पंकज शुक्ल, मुंबई, Updated Fri, 01 May 2020 06:34 AM IST
अपनी टीचर को बहते पानी के किनारे कपड़े उतारते देख किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाने वाला फिल्म मेरा नाम जोकर का बुद्धू सा लेकिन चित्ताकर्षक राजू इस फिल्म के सिर्फ तीन साल बाद ही राजा बनकर जमाने से कहता मिला कि मैं शायर तो नहीं। इसके चेहरे पर अब तक मोहब्बत की तासीर समझ न आने का भरम बाकी था। माशूक के इश्क में पागल होकर इसे मजनू बनना अभी बाकी था। और, साल 1980 में जब इसने शालीनता उतारकर किनारे रखी और दुनिया से चिल्लाकर पूछा, तुमने कभी किसी से प्यार किया? तो जमाने को पता चला कि आखिर प्यार करना किसे कहते हैं?
अपने हीरो को एक जगह खड़े खड़े, किसी स्टूल पर बैठे या फिर ड्राइविंग सीट पर स्टीयरिंग थामे थामे पूरा गाना फिल्मा देने का खतरा इससे पहले निर्देशकों ने या तो देव आनंद के साथ उठाया था या फिर राजेश खन्ना के साथ। रूमानियत का ये नया राजकुमार था, ऋषि कपूर। एक ऐसा सितारा जिसे फिल्म इंडस्ट्री में शायद ही किसी ने इस नाम से बुलाया हो, वह सबके प्यारे चिंटू या चिंटू जी ही रहे। बॉबी में वह खड़े खड़े मोहब्बत के सबक सुना देते हैं, सागर में स्टूल पर बैठे बैठे अपनी माशूक से सारे सवाल पूछ लेते हैं और दामिनी में स्टीरयिंग पकड़े पकड़े मीनाक्षी शेषाद्रि से रोमांस कर डालते हैं।
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