Notice To Center And All States Of Supreme Court In Case Of Migrant Laborers, Help Free – प्रवासी मजदूरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस, कहा- मुफ्त में करें मदद




अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Updated Wed, 27 May 2020 06:43 AM IST

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लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए मामले का परीक्षण करने का फैसला किया। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर प्रवासी मजदूरों के लिए उठाए गए कदमों और प्रयासों की जानकारी मांगी। इस मामले में कोर्ट अब बृहस्पतिवार को अगली सुनवाई करेगा।

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कहा कि अभी भी प्रवासी मजदूर सड़कों, हाईवे, रेलवे स्टेशनों और राज्यों की सीमाओं पर बैठे हैं। उनके लिए पर्याप्त परिवहन व्यवस्था नहीं की गई है और न ही उनके लिए रहने और खाने का उचित इंतजाम है। 

पीठ ने कहा, “मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है अभी भी मजदूर पैदल, साइकिल या परिवहन के दूसरे माध्यमों से सड़कों पर चल रहे हैं। लॉकडाउन की स्थिति में समाज के इसी वर्ग को सबसे अधिक मदद की दरकार है। केंद्र और राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को इस विषम परिस्थितियों में इन मजदूरों की हरसंभव मदद करनी चाहिए। प्रवासी मजदूरों के लिए परिवहन और खाने पीने की व्यवस्था केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को मुफ्त में करनी चाहिए।”

शीर्ष अदालत ने कहा है कि हमारा मानना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए प्रभावी तरीके से प्रयास जरूरी है। ऐसे में केंद्र, सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। पीठ ने इस मामले को महत्वपूर्ण बताते हुए बृहस्पतिवार को ही सुनवाई करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को इस मामले में सहायता करने के लिए कहा गया है।

मालूम हो कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में प्रवासी मजदूरों की परेशानी और उनकी दुर्दशा को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई थी। अधिकतर मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के प्रयासों पर संतोष जताया था। हालांकि, अब भी प्रवासी मजदूरों को लेकर कुछ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट की दूसरी पीठ के पास लंबित है।

लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए मामले का परीक्षण करने का फैसला किया। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर प्रवासी मजदूरों के लिए उठाए गए कदमों और प्रयासों की जानकारी मांगी। इस मामले में कोर्ट अब बृहस्पतिवार को अगली सुनवाई करेगा।

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कहा कि अभी भी प्रवासी मजदूर सड़कों, हाईवे, रेलवे स्टेशनों और राज्यों की सीमाओं पर बैठे हैं। उनके लिए पर्याप्त परिवहन व्यवस्था नहीं की गई है और न ही उनके लिए रहने और खाने का उचित इंतजाम है। 

पीठ ने कहा, “मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है अभी भी मजदूर पैदल, साइकिल या परिवहन के दूसरे माध्यमों से सड़कों पर चल रहे हैं। लॉकडाउन की स्थिति में समाज के इसी वर्ग को सबसे अधिक मदद की दरकार है। केंद्र और राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को इस विषम परिस्थितियों में इन मजदूरों की हरसंभव मदद करनी चाहिए। प्रवासी मजदूरों के लिए परिवहन और खाने पीने की व्यवस्था केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को मुफ्त में करनी चाहिए।”

शीर्ष अदालत ने कहा है कि हमारा मानना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए प्रभावी तरीके से प्रयास जरूरी है। ऐसे में केंद्र, सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। पीठ ने इस मामले को महत्वपूर्ण बताते हुए बृहस्पतिवार को ही सुनवाई करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को इस मामले में सहायता करने के लिए कहा गया है।

मालूम हो कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में प्रवासी मजदूरों की परेशानी और उनकी दुर्दशा को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई थी। अधिकतर मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के प्रयासों पर संतोष जताया था। हालांकि, अब भी प्रवासी मजदूरों को लेकर कुछ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट की दूसरी पीठ के पास लंबित है।




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