भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार
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सार
- एसबीआई के 20 फीसदी कर्जदारों ने ही कर्ज की किस्तें चुकाने में दी गई छूट का लाभ उठाया।
- रिजर्व बैंक के उपायों से अर्थव्यवस्था को उबारने में मदद मिलेगी: एसबीआई चेयरमैन।
- यदि कर्जदाता नकदी की कमी से नहीं जूझ रहे हैं तो कर्ज की किस्तें चुकाते रहें।
विस्तार
कुमार ने कहा कि, ‘एसबीआई के मामले में इनका (किस्त से राहत विकल्प चुनने वालों का) फीसदी बहुत छोटा है।’ उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने छूट का विकल्प चुना है, उनमें सभी तरलता के संकट का सामना नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘उनमें से कई अपने ऋण की किस्तें चुका सकते थे, लेकिन उन्होंने रणनीति के अनुसार छूट का लाभ उठाना तय किया। वे अपनी नकदी को बचाकर रखना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने किस्तें चुकाने से छूट का विकल्प चुना।’
साथ ही उन्होंने कहा कि आरबीआई के रेपो दर में कमी करने और कर्ज की किस्तें चुकाने में राहत को तीन महीने के लिए और बढ़ाने से अर्थव्यवस्था के त्वरित पुनरुद्धार में मदद मिलेगी।
कुमार ने कर्जदाताओं को दी सलाह
कुमार ने कर्जदाताओं को सलाह दी कि यदि वे नकदी की कमी से नहीं जूझ रहे हैं तो कर्ज की किस्तें चुकाते रहें। उन्होंने कहा, ‘यदि आप ईएमआई चुकाने में सक्षम हैं, तो भुगतान करते रहें। यदि भुगतान करने में असमर्थ हैं, तभी कर्ज की किस्तों से छूट का लाभ उठाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि कर्ज की किस्तें चुकाने से राहत की अवधि का विस्तार उद्योग के लिए मददगार होगा।
इसके अलावा, इस कदम के कारण आरबीआई को फंसे कर्ज खातों का एक बार पुनर्गठन करने की तत्काल आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘फिलहाल, कर्ज की किस्तें चुकाने में राहत का समय बढ़ाने से नकदी के प्रवाह में व्यवधान से संबंधित स्थिति को नियंत्रण में रखा जाएगा। जब हमारे पास 31 अगस्त तक का समय होगा, ऐसे में मैं एक बारगी ऋण पुनर्गठन को अधिक तवज्जो नहीं दूंगा।’
हालांकि, कुमार ने कहा कि आरबीआई के सात जून के परिपत्र के अनुसार, यदि आवश्यक हो, तो अभी भी बैंक फंसे कर्ज के खातों का पुनर्गठन करने का विकल्प चुन सकते हैं। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को मोहलत देने के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि यह विशिष्ट मामलों के आधार पर दिया जाएगा। उन्होंने कहा, मामला दर मामला आधार पर फैसला करेंगे। हमें उनके (एनबीएफसी / एचएफसी) नकदी प्रवाह को देखना होगा और निर्णय लेना होगा।