Coronavirus Most Patients Died In Mumbai In Less Than Seven Days Of Treatment – कोरोनाः मुंबई में सात दिन से भी कम समय के उपचार में मरे सर्वाधिक मरीज




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मुंबई में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण और मरीजों की मौत के अंतर को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसके तहत मरीजों में कोरोना वायरस के लक्षण मिलने के बाद उपचार और उसकी मौत के बीच का फासला मात्र 6.4 दिन का है। इतना ही नहीं, मुंबई में बहुत से मरीजों की मौत तो अस्पताल में दाखिल करने के बाद ढाई दिन में ही हो गई।

दरअसल, कोरोना संक्रमण के चलते मुंबई और महानगर क्षेत्र में बढ़ रहे मौत के आंकड़े की वजह जानने और मौत की संख्या कम करने के लिए केइएम अस्पताल के पूर्व अधिष्ठाता अविनाश सुपे की अध्यक्षता में एक नौ सदस्यीय समिति गठित की गई है। इस समिति ने कोरोना संक्रमित 133 मरीजों की मृत्यु का विश्लेषण कर अपनी रिपोर्ट दी है। डॉ. सुपे समिति के अनुसार बहुत से मरीजों को अस्पताल पहुंचने में समय लग रहा है। 

शुरुआत में खांसी, बुखार आने पर लोग घरेलू उपचार करते हैं। आराम नहीं मिलने पर स्थानीय डॉक्टर से दवाई लेते हैं। इसके बाद अस्पताल का रूख करते हैं। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। यही वजह है कि समिति ने जब 133 मरीजों की मृत्यु की कारणमीमांसा की तो पता चला कि इनमें कोरोना के लक्षण का पता लगने के बाद मौत की अवधि महज 6.4 दिन ही रही। इनमें अधिकतर मृत मरीज मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी रोग और सांस की बीमारी से पीड़ित रहे हैं।

60 से 70 साल के मरीजों की सबसे ज्यादा मौत
मुंबई में 60 से 70 साल की उम्र के कोरोना संक्रमित पीड़ित मरीजों की सबसे ज्यादा मृत्यु हुई है। डॉ. सुपे समिति की रिपोर्ट के मुताबिक 40 से 50 साल के मरीजों की मौत का आंकड़ा 20 फीसदी, 50 से 60 साल के मरीजों की मृत्यु दर 37 फीसदी, 60 से 70 के बीच के मरीजों की 42 फीसदी और 70 से लेकर 80 वर्ष के मरीजों की मृत्यु 17 प्रतिशत रही है। इनमें 65 प्रतिषत पुरुष तो 35 प्रतिशत महिला मरीज शामिल हैं।

…तो कम हो सकते हैं मौत के आंकड़े
समिति ने कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के आंकड़े को कम करने के लिए 11 सूत्रीय सुझाव दिए हैं। इसमें कोरोना संक्रमित मरीज का तत्काल उपचार, उपचार के लिए निर्धारित नीति का पालन, अत्यधिक जांच और मेडिकल सुविधाएं आदि का समावेश है। समिति का कहना है कि यदि इन सुझावों का पालन हुआ तो मौत के आंकड़े कम हो सकते हैं।

समिति की बैठक में एम्स और आरएमएल के डॉक्टरों ने भी लिया हिस्सा
मुंबई में कोरोना संक्रमण की रोकथाम और मौत के आंकड़ों पर विश्लेषण के लिए हुई समिति की बैठक में दिल्ली के एम्स और राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने भी  हिस्सा लिया था। डॉ. अविनाश सुपे की अध्यक्षता में 15 अप्रैल को पहली बैठक हुई थी जिसमें राज्य के स्वास्थ्य निदेशक, सायन, जेजे हॉस्पिटल के डॉक्टरों के अलावा दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) के डॉ. टी.आर. खुराना, एम्स के डॉ. अनंत मोहन, आरएमएल के डॉ. प्रो. संदीप कुमार, डीएचएस के डॉ. उमेश शिरोडकर आदि शामिल थे।

