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Centre Issiued Order To Compulsory Downlad The Aarogya Setu App In Smartphones – आखिर ‘आरोग्य सेतु’ एप को स्मार्टफोन में डाउनलोड करने से बच क्यों रहे हैं लोग, ये है वजह




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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विभिन्न स्वास्थ्य अधिकारी बार-बार लोगों से ‘आरोग्य सेतु’ एप डाउनलोड करने की अपील कर रहे हैं। इस एप से लोगों को यह जानकारी मिलती है कि वे जिस क्षेत्र में हैं, वह कोरोना संक्रमण के लिहाज से सुरक्षित है, या नहीं।

लेकिन जानकारी मिली है कि कुछ कोरोना पॉजिटिव लोग ‘आरोग्य सेतु’ एप को डाउनलोड नहीं कर रहे हैं, या डाउनलोड करने के बाद भी इस पर सही जानकारी नहीं दे रहे हैं, जिसकी वजह से एप से अपेक्षित जानकारी नहीं मिल पा रही है।

इसे देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने सभी कोरोना संक्रमित या क्वारंटीन किए गए लोगों के स्मार्ट फोन में ‘आरोग्य सेतु’ एप डाउनलोड करना अनिवार्य बनाने संबंधी निर्देश दिए हैं।

क्या आ रही परेशानी

दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक़, अनेक लोग आरोग्य सेतु डाउनलोड नहीं कर रहे हैं या गलत जानकारी दे रहे हैं। ऐसे में लोगों को कोरोना संक्रमण की सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। इससे कोरोना संक्रमण को रोकने में उम्मीद के मुताबिक मदद नहीं मिल पा रही है। इसे देखते हुए ही अब सभी कोरोना पॉजिटिव लोगों और क्वारंटीन किए गए लोगों को ‘आरोग्य सेतु’ एप डाउनलोड करना अनिवार्य किया जाएगा।

ये भी आ रही दिक्कत

जहां कुछ लोग जानबूझकर जानकारी नहीं दे रहे हैं, वहीं इस एप की भी अपनी सीमाएं हैं। अभी तक यह केवल स्मार्टफोन पर ही काम करता है। लेकिन कोरोना के अनेक पॉजिटिव लोग ऐसे हैं, जो निम्न आय वर्ग के हैं और उनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं।

ऐसे में उनकी जानकारी ‘आरोग्य सेतु’ एप के माध्यम से मिलना संभव नहीं है। इसके आलावा, यह एप जीपीएस तकनीकी पर काम करती है, जबकि अनेक इलाके ऐसे हैं जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं है या इंटरनेट सेवा बहुत धीमी है।

अनेक लोग ‘आरोग्य सेतु’ से अपने डेटा के चोरी होने की संभावना से भी डरे हुए हैं, जिसके कारण वे इसका इस्तेमाल करने से बच रहे हैं।
 
‘आरोग्य सेतु’ एप की इन्हीं तकनीकी सीमाओं को दूर करने के लिए टेक महिंद्रा और द महिंद्रा ग्रुप केंद्र सरकार को तकनीकी सहयोग दे रहे हैं। केंद्र का प्रयास है कि ‘आरोग्य सेतु’ एप का ऐसा वर्जन तैयार किया जा सके, जो सभी प्रकार के फोन पर काम कर सके। फिलहाल इस पर काम चल रहा है।  

 सबसे तेज 5 करोड़ डाउनलोड हुए हैं एप के

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि ‘आरोग्य सेतु’ एप सबसे तेजी से पांच करोड़ बार डाउनलोड किया जाने वाला दुनिया का पहला एप बन गया है।

पांच करोड़ लोगों तक अपनी पहुंच बनाने में टेलीफोन को 75 साल का समय लगा था, जबकि रेडियो को इतने लोगों तक पहुंचने में 38 साल का समय लग गया। इसी प्रकार टेलीविजन को पांच करोड़ लोगों तक पहुंचने में 13 साल, इंटरनेट को चार साल, फेसबुक को 19 महीने और पोकेमोन गो को 19 दिन लगे थे।

चीन ने भी रखी थी नजर

वुहान में कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज करने के मामले में चीन के अपनाए गए तरीके दुनिया के लिए अनुकरणीय उदाहरण बनते जा रहे हैं। चीन ने भी कोरोना संक्रमित लोगों की जानकारी रखने के लिए एक खास एप का सहारा लिया है।

इससे कोरोना संक्रमित लोगों की गतिविधियों की पूरी जानकारी अधिकारियों को मिलती रहती है। लॉकडाउन खोले जाने के बाद भी लोगों को कहीं जाने के लिए एक क्यूआर कोड को स्कैन करना पड़ता है।

स्कैन के बाद ग्रीन कलर मिलने के बाद ही व्यक्ति को क्षेत्र में घूमने की इजाजत दी जाती है। चीन में भी एव पर लोगों की जानकारी पुलिस से साझा करने के आरोप लगे थे।

