The Center Termed The Suggestion Of Increasing The Tax Of The Rich As Bad. Cbdt Investigation Begins On 50 Irs Officers – अमीरों पर टैक्स बढ़ाने के सुझाव को केंद्र ने बताया खराब, 50 आईआरएस अधिकारियों के खिलाफ सीबीडीटी की जांच शुरू




बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sun, 26 Apr 2020 10:03 PM IST

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अमीरों और विदेशी कंपनियों से ज्यादा टैक्स वसूलने वाला सुझाव केंद्र सरकार को पसंद नहीं आया है। वित्त मंत्रालय ने इसे खराब सुझाव बताया है। ऐसे में अब CBDT ने रविवार को कहा कि आयकर विभाग के 50 आईआरएस अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की जा रही है, जिन्होंने कोरोना वायरस राहत उपायों को निधि देने के लिए राजस्व जुटाने पर एक अवांछित रिपोर्ट दर्ज की है और इसे बिना अनुमति के सार्वजनिक किया है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) प्रत्यक्ष टैक्स नीतियों के लिए सर्वोच्च नीति बनाने वाली संस्था है। बोर्ड ने कहा कि इसने आईआरएस एसोसिएशन या इन अधिकारियों से इस तरह की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कभी नहीं कहा है और इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से पहले उनकी तरफ से कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी।।

दरअसल यह पूरा मामला कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए टैक्स अधिकारियों के एक नए सुझाव से जुड़ा है। इसमें कहा गया था कि एक करोड़ रुपये से अधिक की आय वाले लोगों पर 30 से बढ़ाकर 40 प्रतिशत टैक्स लगाया जाना चाहिये। इसके अलावा पांच करोड़ से अधिक की सालाना आय वाले लोगों पर संपदा टैक्स या वेल्थ टैक्स लगाया जाए।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि राजस्व जुटाने और आर्थिक महाभियोग पर आयकर विभाग के 50 आईआरएस अधिकारियों की एक रिपोर्ट कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए गलत है, और अनुशासनहीनता के साथ-साथ सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन भी है।

सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन पीसी मोदी को निर्देश दिया कि वे ऐसा करने का कोई अधिकार न रखते हुए सार्वजनिक रूप से ऐसे गलत विचार लिखने के लिए इन अधिकारियों से स्पष्टीकरण लें।

मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट में न तो आईआरएस एसोसिएशन और न ही अधिकारियों के किसी समूह का कभी भी सरकार से इस विषय पर कोई रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था।

अमीरों और विदेशी कंपनियों से ज्यादा टैक्स वसूलने वाला सुझाव केंद्र सरकार को पसंद नहीं आया है। वित्त मंत्रालय ने इसे खराब सुझाव बताया है। ऐसे में अब CBDT ने रविवार को कहा कि आयकर विभाग के 50 आईआरएस अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की जा रही है, जिन्होंने कोरोना वायरस राहत उपायों को निधि देने के लिए राजस्व जुटाने पर एक अवांछित रिपोर्ट दर्ज की है और इसे बिना अनुमति के सार्वजनिक किया है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) प्रत्यक्ष टैक्स नीतियों के लिए सर्वोच्च नीति बनाने वाली संस्था है। बोर्ड ने कहा कि इसने आईआरएस एसोसिएशन या इन अधिकारियों से इस तरह की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कभी नहीं कहा है और इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से पहले उनकी तरफ से कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी।।

दरअसल यह पूरा मामला कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए टैक्स अधिकारियों के एक नए सुझाव से जुड़ा है। इसमें कहा गया था कि एक करोड़ रुपये से अधिक की आय वाले लोगों पर 30 से बढ़ाकर 40 प्रतिशत टैक्स लगाया जाना चाहिये। इसके अलावा पांच करोड़ से अधिक की सालाना आय वाले लोगों पर संपदा टैक्स या वेल्थ टैक्स लगाया जाए।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि राजस्व जुटाने और आर्थिक महाभियोग पर आयकर विभाग के 50 आईआरएस अधिकारियों की एक रिपोर्ट कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए गलत है, और अनुशासनहीनता के साथ-साथ सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन भी है।

सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन पीसी मोदी को निर्देश दिया कि वे ऐसा करने का कोई अधिकार न रखते हुए सार्वजनिक रूप से ऐसे गलत विचार लिखने के लिए इन अधिकारियों से स्पष्टीकरण लें।

मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट में न तो आईआरएस एसोसिएशन और न ही अधिकारियों के किसी समूह का कभी भी सरकार से इस विषय पर कोई रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था।




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