Coronavirus In Karnataka: Bengaluru Police Head Constable Arrived In Dharwad To Deliver Medicines To Cancer Patient By Driving 960 Km Of Scooty – कैंसर मरीज के लिए मसीहा बना पुलिसकर्मी, 960 किमी स्कूटी चलाकर पहुंचाई दवा




न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बंगलूरू
Updated Sat, 18 Apr 2020 11:46 AM IST

कुमारस्वामी को सम्मानित करते बंगलूरू सिटी कमिश्नर
– फोटो : Twitter (BengaluruCityPolice)

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कोरोना वायरस महामारी की वजह से देशभर में लॉकडाउन का दूसरा चरण चल रहा है। लॉकडाउन की वजह से कुछ लोगों को खाने और दवाइयों की समस्या आ रही है। इस तरह के लोगों की समस्या दूर करने के लिए कोरोना योद्धा भी लगे हुए हैं। ये योद्धा मुश्किल घड़ी में लोगों के लिए मसीहा बनकर सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला कर्नाटक से सामने आया है।

कैंसर मरीज को थी दवाइयों की जरूरत
कर्नाटक में कैंसर के एक मरीज की दवा खत्म हो गई थी और उसे दवाइयों की सख्त जरूरत थी। ऐसे में कर्नाटक पुलिस का एक जवान 960 किलोमीटर तक स्कूटी चलाकर व्यक्ति को दवाई पहुंचाकर आया। इस कोरोना योद्धा की हर कोई तारीफ कर रहा है।

कर्नाटक के धारवाड़ में रहने वाले उमेश कैंसर के मरीज है। उन्हें दवाइयों की सख्त जरूरत थी। उनकी दवाएं सिर्फ बंगलूरू में ही मिल सकती थीं। 10 अप्रैल को बंगलुरू पुलिस के 47 वर्षीय हेड कांस्टेबल एस कुमारस्वामी ने एक स्थानीय समाचार चैनल पर एंकर आौर धारवाड़ निवासी उमेश की बातचीत सुनी। उमेश बता रहा था कि उसे रविवार तक यह दवा अवश्य लेनी थीं लेकिन लॉकडाउन के चलते बंगलूरू से दवा नहीं आ पा रही हैं।

एसीपी से ली धारवाड़ जाने की इजाजत
दोनों की बात सुनकर कुमारस्वामी ने मरीज तक दवा पहुंचाने का मन बना लिया और वो अगले दिन अपनी शिफ्ट समाप्त होने के बाद न्यूज चैनल के ऑफिस पहुंचे। वहां से उन्होंने उमेश का नंबर लिया। इसके बाद उन्होंने बंगलूरू के डीएस रिसर्च सेंटर से दवाइयां लीं और एसीपी अजय कुमार सिंह से धारवाड़ जाने की इजाजत मांगी। 

बिस्कुट और पानी के सहारे तय किया 10 घंटे का सफर
एसीपी ने उन्हें धारवाड़ जाने की अनुमति दे दी। शनिवार सुबह चार बजे वो धारवाड़ के लिए निकले और 2.30 बजे वहां पहुंच गए। केवल पानी और बिस्कुट के सहारे उन्होंने 10 घंटे का सफर तय किया। कुमारस्वामी जब उमेश के घर पहुंचे तो वो उन्हें देखकर दंग रह गए। 

फायर स्टेशन में बिताई रात
कुछ देर उमेश के घर रुकने के बाद कुमारस्वामी वापस बंगलूरू के लिए निकल गए। लगातार 18 घंटे से स्कूटी चलाकर थक चुके कुमारस्वामी रात 10.30 बजे चित्रदुर्ग के फायर स्टेशन पहुंचे और वहां रात को विश्राम किया। अगले दिन सुबह 5.30 बजे वे फिर बंगलुरु के लिए निकल पड़े और सुबह 10.30 बजे पहुंच गए।

