एक फ्रांसीसी समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में प्रो. लुक ने कहा, नए वायरस के जीनोम में मौजूद एचआईवी और यहां तक कि मलेरिया के कीटाणुओं के तत्वों की मौजूदगी इसकी ओर इशारा करती है। प्रो. लुक ने कहा कि नया कोरोना वायरस प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हुआ नहीं हो सकता।
उन्होंने बताया कि कहा जा रहा है कि यह ‘औद्योगिक हादसा’ वुहान नेशनल बायोसेफ्टी लैब में हुआ। उन्होंने दावा किया, ‘वुहान सिटी लैब को इस तरह के कोरोना वायरस में साल 2000 से अध्ययन हो रहा है। वो इस मामले में विशेषज्ञ हैं।’ उन्होंने वायरस को खत्म करने के लिए तरंगों की थ्योरी (वेव थ्योरी) का प्रस्ताव भी दिया है।
इस थ्योरी को लेकर बीते समय में उनका काफी मजाक भी उड़ाया जा चुका है। वहीं, पेरिस के एक वायरोलॉजिस्ट ईटियन साइमन का दावा है कि लुक की बात में तथ्य नहीं हैं। ऐसे जेनेटिक सीक्वेंस दूसरे कोरोना वायरस में भी पाए जाते हैं, कुछ जीनों के हिस्से पौधों या बैक्टीकिया जैसे भी लगते हैं।
उन्होंने कहा, ‘अगर हम किसी किताब का एक शब्द लें और वह किसी दूसरी किताब में भी हो तो इसका मतलब यह नहीं है कि पूरी किताब की ही नकल की गई है। ऐसा ही इस मामले में भी है।’ कोरोना को खत्म करने में वेव थ्योरी की उपयोगिता पर उन्होंने कहा कि इन्हें प्रकृति अपने आप खत्म नहीं कर सकती है।
सार
एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडिफिसियंसी वायरस की खोज करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता फ्रांसीसी प्रोफेसर लुक मोन्टाग्नियर ने दावा किया है कि कोरोना वायरस एड्स का इलाज खोजने के लिए वैक्सीन विकसित करने की कोशिश का परिणाम है।
विस्तार
एक फ्रांसीसी समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में प्रो. लुक ने कहा, नए वायरस के जीनोम में मौजूद एचआईवी और यहां तक कि मलेरिया के कीटाणुओं के तत्वों की मौजूदगी इसकी ओर इशारा करती है। प्रो. लुक ने कहा कि नया कोरोना वायरस प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हुआ नहीं हो सकता।
उन्होंने बताया कि कहा जा रहा है कि यह ‘औद्योगिक हादसा’ वुहान नेशनल बायोसेफ्टी लैब में हुआ। उन्होंने दावा किया, ‘वुहान सिटी लैब को इस तरह के कोरोना वायरस में साल 2000 से अध्ययन हो रहा है। वो इस मामले में विशेषज्ञ हैं।’ उन्होंने वायरस को खत्म करने के लिए तरंगों की थ्योरी (वेव थ्योरी) का प्रस्ताव भी दिया है।
इस थ्योरी को लेकर बीते समय में उनका काफी मजाक भी उड़ाया जा चुका है। वहीं, पेरिस के एक वायरोलॉजिस्ट ईटियन साइमन का दावा है कि लुक की बात में तथ्य नहीं हैं। ऐसे जेनेटिक सीक्वेंस दूसरे कोरोना वायरस में भी पाए जाते हैं, कुछ जीनों के हिस्से पौधों या बैक्टीकिया जैसे भी लगते हैं।
उन्होंने कहा, ‘अगर हम किसी किताब का एक शब्द लें और वह किसी दूसरी किताब में भी हो तो इसका मतलब यह नहीं है कि पूरी किताब की ही नकल की गई है। ऐसा ही इस मामले में भी है।’ कोरोना को खत्म करने में वेव थ्योरी की उपयोगिता पर उन्होंने कहा कि इन्हें प्रकृति अपने आप खत्म नहीं कर सकती है।
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