Centre And States Are Conflicting On Lockdown, Alleging On Center Discriminated Against Some States – क्या सच में केंद्र और कुछ राज्यों के बीच बढ़ रहा है टकराव?




PM Modi Meeting with CM’s
– फोटो : Social Media (सांकेतिक)

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पश्चिम बंगाल में आईएमसीटी टीम के जाने को लेकर शुरू हो गई तू-तू मैं-मैं ने इस सवाल को फिर सामने ला खड़ा किया है कि क्या सच में केंद्र कुछ राज्यों के साथ भेदभाव कर रहा है? क्या कोविड-19 के नाम पर भी राजनीति हो रही है।

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को आईएमसीटी को उसका काम न करने देने पर चिंता जताई है, वहीं तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने केंद्र के दल भेजे जाने पर ही सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा है कि आखिर आईएमसीटी का दल तमिलनाडु, गुजरात और उत्तर प्रदेश क्यों नहीं भेजा गया?

कहां-कहां है कोविड-19 की खराब स्थिति

राज्यों में संक्रमण से जुड़े आंकड़ों की याद दिलाते हुए ब्रायन कहते  हैं कि पश्चिम बंगाल तो कोविड-19 के टॉप-10 संक्रमित राज्यों में भी नहीं आता। 21 अप्रैल 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में कोविड-19 से संक्रमित 392 लोग हैं।

73 लोगों को इलाज के बाद ठीक किया जा चुका है। राज्य में कोविड-19 से कुल 12 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। देश में महाराष्ट्र सबसे ऊपर हैं। वहां 4669 संक्रमित हैं, 572 ठीक किए जा चुके हैं और 232 लोगों को संक्रमण के चलते जान गंवानी पड़ी है।

महाराष्ट्र के बाद कोविड-19 के सबसे ज्यादा 2081 (431 का इलाज हुआ, 47 की मृत्यु) संक्रमित दिल्ली में हैं। दिल्ली के बाद गुजरात है। गुजरात में 2066 संक्रमित, 131 का इलाज हुआ और 77 की मृत्यु हो चुकी है। तमिलनाडु में भी 1520 संक्रमित, 457 ठीक होने वाले और 17 मृत्यु का शिकार हुए हैं।

उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा क्रमश 1292, 140 और 20 का है। डेरेक ओ ब्रायन का कहना है कि इस लिहाज से पश्चिम बंगाल की स्थिति काफी ठीक है। राज्य कोविड-19 के टॉप-10 संक्रमितों में भी नहीं आता। फिर भी केंद्र सरकार ने वहां टीम भेजकर चार जिलों में जांच-पड़ताल की कोशिश की है।

ममता ने ही उठाया था पीएम से राज्यपाल की राजनीति का मुद्दा

पश्चिम बंगाल सरकार के सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ केंद्र के इशारे पर लगातार राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं। बताते हैं इसके बाबत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वीडियो कांफ्रेसिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की थी।

ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से राज्यपाल के हस्तक्षेप को रोकने का भी आग्रह किया था। 20 अप्रैल को राज्यपाल ने भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा था। इसमें राज्यपाल ने ममता बनर्जी पर एक पक्षीय तरीके से काम करने का आरोप लगाते हुए उन्हें संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन की सीख दी थी।

इस बारे में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि राज्यपाल को संवैधानिक दायरे में रहकर अपना काम करना चाहिए।

निजामुद्दीन जैस हालत है यहां- दिलीप घोष

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने अमर उजाला से कहा कि ममता बनर्जी खुद राजनीति करती हैं, ड्रामा करती हैं और दूसरों पर आरोप लगाती हैं। पश्चिम बंगाल की कोविड-19 को लेकर हालत बहुत खराब है। अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं। संसाधन नहीं है, इलाज करने आने से डरते हैं।

पहले ममता बनर्जी ने कहा कि जांच किट नहीं है, अब किट आ गई तो कह रही हैं कि खराब है। जबकि इसी किट से दुनिया में कोविड-19 की जांच हो रही है। दिलीप घोष ने कहा कि सोमवार को केंद्र की टीम तीन और राज्यों के लिए भेजी गई, लेकिन यहां राज्य सरकार ने उन्हें कहीं जाने नहीं दिया।