मैंने बस आत्मा की आवाज सुनी
कुमार स्वामी ने बताया कि उनका धारवाड़ से कोई रिश्ता नहीं है, वे रामनगरा के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा मैंने बस आत्मा की आवाज सुनी और निकल पड़ा। कुमारस्वामी की हर तरफ तारीफ हो रही है। बंगलूरू के सिटी कमिश्नर भास्कर राव ने कुमारस्वामी को सम्मानित किया।

कोरोना वायरस महामारी की वजह से देशभर में लॉकडाउन का दूसरा चरण चल रहा है। लॉकडाउन की वजह से कुछ लोगों को खाने और दवाइयों की समस्या आ रही है। इस तरह के लोगों की समस्या दूर करने के लिए कोरोना योद्धा भी लगे हुए हैं। ये योद्धा मुश्किल घड़ी में लोगों के लिए मसीहा बनकर सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला कर्नाटक से सामने आया है।

कैंसर मरीज को थी दवाइयों की जरूरत
कर्नाटक में कैंसर के एक मरीज की दवा खत्म हो गई थी और उसे दवाइयों की सख्त जरूरत थी। ऐसे में कर्नाटक पुलिस का एक जवान 960 किलोमीटर तक स्कूटी चलाकर व्यक्ति को दवाई पहुंचाकर आया। इस कोरोना योद्धा की हर कोई तारीफ कर रहा है।

कर्नाटक के धारवाड़ में रहने वाले उमेश कैंसर के मरीज है। उन्हें दवाइयों की सख्त जरूरत थी। उनकी दवाएं सिर्फ बंगलूरू में ही मिल सकती थीं। 10 अप्रैल को बंगलुरू पुलिस के 47 वर्षीय हेड कांस्टेबल एस कुमारस्वामी ने एक स्थानीय समाचार चैनल पर एंकर आौर धारवाड़ निवासी उमेश की बातचीत सुनी। उमेश बता रहा था कि उसे रविवार तक यह दवा अवश्य लेनी थीं लेकिन लॉकडाउन के चलते बंगलूरू से दवा नहीं आ पा रही हैं।

एसीपी से ली धारवाड़ जाने की इजाजत
दोनों की बात सुनकर कुमारस्वामी ने मरीज तक दवा पहुंचाने का मन बना लिया और वो अगले दिन अपनी शिफ्ट समाप्त होने के बाद न्यूज चैनल के ऑफिस पहुंचे। वहां से उन्होंने उमेश का नंबर लिया। इसके बाद उन्होंने बंगलूरू के डीएस रिसर्च सेंटर से दवाइयां लीं और एसीपी अजय कुमार सिंह से धारवाड़ जाने की इजाजत मांगी। 

बिस्कुट और पानी के सहारे तय किया 10 घंटे का सफर
एसीपी ने उन्हें धारवाड़ जाने की अनुमति दे दी। शनिवार सुबह चार बजे वो धारवाड़ के लिए निकले और 2.30 बजे वहां पहुंच गए। केवल पानी और बिस्कुट के सहारे उन्होंने 10 घंटे का सफर तय किया। कुमारस्वामी जब उमेश के घर पहुंचे तो वो उन्हें देखकर दंग रह गए। 

फायर स्टेशन में बिताई रात
कुछ देर उमेश के घर रुकने के बाद कुमारस्वामी वापस बंगलूरू के लिए निकल गए। लगातार 18 घंटे से स्कूटी चलाकर थक चुके कुमारस्वामी रात 10.30 बजे चित्रदुर्ग के फायर स्टेशन पहुंचे और वहां रात को विश्राम किया। अगले दिन सुबह 5.30 बजे वे फिर बंगलुरु के लिए निकल पड़े और सुबह 10.30 बजे पहुंच गए।

मैंने बस आत्मा की आवाज सुनी
कुमार स्वामी ने बताया कि उनका धारवाड़ से कोई रिश्ता नहीं है, वे रामनगरा के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा मैंने बस आत्मा की आवाज सुनी और निकल पड़ा। कुमारस्वामी की हर तरफ तारीफ हो रही है। बंगलूरू के सिटी कमिश्नर भास्कर राव ने कुमारस्वामी को सम्मानित किया।




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