न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 30 May 2020 02:15 AM IST
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We believe that WHO’s decision to temporarily halt the trials is not correct and demanded that the clinical trials of hydroxychloroquine for its use in #COVID19 cases must resume as early as possible: Shekhar Mande, Director General of Council of Scientific & Industrial Research pic.twitter.com/S7I6cxXGhP
— ANI (@ANI) May 29, 2020
वहीं काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च(सीएसआईआर), इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी और चेन्नई मैथमेटिकल इंस्टीट्यूट ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की प्रभावशीलता पर सवाल उठाने वाली साइंस जर्नल ‘लैंसेट’ को पत्र लिखा है।
साइंस जर्नल ‘लैंसेट के स्टडी में पाया गया है कि मलेरिया की इस दवाई से कोरोना मरीजों को किसी तरह का स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है। द लैंसेट के अध्ययन में कोरोना वायरस से संक्रमित 96 हजार मरीजों को शामिल किया गया। इनमें से 15 हजार लोगों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन या फिर कोई दूसरी दवाई दी गई। बाद में पता चला कि दूसरे मरीजों की तुलना में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन खाने वाले वर्ग में ज्यादा मौतें हुईं। इन मरीजों में हृदय रोग की समस्या भी देखी गई। जिन्हें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दी गई उनमें मृत्यु दर 18 फीसदी रही।