायरा बढ़ाकर उन कंपनियों को भी शामिल कर सकती है, जिनमें कर्मचारियों की संख्या 200 है। इसके तहत सरकार तीन महीने तक कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के हिस्से के 24 फीसदी ईपीएफ अंशदान का भुगतान कर सकती है। इससे करीब 20 लाख उन छोटे कर्मचारियों को फायदा होगा, जिनका मासिक वेतन 15,000 रुपये या इससे कम है।
इस मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार को इस संबंध में एक प्रस्ताव मिला है।
अगर इसे लागू किया जाता है तो यह उस योजना का विस्तार होगा, जिसके तहत वर्तमान में अधिकतम 100 कर्मचारियों वाली कंपनियों को राहत मिली है, जिसमें 90 फीसदी कर्मचारियों का वेतन 15,000 रुपये या इससे कम है। इससे 11 लाख कर्मचारी लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना संकट से निपटने के लिए सरकार एक और आर्थिक पैकेज देने की तैयारी में है, जिसमें इस योजना को लेकर भी घोषणा की जा सकती है। नई योजना में कर्मचारियों की संख्या की सीमा को बढ़ाकर 200 किया जा सकता है ताकि ज्यादा कंपनियां इसके दायरे में आ सकें। एजेंसी
दो विकल्पों पर हो रहा विचार
आमतौर पर ईपीएफ में कर्मचारियों के बेसिक वेतन का 24% हिस्सा जाता है। इसमें 12% हिस्सा कर्मचारी देता है और बाकी 12% कंपनी। अधिकारी के मुताबिक, सरकार दो स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त वित्तीय असर का आकलन कर रही है। पहली- कर्मचारियों की संख्या की सीमा को खत्म कर दिया जाए। दूसरी-15,000 या इससे कम वेतन वाले कर्मचारियों की संख्या को 90 फीसदी से 60% कर दिया जाए। इसी के आधार पर फैसला लिया जाएगा।
वेतन कटौती रोकने में मिलेगी मदद
दरअसल, लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर सूक्ष्म, छोटे और मझौले उद्यमों पर पड़ा है। उन्हें राहत देने के लिए सरकार ने पहले प्रोत्साहन पैकेज में यह योजना लागू की थी। अब सरकार पर दबाव पड़ रहा है कि सभी प्रतिष्ठानों को यह राहत देने के लिए कर्मचारियों की संख्या की सीमा को 100 से बढ़ाकर 200 की जाए। माना जा रहा है कि ऐसा करने से कर्मचारियों की छंटनी और वेतन कटौती रोकने में मदद मिल सकती है।
पहले पैकेज में हुई थी राहत की घोषणा
कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 26 मार्च को 1.7 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। इसमें यह भी कहा गया था कि सरकार 100 कर्मचारियों वाली उन कंपनियों में मासिक 15,000 रुपये से कम कमाने वालों का पूरा ईपीएफ अंशदान खुद करेगी, जिसमें 90% का वेतन 15,000 रुपये से कम हो। यह कदम तीन महीनों के लिए उठाया गया था, जिस पर कुल 4,800 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था।
सार
- कोरोना संकट के बीच राहत देने के लिए सरकार जल्द कर सकती है घोषणा
- नई योजना में 200 कर्मियों वाली कंपनियां को मिलेगी राहत
- 15,000 या इससे कम मासिक वेतन वाले कर्मचारी होंगे लाभान्वित
विस्तार
कोविड-19 संकट से बने हालात के बीच सरकार ईपीएफ अंशदान का दायरा बढ़ाकर उन कंपनियों को भी शामिल कर सकती है, जिनमें कर्मचारियों की संख्या 200 है। इसके तहत सरकार तीन महीने तक कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के हिस्से के 24 फीसदी ईपीएफ अंशदान का भुगतान कर सकती है। इससे करीब 20 लाख उन छोटे कर्मचारियों को फायदा होगा, जिनका मासिक वेतन 15,000 रुपये या इससे कम है।
इस मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार को इस संबंध में एक प्रस्ताव मिला है।
अगर इसे लागू किया जाता है तो यह उस योजना का विस्तार होगा, जिसके तहत वर्तमान में अधिकतम 100 कर्मचारियों वाली कंपनियों को राहत मिली है, जिसमें 90 फीसदी कर्मचारियों का वेतन 15,000 रुपये या इससे कम है। इससे 11 लाख कर्मचारी लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना संकट से निपटने के लिए सरकार एक और आर्थिक पैकेज देने की तैयारी में है, जिसमें इस योजना को लेकर भी घोषणा की जा सकती है। नई योजना में कर्मचारियों की संख्या की सीमा को बढ़ाकर 200 किया जा सकता है ताकि ज्यादा कंपनियां इसके दायरे में आ सकें। एजेंसी
दो विकल्पों पर हो रहा विचार
आमतौर पर ईपीएफ में कर्मचारियों के बेसिक वेतन का 24% हिस्सा जाता है। इसमें 12% हिस्सा कर्मचारी देता है और बाकी 12% कंपनी। अधिकारी के मुताबिक, सरकार दो स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त वित्तीय असर का आकलन कर रही है। पहली- कर्मचारियों की संख्या की सीमा को खत्म कर दिया जाए। दूसरी-15,000 या इससे कम वेतन वाले कर्मचारियों की संख्या को 90 फीसदी से 60% कर दिया जाए। इसी के आधार पर फैसला लिया जाएगा।
वेतन कटौती रोकने में मिलेगी मदद
दरअसल, लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर सूक्ष्म, छोटे और मझौले उद्यमों पर पड़ा है। उन्हें राहत देने के लिए सरकार ने पहले प्रोत्साहन पैकेज में यह योजना लागू की थी। अब सरकार पर दबाव पड़ रहा है कि सभी प्रतिष्ठानों को यह राहत देने के लिए कर्मचारियों की संख्या की सीमा को 100 से बढ़ाकर 200 की जाए। माना जा रहा है कि ऐसा करने से कर्मचारियों की छंटनी और वेतन कटौती रोकने में मदद मिल सकती है।
पहले पैकेज में हुई थी राहत की घोषणा
कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 26 मार्च को 1.7 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। इसमें यह भी कहा गया था कि सरकार 100 कर्मचारियों वाली उन कंपनियों में मासिक 15,000 रुपये से कम कमाने वालों का पूरा ईपीएफ अंशदान खुद करेगी, जिसमें 90% का वेतन 15,000 रुपये से कम हो। यह कदम तीन महीनों के लिए उठाया गया था, जिस पर कुल 4,800 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था।
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