न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Wed, 22 Apr 2020 10:36 PM IST
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि गन्ने का न्यूनतम मूल्य तय करने का विशेष अधिकार सिर्फ केंद्र के पास है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें केवल पारिश्रमिक या सलाह मूल्य तय कर सकती हैं और इसे केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए मूल्य से अधिक होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे मामले में जहां राज्य द्वारा तय किया गया सलाह मूल्य केंद्र द्वारा तय किए गए न्यूनतम मूल्य से कम है वहां केंद्रीय अधिनियमों के प्रावधान प्रभावी होंगे।
केंद्र और राज्य द्वारा तय की गई कीमतों में कोई असंगतता या संघर्ष नहीं हो सकता क्योंकि राज्यों को न्यूनतम सलाह मूल्य केंद्र द्वारा तय मूल्य से अधिक रखने को कहा जाता है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने साल 2004 में उत्तर प्रदेश की सहकारी गन्ना समितियों से संबंधित एक मामले में कहा कि इस मामले को सात सदस्यीय पीठ के पास भेजने की कोई आवश्यकता नहीं है।
पीठ ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के पास गन्ने की कीमत तय करने का अधिकार है। लेकिन, केंद्र सरकार के पास न्यूनतम मूल्य तय करने का विशेषाधिकार है। राज्य सरकार गन्ने का न्यूनतम मूल्य तय नहीं कर सकती। फैसले में कहा गया कि फिर भी राज्य सरकार सलाह मूल्य में कभी भी संशोधन कर सकती है, जिसे केंद्र द्वारा तय किए गए न्यूनतम मूल्य से ज्यादा होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि गन्ने का न्यूनतम मूल्य तय करने का विशेष अधिकार सिर्फ केंद्र के पास है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें केवल पारिश्रमिक या सलाह मूल्य तय कर सकती हैं और इसे केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए मूल्य से अधिक होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे मामले में जहां राज्य द्वारा तय किया गया सलाह मूल्य केंद्र द्वारा तय किए गए न्यूनतम मूल्य से कम है वहां केंद्रीय अधिनियमों के प्रावधान प्रभावी होंगे।
केंद्र और राज्य द्वारा तय की गई कीमतों में कोई असंगतता या संघर्ष नहीं हो सकता क्योंकि राज्यों को न्यूनतम सलाह मूल्य केंद्र द्वारा तय मूल्य से अधिक रखने को कहा जाता है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने साल 2004 में उत्तर प्रदेश की सहकारी गन्ना समितियों से संबंधित एक मामले में कहा कि इस मामले को सात सदस्यीय पीठ के पास भेजने की कोई आवश्यकता नहीं है।
पीठ ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के पास गन्ने की कीमत तय करने का अधिकार है। लेकिन, केंद्र सरकार के पास न्यूनतम मूल्य तय करने का विशेषाधिकार है। राज्य सरकार गन्ने का न्यूनतम मूल्य तय नहीं कर सकती। फैसले में कहा गया कि फिर भी राज्य सरकार सलाह मूल्य में कभी भी संशोधन कर सकती है, जिसे केंद्र द्वारा तय किए गए न्यूनतम मूल्य से ज्यादा होना चाहिए।
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