China Is Stung By Indian Preparations On The Border, India Continues To Build Roads On Lac – लद्दाख और सिक्किम में सीमा पर भारतीय तैयारियों से तिलमिलाया चीन




हिमांशु मिश्र, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Updated Mon, 25 May 2020 05:16 AM IST

भारत और चीन के जवान (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI

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लद्दाख व सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीनी सैनिकों ने अचानक आक्रामक  रवैया अपना लिया है। बीते कुछ दिनों में चीन व भारत के सैनिकों के बीच कई बार तीखी झड़प हुई है। दरअसल, भारत की अपनी सीमा में की जा रही रणनीतिक तैयारियों से चीन तिलमिलाया हुआ है।

नाराजगी की मुख्य वजह सीम सड़क संगठन (बीआरओ) की एलएसी तक भारत की ओर से युद्धस्तर पर हो रहे आधारभूत ढांचे का निर्माण है। बीआरओ ने 2018 में 5 वर्षों में करीब 3323 किलोमीटर लंबी 272 सड़ाकें के निर्माण की योजना बनाई है। इनमें रणनीतिक दृष्टि से अहम 61 सड़क योजनाएं भी थीं। बीते करीब ढाई साल में बीआरओ ने इस योजना के तहत 2304 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक चीन के रुख में अचानक आक्रामकता तब आई जब यह निर्माण कार्य रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम जगहों पर पहुंचा। खासतौर से दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड पर चीनप ने बार-बार आपत्ति जताई। फिलहाल पूर्वी लद्दाख के गलवां नाला और पैंगोंग झील के पास फिंगर चार इलाके में निर्माण को लेकर विवाद है। 

नहीं झुकेगा भारत
चूंकि सड़क योजनाएं रणनीतिक व सामरिक दृष्टि से बेहद अहम हैं, इसलिए भारत, चीन के दबाव में नहीं आएगा। जिस तरह दोकलम में भारत ने चीन की आक्रामकता का जवाब सधी कूटनीति से दिया था, इस बार भी वैसी ही योजना है। हालांकि चीनी सेना के टेंट लगाने के बाद भारत ने एलएसी पर सैनिकों की संख्या में वृद्धि कर चीनी दबाव में न आने का संदेश दे दिया है।

मोदी सरकार ने निर्माण में लाई तेजी
भारत ने एलएसी के इस पार 1962 युद्ध के बाद आधारभूत ढांचा तैयार करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। हालांकि यूपीए-1 और यूपीए-2 के कार्यकाल में भारत ने इस ओर ध्यान देना शुरू किया। इसके बाद आई मोदी सरकार ने इस मोर्चे को गंभीरता से लिया और चीनी सीमा से सटे इलाकों में निर्माण कार्यों में तेजी लाने का फैसला किया। इसी रणनीति के तहत बीआरओ को सड़क निर्माण की अहम जिम्मेदारी दी गई। 

दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी सड़क अहम क्यों
भारत ने सामरिक दृष्टि से बेहद अहम दौलत बेग ओल्डी तक करीब 235 किलोमीटर सड़क निर्माण का कार्य लगभग पूरा कर लिया है। दौलत बेग ओल्डी देपसांग पठार के अक्साई चीन के इलाके के पास है। यहां भारत पहले ही एयर बेस बना चुका है। इस एयरबेस पर मालवाहक सी130 और सी17 जहाज को भारत पहले ही लैंड करा चुका है। अब अपनी सीमा में सभी रणनीतिक इलाकों में सड़कों का भी जाल बिछ जाने के बाद चीन की रणनीतिक बढ़त खत्म हो जाएगी।

लद्दाख व सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीनी सैनिकों ने अचानक आक्रामक  रवैया अपना लिया है। बीते कुछ दिनों में चीन व भारत के सैनिकों के बीच कई बार तीखी झड़प हुई है। दरअसल, भारत की अपनी सीमा में की जा रही रणनीतिक तैयारियों से चीन तिलमिलाया हुआ है।

नाराजगी की मुख्य वजह सीम सड़क संगठन (बीआरओ) की एलएसी तक भारत की ओर से युद्धस्तर पर हो रहे आधारभूत ढांचे का निर्माण है। बीआरओ ने 2018 में 5 वर्षों में करीब 3323 किलोमीटर लंबी 272 सड़ाकें के निर्माण की योजना बनाई है। इनमें रणनीतिक दृष्टि से अहम 61 सड़क योजनाएं भी थीं। बीते करीब ढाई साल में बीआरओ ने इस योजना के तहत 2304 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक चीन के रुख में अचानक आक्रामकता तब आई जब यह निर्माण कार्य रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम जगहों पर पहुंचा। खासतौर से दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड पर चीनप ने बार-बार आपत्ति जताई। फिलहाल पूर्वी लद्दाख के गलवां नाला और पैंगोंग झील के पास फिंगर चार इलाके में निर्माण को लेकर विवाद है। 

नहीं झुकेगा भारत
चूंकि सड़क योजनाएं रणनीतिक व सामरिक दृष्टि से बेहद अहम हैं, इसलिए भारत, चीन के दबाव में नहीं आएगा। जिस तरह दोकलम में भारत ने चीन की आक्रामकता का जवाब सधी कूटनीति से दिया था, इस बार भी वैसी ही योजना है। हालांकि चीनी सेना के टेंट लगाने के बाद भारत ने एलएसी पर सैनिकों की संख्या में वृद्धि कर चीनी दबाव में न आने का संदेश दे दिया है।

मोदी सरकार ने निर्माण में लाई तेजी
भारत ने एलएसी के इस पार 1962 युद्ध के बाद आधारभूत ढांचा तैयार करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। हालांकि यूपीए-1 और यूपीए-2 के कार्यकाल में भारत ने इस ओर ध्यान देना शुरू किया। इसके बाद आई मोदी सरकार ने इस मोर्चे को गंभीरता से लिया और चीनी सीमा से सटे इलाकों में निर्माण कार्यों में तेजी लाने का फैसला किया। इसी रणनीति के तहत बीआरओ को सड़क निर्माण की अहम जिम्मेदारी दी गई। 

दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी सड़क अहम क्यों
भारत ने सामरिक दृष्टि से बेहद अहम दौलत बेग ओल्डी तक करीब 235 किलोमीटर सड़क निर्माण का कार्य लगभग पूरा कर लिया है। दौलत बेग ओल्डी देपसांग पठार के अक्साई चीन के इलाके के पास है। यहां भारत पहले ही एयर बेस बना चुका है। इस एयरबेस पर मालवाहक सी130 और सी17 जहाज को भारत पहले ही लैंड करा चुका है। अब अपनी सीमा में सभी रणनीतिक इलाकों में सड़कों का भी जाल बिछ जाने के बाद चीन की रणनीतिक बढ़त खत्म हो जाएगी।




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