उलटे मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय की शिकायत करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिख दिया। आज जब फिर केंद्रीय गृहमंत्रालय का पत्र आया, तब जांच अधिकारी बाहर कहीं जा पा रहे हैं।

दिलीप घोष ने कहा कि आखिर यह क्या है? आज लोकसभा और राज्यसभा में तृणमूल के नेताओं ने प्रेसवार्ता क्यों की? आप आकर देखिए ममता बनर्जी कितना दिखावा कर रही हैं। वह खुद गाड़ी से उतरकर सड़क पर सोशल डिस्टेसिंग की रेखा खींच रही हैं।

माइक लेकर लोगों से सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने को कह रही हैं। घोष ने आरोप लगाते हुए कहा कि यहां तमाम ऐसे इलाके हैं जहां खुल्लम-खुल्ला बाजार लग रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का कोई पालन नहीं हो रहा है।

राजस्थान के आरोप के बाद आईसीएमआर ने भी रोकी टेस्ट किट से जांच

आईसीएमआर को क्यों रैपिड टेस्ट किट से जांच को सोमवार को क्यों रोका, भाजपा नेताओं के पास अभी इसका कोई जवाब नहीं है। पश्चिम बंगाल के बाद अब राजस्थान ने भी रैपिड टेस्ट किट की गुणवत्ता पर सवाल उठाया है। अमर उजाला के पास दो और राज्यों से भी इस तरह की सूचना आ रही है।

रैपिड टेस्ट किट की गुणवत्ता पर लग रहे आरोपों  के बाद आईसीएमआर के डा. रमन गंगाखेड़कर ने कहा इस किट से दो दिन के लिए जांच रोक दी गई है। गंगाखेड़कर ने कहा कि टेस्ट किट की आईसीएमआर दो दिन में जांच करेगा और इसके बाद आगे की गाइडलाइन जारी की जाएगी।

सार

  • डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, केंद्र कर रहा है राजनीति, राज्य कोविड-19 के टॉप-10 संक्रमितों में भी नहीं आता
  • प्रधानमंत्री से संवाद में भी ममता बनर्जी ने लगाया था आरोप
  • राज्यपाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री में पहले से है तनाव

विस्तार

पश्चिम बंगाल में आईएमसीटी टीम के जाने को लेकर शुरू हो गई तू-तू मैं-मैं ने इस सवाल को फिर सामने ला खड़ा किया है कि क्या सच में केंद्र कुछ राज्यों के साथ भेदभाव कर रहा है? क्या कोविड-19 के नाम पर भी राजनीति हो रही है।

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को आईएमसीटी को उसका काम न करने देने पर चिंता जताई है, वहीं तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने केंद्र के दल भेजे जाने पर ही सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा है कि आखिर आईएमसीटी का दल तमिलनाडु, गुजरात और उत्तर प्रदेश क्यों नहीं भेजा गया?

कहां-कहां है कोविड-19 की खराब स्थिति

राज्यों में संक्रमण से जुड़े आंकड़ों की याद दिलाते हुए ब्रायन कहते  हैं कि पश्चिम बंगाल तो कोविड-19 के टॉप-10 संक्रमित राज्यों में भी नहीं आता। 21 अप्रैल 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में कोविड-19 से संक्रमित 392 लोग हैं।

73 लोगों को इलाज के बाद ठीक किया जा चुका है। राज्य में कोविड-19 से कुल 12 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। देश में महाराष्ट्र सबसे ऊपर हैं। वहां 4669 संक्रमित हैं, 572 ठीक किए जा चुके हैं और 232 लोगों को संक्रमण के चलते जान गंवानी पड़ी है।

महाराष्ट्र के बाद कोविड-19 के सबसे ज्यादा 2081 (431 का इलाज हुआ, 47 की मृत्यु) संक्रमित दिल्ली में हैं। दिल्ली के बाद गुजरात है। गुजरात में 2066 संक्रमित, 131 का इलाज हुआ और 77 की मृत्यु हो चुकी है। तमिलनाडु में भी 1520 संक्रमित, 457 ठीक होने वाले और 17 मृत्यु का शिकार हुए हैं।

उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा क्रमश 1292, 140 और 20 का है। डेरेक ओ ब्रायन का कहना है कि इस लिहाज से पश्चिम बंगाल की स्थिति काफी ठीक है। राज्य कोविड-19 के टॉप-10 संक्रमितों में भी नहीं आता। फिर भी केंद्र सरकार ने वहां टीम भेजकर चार जिलों में जांच-पड़ताल की कोशिश की है।

ममता ने ही उठाया था पीएम से राज्यपाल की राजनीति का मुद्दा

पश्चिम बंगाल सरकार के सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ केंद्र के इशारे पर लगातार राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं। बताते हैं इसके बाबत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वीडियो कांफ्रेसिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की थी।

ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से राज्यपाल के हस्तक्षेप को रोकने का भी आग्रह किया था। 20 अप्रैल को राज्यपाल ने भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा था। इसमें राज्यपाल ने ममता बनर्जी पर एक पक्षीय तरीके से काम करने का आरोप लगाते हुए उन्हें संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन की सीख दी थी।

इस बारे में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि राज्यपाल को संवैधानिक दायरे में रहकर अपना काम करना चाहिए।

निजामुद्दीन जैस हालत है यहां- दिलीप घोष

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने अमर उजाला से कहा कि ममता बनर्जी खुद राजनीति करती हैं, ड्रामा करती हैं और दूसरों पर आरोप लगाती हैं। पश्चिम बंगाल की कोविड-19 को लेकर हालत बहुत खराब है। अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं। संसाधन नहीं है, इलाज करने आने से डरते हैं।

पहले ममता बनर्जी ने कहा कि जांच किट नहीं है, अब किट आ गई तो कह रही हैं कि खराब है। जबकि इसी किट से दुनिया में कोविड-19 की जांच हो रही है। दिलीप घोष ने कहा कि सोमवार को केंद्र की टीम तीन और राज्यों के लिए भेजी गई, लेकिन यहां राज्य सरकार ने उन्हें कहीं जाने नहीं दिया।

उलटे मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय की शिकायत करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिख दिया। आज जब फिर केंद्रीय गृहमंत्रालय का पत्र आया, तब जांच अधिकारी बाहर कहीं जा पा रहे हैं।

दिलीप घोष ने कहा कि आखिर यह क्या है? आज लोकसभा और राज्यसभा में तृणमूल के नेताओं ने प्रेसवार्ता क्यों की? आप आकर देखिए ममता बनर्जी कितना दिखावा कर रही हैं। वह खुद गाड़ी से उतरकर सड़क पर सोशल डिस्टेसिंग की रेखा खींच रही हैं।

माइक लेकर लोगों से सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने को कह रही हैं। घोष ने आरोप लगाते हुए कहा कि यहां तमाम ऐसे इलाके हैं जहां खुल्लम-खुल्ला बाजार लग रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का कोई पालन नहीं हो रहा है।

राजस्थान के आरोप के बाद आईसीएमआर ने भी रोकी टेस्ट किट से जांच

आईसीएमआर को क्यों रैपिड टेस्ट किट से जांच को सोमवार को क्यों रोका, भाजपा नेताओं के पास अभी इसका कोई जवाब नहीं है। पश्चिम बंगाल के बाद अब राजस्थान ने भी रैपिड टेस्ट किट की गुणवत्ता पर सवाल उठाया है। अमर उजाला के पास दो और राज्यों से भी इस तरह की सूचना आ रही है।

रैपिड टेस्ट किट की गुणवत्ता पर लग रहे आरोपों  के बाद आईसीएमआर के डा. रमन गंगाखेड़कर ने कहा इस किट से दो दिन के लिए जांच रोक दी गई है। गंगाखेड़कर ने कहा कि टेस्ट किट की आईसीएमआर दो दिन में जांच करेगा और इसके बाद आगे की गाइडलाइन जारी की जाएगी।




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