Scientists Estimate Coronavirus May Have Entered India In November-december – नवंबर-दिसबंर में ही भारत पहुंच गया था कोविड-19 वायरस, वैज्ञानिकों ने किया दावा




न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद
Updated Thu, 04 Jun 2020 08:48 AM IST

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भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला 30 जनवरी को केरल में दर्ज किया गया था। लेकिन देश के शीर्ष वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भारत में कोरोना वायरस का प्रवेश नवंबर 2019 में ही हो गया था। बताया गया है कि चीन से जुड़े वायरस का प्रसार नवंबर महीने से ही शुरू हो गया था। इसे ‘मोस्ट रिसेंट कॉमन एनसेस्टर’ या ‘सबसे हाल का सामान्य पूर्वज’ (एमआरसीए) द्वारा पता लगाया गया है। 

देश के प्रमुख अनुसंधान संस्थानों के शीर्ष वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि वुहान से निकला कोरोना वायरस का पूर्वज वायरस 11 दिसंबर, 2019 तक फैल रहा था। ‘सबसे हाल के सामान्य पूर्वजों के लिए समय’ (एमआरसीए) नामक एक वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए, वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि तेलंगाना और अन्य राज्यों में फैल रहे वायरस की उत्पत्ति 26 नवंबर और 25 दिसंबर के बीच हुई थी, इसकी औसत तारीख 11 दिसंबर है। 

यह भी पढ़ें: छह फुट की सामाजिक दूरी काफी नहीं, कोरोना वायरस 20 फुट तक फैल सकता है : अध्ययन

क्या 30 जनवरी से पहले चीन से यात्रा करने वालों से भारत में वायरस पहुंचा था? यह बात अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है क्योंकि उस दौरान देश में कोविड-19 का परीक्षण बड़े पैमाने पर नहीं किया जा रहा था। 

हैदराबाद स्थित ‘सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी’ (सीसीएमबी) के शोधकर्ताओं सहित अन्य शोधकार्ताओं ने न केवल कोरोना वायरस की उम्र का अनुमान लगाया है, बल्कि उन्होंने वायरस की एक नई जाति का पता लगाया है, जो वर्तमान में मौजूद वायरस से अलग है। शोधकर्ताओं ने इसे क्लेड I/A3i नाम दिया है। क्लेड को एक सामान्य पूर्वज के सभी विकासवादी वंशजों को शामिल करने वाले जीवों के एक समूह के रूप में परिभाषित किया गया है। 

सीसीएमबी के निदेशक डॉ राकेश के मिश्रा ने कहा कि भारत के केरल राज्य में सामना आया पहला कोविड-19 मामला वुहान शहर से जुड़ा हुआ था, लेकिन हैदराबाद में शोधकर्ताओं द्वारा खोजा गया (क्लेड I/A3i) चीन में उत्पन्न नहीं हुआ, बल्कि ये दक्षिण-पूर्व एशिया में कहीं सामने आया। उन्होंने कहा कि अभी तक इस नए क्लेड की उत्पत्ति का सटीक देश ज्ञात नहीं है।

जहां तक, क्लेड I/A3i की बात है, यह 17 जनवरी और 25 फरवरी के बीच देश में फैल रहा था और इसकी औसत तारीख आठ फरवरी रही। 

भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला 30 जनवरी को केरल में दर्ज किया गया था। लेकिन देश के शीर्ष वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भारत में कोरोना वायरस का प्रवेश नवंबर 2019 में ही हो गया था। बताया गया है कि चीन से जुड़े वायरस का प्रसार नवंबर महीने से ही शुरू हो गया था। इसे ‘मोस्ट रिसेंट कॉमन एनसेस्टर’ या ‘सबसे हाल का सामान्य पूर्वज’ (एमआरसीए) द्वारा पता लगाया गया है। 

देश के प्रमुख अनुसंधान संस्थानों के शीर्ष वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि वुहान से निकला कोरोना वायरस का पूर्वज वायरस 11 दिसंबर, 2019 तक फैल रहा था। ‘सबसे हाल के सामान्य पूर्वजों के लिए समय’ (एमआरसीए) नामक एक वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए, वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि तेलंगाना और अन्य राज्यों में फैल रहे वायरस की उत्पत्ति 26 नवंबर और 25 दिसंबर के बीच हुई थी, इसकी औसत तारीख 11 दिसंबर है। 

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हैदराबाद स्थित ‘सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी’ (सीसीएमबी) के शोधकर्ताओं सहित अन्य शोधकार्ताओं ने न केवल कोरोना वायरस की उम्र का अनुमान लगाया है, बल्कि उन्होंने वायरस की एक नई जाति का पता लगाया है, जो वर्तमान में मौजूद वायरस से अलग है। शोधकर्ताओं ने इसे क्लेड I/A3i नाम दिया है। क्लेड को एक सामान्य पूर्वज के सभी विकासवादी वंशजों को शामिल करने वाले जीवों के एक समूह के रूप में परिभाषित किया गया है। 

सीसीएमबी के निदेशक डॉ राकेश के मिश्रा ने कहा कि भारत के केरल राज्य में सामना आया पहला कोविड-19 मामला वुहान शहर से जुड़ा हुआ था, लेकिन हैदराबाद में शोधकर्ताओं द्वारा खोजा गया (क्लेड I/A3i) चीन में उत्पन्न नहीं हुआ, बल्कि ये दक्षिण-पूर्व एशिया में कहीं सामने आया। उन्होंने कहा कि अभी तक इस नए क्लेड की उत्पत्ति का सटीक देश ज्ञात नहीं है।

जहां तक, क्लेड I/A3i की बात है, यह 17 जनवरी और 25 फरवरी के बीच देश में फैल रहा था और इसकी औसत तारीख आठ फरवरी रही। 




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