ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन (फाइल फोटो)
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जॉनसन ने संकेत दिए थे कि सोमवार से बंद के नियमों में कुछ बदलाव हो सकता है और इसके बाद करीब एक हफ्ते तक ऐसे मिले-जुले संकेत आते रहे, लेकिन सरकार ने अब इन अटकलों पर विराम लगाने की बात कही है। क्योंकि पाबंदियों में रियायत की बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसकी वजह यह है कि ब्रिटेन में अब भी कोरोना वायरस संक्रमण के काफी मामले मिल रहे हैं जबकि 31,662 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
परिवहन मंत्री ग्रांट शैप्स ने शनिवार को कहा कि इसमें अत्यधिक सावधानी बरते जाने की जरूरत है। उनका यह बयान ब्रिटिश पुलिस की उस चेतावनी के बाद आया है जिसमें उसने कहा था कि वो हारी हुई जंग लड़ रहे हैं, क्योंकि लंदन के लोग पार्कों में जा रहे हैं, दक्षिणी इंग्लैंड के तटीय क्षेत्रों में पहुंच रहे हैं और कई लोग उन यात्राओं पर जा रहे हैं जिन्हें बंद के दौरान अनावश्यक माना जा रहा है।
शैप्स ने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण है कि हम बीते सात हफ्तों के नियमों और दिशानिर्देशों के पालन के शानदार काम पर सिर्फ इसलिए पानी न फेर दें।
उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह त्रासद होगा। चिंता की बात यह है कि 23 मार्च को ब्रिटेन में शुरू हुए बंद से स्पष्ट रूप से वायरस का प्रसार कम हुआ है, लेकिन जितना सोचा गया था उससे कहीं ज्यादा लंबे वक्त तक लागू रखने की जरूरत है।
जॉनसन ने भी संक्रमण और मौत के दूसरे चरण को लेकर चिंता जाहिर की है और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भी यही कहना है कि यह दुनिया भर में होने जा रहा है क्योंकि देशों ने बंद के नियमों में ढील दी है। जॉनसन की कंजरवेटिव सरकार को महामारी को लेकर सुस्ती बरतने और चिकित्साकर्मियों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण नहीं मुहैया कराने के आरोपों का भी सामना करना पड़ा।
दुनिया के अन्य नेताओं के मुकाबले जॉनसन ने वायरस के इस खतरे को कहीं ज्यादा करीब से महसूस किया है। वह दो हफ्ते पहले ही कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती रहने के बाद वापस लौटे हैं।
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