न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 04 Jun 2020 10:04 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : Social media
राजधानी में अस्पतालों के हालात खराब होते जा रहे हैं। आलम यह है कि कोरोना के मरीजों को भर्ती ही नहीं किया जा रहा है। बृहस्पतिवार को इलाज के अभाव में एक कोरोना पीड़ित ने एलएनजेपी अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ दिया। मृतक की बेटी और दामाद मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन जब डेढ़ घंटे बाद डॉक्टर बाहर आया तब तक पीड़ित दम तोड़ चुका था।
मृतक के दामाद मनदीप सिंह बताते है कि 31 मई को उनके ससुर की तबीयत खराब हुई थी। इसके बाद वे उन्हें सर गंगाराम अस्पताल में लेकर गए थे, जहां कोरोना की जांच करने के बाद उनसे कहा गया कि अब अस्पताल न आएं। जांच रिपोर्ट ऑनलाइन मिल जाएगी। एक जून को जांच रिपोर्ट में कोरोना की पुष्टि हुई।
इसके बाद उन्होंने पीड़ित को भर्ती कराने के लिए एम्स और सफदरजंग अस्पताल में संपर्क किया, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने बेड न होने का हवाला देकर इलाज करने से मना कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने केंद्र सरकार के हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया, जहां से उन्हें दिल्ली सरकार के नंबर पर कॉल करने को कहा गया। उन्होंने दिल्ली सरकार के कोविड हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया तो वहां उन्हें एलएनजेपी अस्पताल में जाने को कहा गया।
मनदीप के मुताबिक, बृहस्पतिवार को उनके ससुर की तबीयत बिगड़ने लगी तो वे सुबह करीब 6 बजे एलएनजेपी अस्पताल पहुंचे। वहां उनसे कहा गया कि यह सर गंगाराम अस्पताल का केस है। इनका इलाज वहीं कराना होगा। करीब एक घंटे तक वे पीड़ित को गाड़ी में लेकर एलएनजेपी अस्पताल की इमरजेंसी के पास ही खड़े रहे। इस दौरान वह और उनकी पत्नी लगातार मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई और अस्पताल प्रशासन उन्हें लगातार गंगाराम अस्पताल जाने को कहता रहा। आखिर में जब मरीज की हालत बेहद खराब हुई तो अस्पताल से एक डॉक्टर स्टैचर पर ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और मरीज अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ चुका था।
मृतक की बेटी ने सोशल मीडिया पर भी ट्वीट करते हुए मदद मांगी थी। इसे उन्होंने दिल्ली सरकार के कई मंत्रियों को टैग भी किया था। ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि उनके पिता की तबीयत काफी खराब है और वे लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के बाहर खड़ी हैं, लेकिन उनके पिता को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा रहा है। जल्द ही इलाज नहीं मिला तो कुछ भी हो सकता है। सुबह करीब 8 बजे उन्होंने यह ट्वीट किया था। इस दौरान काफी लोगों ने उनके इस ट्वीट को रिट्वीट भी किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके एक घंटे के बाद उन्होंने लिखा कि अब उनके पिता नहीं रहे। यह सरकारी तंत्र की बहुत बड़ी नाकामी है।
राजधानी में अस्पतालों के हालात खराब होते जा रहे हैं। आलम यह है कि कोरोना के मरीजों को भर्ती ही नहीं किया जा रहा है। बृहस्पतिवार को इलाज के अभाव में एक कोरोना पीड़ित ने एलएनजेपी अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ दिया। मृतक की बेटी और दामाद मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन जब डेढ़ घंटे बाद डॉक्टर बाहर आया तब तक पीड़ित दम तोड़ चुका था।
मृतक के दामाद मनदीप सिंह बताते है कि 31 मई को उनके ससुर की तबीयत खराब हुई थी। इसके बाद वे उन्हें सर गंगाराम अस्पताल में लेकर गए थे, जहां कोरोना की जांच करने के बाद उनसे कहा गया कि अब अस्पताल न आएं। जांच रिपोर्ट ऑनलाइन मिल जाएगी। एक जून को जांच रिपोर्ट में कोरोना की पुष्टि हुई।
इसके बाद उन्होंने पीड़ित को भर्ती कराने के लिए एम्स और सफदरजंग अस्पताल में संपर्क किया, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने बेड न होने का हवाला देकर इलाज करने से मना कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने केंद्र सरकार के हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया, जहां से उन्हें दिल्ली सरकार के नंबर पर कॉल करने को कहा गया। उन्होंने दिल्ली सरकार के कोविड हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया तो वहां उन्हें एलएनजेपी अस्पताल में जाने को कहा गया।
सोशल मीडिया पर भी मांगी थी मदद
मनदीप के मुताबिक, बृहस्पतिवार को उनके ससुर की तबीयत बिगड़ने लगी तो वे सुबह करीब 6 बजे एलएनजेपी अस्पताल पहुंचे। वहां उनसे कहा गया कि यह सर गंगाराम अस्पताल का केस है। इनका इलाज वहीं कराना होगा। करीब एक घंटे तक वे पीड़ित को गाड़ी में लेकर एलएनजेपी अस्पताल की इमरजेंसी के पास ही खड़े रहे। इस दौरान वह और उनकी पत्नी लगातार मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई और अस्पताल प्रशासन उन्हें लगातार गंगाराम अस्पताल जाने को कहता रहा। आखिर में जब मरीज की हालत बेहद खराब हुई तो अस्पताल से एक डॉक्टर स्टैचर पर ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और मरीज अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ चुका था।
मृतक की बेटी ने सोशल मीडिया पर भी ट्वीट करते हुए मदद मांगी थी। इसे उन्होंने दिल्ली सरकार के कई मंत्रियों को टैग भी किया था। ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि उनके पिता की तबीयत काफी खराब है और वे लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के बाहर खड़ी हैं, लेकिन उनके पिता को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा रहा है। जल्द ही इलाज नहीं मिला तो कुछ भी हो सकता है। सुबह करीब 8 बजे उन्होंने यह ट्वीट किया था। इस दौरान काफी लोगों ने उनके इस ट्वीट को रिट्वीट भी किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके एक घंटे के बाद उन्होंने लिखा कि अब उनके पिता नहीं रहे। यह सरकारी तंत्र की बहुत बड़ी नाकामी है।
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