सार

  • ‘आरोग्य सेतु’ एप से जानकारी छिपाने के मामले सामने आने के बाद प्रशासन सतर्क
  • सभी कोरोना संक्रमित या क्वारंटीन लोगों को ‘आरोग्य सेतु’ इस्तेमाल करना होगा
  • लोगों को संक्रमण की सही जानकारी मिल सके, इसलिए ऐसा करना जरूरी        

विस्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विभिन्न स्वास्थ्य अधिकारी बार-बार लोगों से ‘आरोग्य सेतु’ एप डाउनलोड करने की अपील कर रहे हैं। इस एप से लोगों को यह जानकारी मिलती है कि वे जिस क्षेत्र में हैं, वह कोरोना संक्रमण के लिहाज से सुरक्षित है, या नहीं।

लेकिन जानकारी मिली है कि कुछ कोरोना पॉजिटिव लोग ‘आरोग्य सेतु’ एप को डाउनलोड नहीं कर रहे हैं, या डाउनलोड करने के बाद भी इस पर सही जानकारी नहीं दे रहे हैं, जिसकी वजह से एप से अपेक्षित जानकारी नहीं मिल पा रही है।

इसे देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने सभी कोरोना संक्रमित या क्वारंटीन किए गए लोगों के स्मार्ट फोन में ‘आरोग्य सेतु’ एप डाउनलोड करना अनिवार्य बनाने संबंधी निर्देश दिए हैं।

क्या आ रही परेशानी

दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक़, अनेक लोग आरोग्य सेतु डाउनलोड नहीं कर रहे हैं या गलत जानकारी दे रहे हैं। ऐसे में लोगों को कोरोना संक्रमण की सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। इससे कोरोना संक्रमण को रोकने में उम्मीद के मुताबिक मदद नहीं मिल पा रही है। इसे देखते हुए ही अब सभी कोरोना पॉजिटिव लोगों और क्वारंटीन किए गए लोगों को ‘आरोग्य सेतु’ एप डाउनलोड करना अनिवार्य किया जाएगा।

ये भी आ रही दिक्कत

जहां कुछ लोग जानबूझकर जानकारी नहीं दे रहे हैं, वहीं इस एप की भी अपनी सीमाएं हैं। अभी तक यह केवल स्मार्टफोन पर ही काम करता है। लेकिन कोरोना के अनेक पॉजिटिव लोग ऐसे हैं, जो निम्न आय वर्ग के हैं और उनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं।

ऐसे में उनकी जानकारी ‘आरोग्य सेतु’ एप के माध्यम से मिलना संभव नहीं है। इसके आलावा, यह एप जीपीएस तकनीकी पर काम करती है, जबकि अनेक इलाके ऐसे हैं जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं है या इंटरनेट सेवा बहुत धीमी है।

अनेक लोग ‘आरोग्य सेतु’ से अपने डेटा के चोरी होने की संभावना से भी डरे हुए हैं, जिसके कारण वे इसका इस्तेमाल करने से बच रहे हैं।
 
‘आरोग्य सेतु’ एप की इन्हीं तकनीकी सीमाओं को दूर करने के लिए टेक महिंद्रा और द महिंद्रा ग्रुप केंद्र सरकार को तकनीकी सहयोग दे रहे हैं। केंद्र का प्रयास है कि ‘आरोग्य सेतु’ एप का ऐसा वर्जन तैयार किया जा सके, जो सभी प्रकार के फोन पर काम कर सके। फिलहाल इस पर काम चल रहा है।  

 सबसे तेज 5 करोड़ डाउनलोड हुए हैं एप के

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि ‘आरोग्य सेतु’ एप सबसे तेजी से पांच करोड़ बार डाउनलोड किया जाने वाला दुनिया का पहला एप बन गया है।

पांच करोड़ लोगों तक अपनी पहुंच बनाने में टेलीफोन को 75 साल का समय लगा था, जबकि रेडियो को इतने लोगों तक पहुंचने में 38 साल का समय लग गया। इसी प्रकार टेलीविजन को पांच करोड़ लोगों तक पहुंचने में 13 साल, इंटरनेट को चार साल, फेसबुक को 19 महीने और पोकेमोन गो को 19 दिन लगे थे।

चीन ने भी रखी थी नजर

वुहान में कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज करने के मामले में चीन के अपनाए गए तरीके दुनिया के लिए अनुकरणीय उदाहरण बनते जा रहे हैं। चीन ने भी कोरोना संक्रमित लोगों की जानकारी रखने के लिए एक खास एप का सहारा लिया है।

इससे कोरोना संक्रमित लोगों की गतिविधियों की पूरी जानकारी अधिकारियों को मिलती रहती है। लॉकडाउन खोले जाने के बाद भी लोगों को कहीं जाने के लिए एक क्यूआर कोड को स्कैन करना पड़ता है।

स्कैन के बाद ग्रीन कलर मिलने के बाद ही व्यक्ति को क्षेत्र में घूमने की इजाजत दी जाती है। चीन में भी एव पर लोगों की जानकारी पुलिस से साझा करने के आरोप लगे थे।




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