मुंबई में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण और मरीजों की मौत के अंतर को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसके तहत मरीजों में कोरोना वायरस के लक्षण मिलने के बाद उपचार और उसकी मौत के बीच का फासला मात्र 6.4 दिन का है। इतना ही नहीं, मुंबई में बहुत से मरीजों की मौत तो अस्पताल में दाखिल करने के बाद ढाई दिन में ही हो गई।

दरअसल, कोरोना संक्रमण के चलते मुंबई और महानगर क्षेत्र में बढ़ रहे मौत के आंकड़े की वजह जानने और मौत की संख्या कम करने के लिए केइएम अस्पताल के पूर्व अधिष्ठाता अविनाश सुपे की अध्यक्षता में एक नौ सदस्यीय समिति गठित की गई है। इस समिति ने कोरोना संक्रमित 133 मरीजों की मृत्यु का विश्लेषण कर अपनी रिपोर्ट दी है। डॉ. सुपे समिति के अनुसार बहुत से मरीजों को अस्पताल पहुंचने में समय लग रहा है। 

शुरुआत में खांसी, बुखार आने पर लोग घरेलू उपचार करते हैं। आराम नहीं मिलने पर स्थानीय डॉक्टर से दवाई लेते हैं। इसके बाद अस्पताल का रूख करते हैं। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। यही वजह है कि समिति ने जब 133 मरीजों की मृत्यु की कारणमीमांसा की तो पता चला कि इनमें कोरोना के लक्षण का पता लगने के बाद मौत की अवधि महज 6.4 दिन ही रही। इनमें अधिकतर मृत मरीज मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी रोग और सांस की बीमारी से पीड़ित रहे हैं।

60 से 70 साल के मरीजों की सबसे ज्यादा मौत
मुंबई में 60 से 70 साल की उम्र के कोरोना संक्रमित पीड़ित मरीजों की सबसे ज्यादा मृत्यु हुई है। डॉ. सुपे समिति की रिपोर्ट के मुताबिक 40 से 50 साल के मरीजों की मौत का आंकड़ा 20 फीसदी, 50 से 60 साल के मरीजों की मृत्यु दर 37 फीसदी, 60 से 70 के बीच के मरीजों की 42 फीसदी और 70 से लेकर 80 वर्ष के मरीजों की मृत्यु 17 प्रतिशत रही है। इनमें 65 प्रतिषत पुरुष तो 35 प्रतिशत महिला मरीज शामिल हैं।

…तो कम हो सकते हैं मौत के आंकड़े
समिति ने कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के आंकड़े को कम करने के लिए 11 सूत्रीय सुझाव दिए हैं। इसमें कोरोना संक्रमित मरीज का तत्काल उपचार, उपचार के लिए निर्धारित नीति का पालन, अत्यधिक जांच और मेडिकल सुविधाएं आदि का समावेश है। समिति का कहना है कि यदि इन सुझावों का पालन हुआ तो मौत के आंकड़े कम हो सकते हैं।

समिति की बैठक में एम्स और आरएमएल के डॉक्टरों ने भी लिया हिस्सा
मुंबई में कोरोना संक्रमण की रोकथाम और मौत के आंकड़ों पर विश्लेषण के लिए हुई समिति की बैठक में दिल्ली के एम्स और राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने भी  हिस्सा लिया था। डॉ. अविनाश सुपे की अध्यक्षता में 15 अप्रैल को पहली बैठक हुई थी जिसमें राज्य के स्वास्थ्य निदेशक, सायन, जेजे हॉस्पिटल के डॉक्टरों के अलावा दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) के डॉ. टी.आर. खुराना, एम्स के डॉ. अनंत मोहन, आरएमएल के डॉ. प्रो. संदीप कुमार, डीएचएस के डॉ. उमेश शिरोडकर आदि शामिल थे।




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